दूरसंचार कंपनियों से बकाया समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की वसूली पर अपने रुख को दोहराते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि शुल्क की वसूली की राह में किसी तरह की कोई तकनीकी समस्या नहीं आएगी। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कंपनियों द्वारा स्पेक्ट्रम शुल्क को परिचालन शुल्क के तौर पर नहीं देखा जा सकता है क्योंकि रेडियो तरंगें परिचालन के आधार पर दी गई हैं। मौजूदा समय में राजस्व साझेदारी की व्यवस्था है, ऐसे में स्पेक्ट्रम बकाया को परिचालन बकाया नहीं माना जा सकता है। रिलायंस जियो की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने स्पष्ट किया कि कंपनी ने अपना एजीआर बकाया चुका दिया है, साथ ही रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के स्पेक्ट्रम के साझा इस्तेमाल से अर्जित राजस्व पर बनने वाले शुल्क का भी भुगतान किया जा चुका है। इसके अलावा कंपनी ने दूरसंचार विभाग के दिशानिर्देश के मुताबिक स्पेक्ट्रम साझेदारी के लिए 0.5 फीसदी अतिरिक्त एसयूसी (स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क) का भी भुगतान किया है। साल्वे ने कहा कि जियो ने एजीआर मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के आधार पर 195 करोड़ रुपये अदा किए हैं। शीर्ष अदालत ने सभी दिवालिया कंपनियों से स्पेक्ट्रम साझेदारी का ब्योरा मांगा था और कहा था कि रिलायंस जियो पिछले चार साल से आरकॉम के स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रही है तथा एजीआर बकाये की उस पर देनदारी बनती है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा कि अदालत एजीआर बकाये का भुगतान 20 साल में करने की अनुमति नहीं दे सकती है क्योंकि संभव है कि इतने लंबे समय में कुछ कंपनियां दिवालिया हो जाए। अदालत के इस फैसले से वोडाफोन आइडिया के परिचालन पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं क्योंकि कंपनी कई बार कह चुकी है कि वह बकाया चुकाने की स्थिति में नहीं है और इसकी वजह से उसे कारोबार समेटना पड़ सकता है। केएस लीगल ऐंड एसोसिएट्स की मैनेजिंग पार्टनर सोनम चांदवानी ने कहा, 'एजीआर भुगतान की समयसीमा का मसला अब भी अनिश्चित है, ऐसे में दूूरसंचार क्षेत्र की चिंता भी बनी हुई है। अगर शीर्ष अदालत 10 साल में भुगतान करने की अनुमति का निर्णय करती है तो यह कर्ज में दबी वोडाफोन आइडिया के लिए बड़ी चुनौती होगी। इस तरह के व्यय का भुगतान करने के लिए शुल्क दरों में इजाफा करना होगा, लागत घटानी होगी और इक्विटी पूंजी निवेश करना होगा।' उन्होंने कहा कि अगर अदालत भुगतान के लिए 15 साल की समयसीमा तय करता है तो वोडा-आइडिया की मुश्किलेें थोड़ी कम होंगी। मामले की सुनवाई कल तक के लिए टाल दी गई है। 14 अगस्त को अदालत ने आरकॉम और एयरसेल सहित दिवालिया दूरसंचार कंपनियों के स्पेक्ट्रम का उपयोग करने वाले दूरसंचार ऑपरेटरों का ब्योरा मांगा था। 10 अगस्त को अदालत ने केंद्र सरकार को आरकॉम सहित सभी दिवालिया दूरसंचार फर्मों से एजीआर बकाये की वसूली के लिए योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।
