बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू | रॉयटर्स / नई दिल्ली/मुंबई August 19, 2020 | | | | |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय ने अधिकारियों से चालू वित्त वर्ष के दौरान कम से कम 4 सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम करने की प्रक्रिया को तेज करने को कहा है। इस चर्चा से जुड़े दो अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है।
सूत्रों ने कहा कि इन चार बैंकों में पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक आफ महाराष्ट्र, यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं, जिनमें प्रत्यक्ष व परोक्ष होल्डिंग के माध्यम से सरकार की बहुलांश हिस्सेदारी है।
सरकार बैंकिंग क्षेत्र में सुधार चाहती है और बैंकों तथा अन्य सरकारी बैंकों के निजीकरण पर जोर दे रही है। साथ ही सरकार का मकसद है कि महामारी के कारण आई मंदी और कर संग्रह में गिरावट को देखते हुए इन्हें बेचकर धन जुटाया जा सके।
इस मामले से सीधे जुड़े एक सरकारी सूत्र ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने भारत के वित्त मंत्रालय को इस महीने की शुरुआत में पत्र लिखकर कहा था कि इन बैंकों के निजीकरण में चालू वित्त वर्ष के दौरान तेजी लाई जाए, जो मार्च 2021 में समाप्त होगा। उन्होंने कहा, 'बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।' उन्होंने ेकहा कि इस सिलसिले में कुछ परामर्श पहले ही हो चुका है।
इस मसले पर प्रधानमंत्री कार्यालय व बैंकों ने तत्काल प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया, जबकि वित्त मंत्रालय ने इस पर कुछ भी कहने से इनकार किया है।
इस चर्चा को निजी कहकर सूत्रों ने नाम सार्वजनिक करने से इनकार करते हुए कहा कि सरकार का खाका आक्रामक है और यह बाजार की मौजूदा स्थितियों को देखते हुए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। पिछले महीने रॉयटर्स ने खबर दी थी कि भारत आधा दर्जन से ज्यादा सरकारी बैंकों के निजीकरण पर विचार कर रहा है, जिससे सरकारी बैंकों की संख्या घटाकर 5 की जा सके।
भारत में इस समय एक दर्जन सरकारी बैंक हैं। आइडीबीआई में सरकार की हिस्सेदारी 47.11 प्रतिशत है, जबकि सरकार की जीवन बीमा निकम की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है।
बैंकों के निजीकरण का कदम इस अनुमान के बीच उठाया जा रहा है कि उनके खराब कर्ज बढ़ेंगे, जिससे सरकारी बैंकों को बचाने के लिए सरकार को नए सिरे से धन डालने को मजबूर होना पड़ सकता है।
हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया में शामिल एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा कि प्रक्रिया आगे बढ़ाने के पहले और परामर्श किए जाएंगे।
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