शुरुआती वर्षों में बीमा पॉलिसी सरेंडर करने से होगा अधिक नुकसान | बिंदिशा सारंग / August 19, 2020 | | | | |
कोविड-19 महामारी के प्रसार के बाद कई लोगों की आय प्रभावित हुई है या बिल्कुल थम गई है। ऐसे में आर्थिक तंगी से जूझने के लिए लोग घबराहट में कई कदम उठा रहे हैं। समाचार माध्यमों में आई खबरों के अनुसार लोग प्रीमियम भुगतान से बचने या दूसरी तत्काल जरूरतें पूरी करने के लिए अपनी बीमा पॉलिसियां बंद (सरेंडर) करने जैसे कदम उठा रहे हैं। बीमा अवधि पूरी होने से पहले अगर पॉलिसीधारक पॉलिसी बंद करा देता है तो बीमा कंपनी उसे कुछ रकम लौटाती है, जिसे सरेंडर वैल्यू कहा जाता है। मौजूदा समय में आर्थिक तंगी से निपटने के लिए पॉलिसीधारकों को दूसरे स्रोतों से रकम का बंदोबस्त करना चाहिए ओर बीमा पॉलिसी के रूप में मिल रही सुरक्षा नहीं गंवानी चाहिए। पॉलिसी सरेंडर करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं रहने पर पॉलिसीधारक को नियम-शर्तें अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए ताकि कम से कम नुकसान उठाना पड़े। हालांकि सभी पॉलिसियां सरेंडर वैल्यू नहीं देती हैं। पॉलिसीएक्स डॉट कॉम के मुख्य कार्याधिकारी नवल गोयल कहते हैं,'परंपरागत और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (यूलिप) बीमा योजनाएं ही पॉलिसीधारकों को सरेंडर वैल्यू देती हैं। टर्म प्लान,जो विशुद्ध रूप से बीमा सुरक्षा मुहैया कराती है, में सरेंडर वैल्यू नहीं मिलता है।' इस तरह, केवल एन्डाउमेंट एवं मनीबैक और यूलिप के मामले में ही सरेंडर वैल्यू मिल सकता है।
बीमा कंपनियां प्रीमियम के तौर पर भुगतान हुई रकम का एक हिस्सा काट कर शेष पॉलिसीधारकों को लौटा देती हैं। हरेक बीमा कंपनी में ये शुल्क अलग-अलग हो सकता है। कई दूसरी तरह की कटौती भी होती है, जिससे सरेंडर वैल्यू अमूमन कुल प्रीमियम भुगतान से कम ही होता है। पॉलिसी के शुरु आती वर्षों में सरेंडर वैल्यू कम मिलता है, लेकिन समय बीतने और परिपक्वता के आस-पास सरेंडर वैल्यू के रूप में अधिक रकम मिलती है।
यूलिप के मामले में पॉलिसीधारक को पॉलिसी शुरू होने के 5 वर्ष बाद सरेंडर वैल्यू मिलता है। सरेंडर वैल्यू पॉलिसी सरेंडर करने की तारीख के दिन फंड वैल्यू के बराबर होता है।
परंपरागत पॉलिसयों में पहले दो वर्षों तक पूर्ण प्रीमियम भुगतान करने के बाद पॉलिसीधारक को एक निश्चित सरेंडर वैल्यू (जीएसवी) मिलता है। बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस में प्रमुख (ऑपरेशंस ऐंड कस्टमर एक्सपेरिएंस) कैजाद हीरामानेक कहते हैं,'इसका सीधा मतलब यह है कि भुगतान किए गए प्रीमियम का एक निश्चित हिस्सा ही पॉलिसीधारक को मिलता है।'
1 फरवरी से प्रभावी नए नियमों के अनुसार किसी परंपरागत पॉलिसी के मामले में दो वर्ष तक प्रीमियम भुगतान के बाद जीएसवी मिलेगा। दो वर्षों बाद पॉलिसीधारक को कुल भुगतान हुए प्रीमियम का 30 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। तीन वर्षों बाद 35 प्रतिशत हिस्सा और 4 वर्ष से 7 वर्षों के बीच प्रीमियम के तौर पर कुल भुगतान की गई रकम का 50 प्रतिशत हिस्सा पॉलिसीधारक को मिलता है। यहां यह बात दिमाग में रखनी होगी कि इनमें किसी भी स्थिति में सरवाइवल बेनिफिट (उत्तरजीविता लाभ जैसे बोनस आदि) शामिल नहीं होंगे।
ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक पंकज मठपाल कहते हैं,'एकल-प्रीमियम पॉलिसी में प्रीमियम के भुगतान के तत्काल बाद ही सरेंडर वैल्यू मिल जाता है।'
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