छोटे शहर जा रहे फूड डिलिवरी स्टार्टअप | साई ईश्वर / नई दिल्ली August 18, 2020 | | | | |
जोमैटो और स्विगी जैसे ऑनलाइन फूड डिलिवरी स्टार्टअप छोटे शहरों में विस्तार के साथ दीर्घावधि वृद्धि और मुनाफे के लिए क्लाउड किचन के लिए साझेदारी बढ़ा सकते हैं। एक नई रिपोर्ट में यह सामने आया है।
स्टार्टअप गैर महानगरों, टियर 3 और टियर 4 शहरोंं में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहे हैं, जिससे इन बाजारों में मौजूद कारोबारी संभावनाओं का पूरा इस्तेमाल कर सकें।
जेएम फाइनैंशियल की रिपोर्ट के मुताबिक स्विगी पटियाला और गोरखपुर जैसे शहरों में अपना कारोबार शुरू करने के महज 6 से 8 महीने के भीतर 5,000 ऑर्डर प्रतिदिन के स्तर पर पहुंच गए थे। वहींं कंपनी ने जब गुरुग्राम में काम शुरू किया था तो इस स्तर पर पहुंचने में करीब 3 साल लग गए थे।
छोटे शहरों में फूड डिलिवरी फर्र्मों में सस्ता श्रम मददगार साबित हुआ है। इन शहरों में बड़े शहरों की तुलना में डिलिवरी का शुल्क कम पड़ता है, जबकि डिलिवरी साझेदार ऑर्डर की डिलिवरी में साइकिल का इस्तेमाल करते हैं। साझेदारों द्वारा डिलिवरी में लिया जाने वाला वक्त भी कम होता है क्योंकि छोटे शहरों में यातायात कम होता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'छोटे शहरों की रणनीति बनाने मेंं चुनौती यह है कि ऑर्डर का मूल्य बड़े शहरों की तुलना में कम होता है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से छोटे शहरों में परिचालन की अर्थव्यवस्था ऑनलाइन फूड डिलिवरी सेवा प्रदाताओं के पक्ष में हैं।'
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नैस्पर समर्थित स्टार्टअप द्वारा नए शहर में कारोबार शुरू करने मेंं लगने वाला वक्त वित्त वर्ष 2020 में घटकर 9 दिन रह गया, जो वित्त वर्ष 18 में 90 दिन था। लागत भी इस दौरान घटकर दस प्रतिशत रह गया है।
वहीं 2019 के आंकड़ों के मुताबिक जोमैटो की ऑर्डर डिलिवरी की लागत बड़े शहरोंं की तुलना में छोटे शहरों में आधी रही, जबकि डिलिवरी का वक्त भी 3 मिनट तेज रहा है।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब कोविड-19 महामारी की वजह से रेस्टोरेंट कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है और बहुत कम लोग रेस्टोरेंट जा रहे हैं। इसकी वजह से रेस्टोरेंटों में बड़े पैमाने पर वेतन में कटौती और छटनी करनी पड़ी है। बहरहाल क्लाउड किचन की लोकप्रियता बढऩे के साथ स्टार्टअप को विकल्प मिला है कि वे अपने कारोबार को तेजी से बहाल कर सकें।
क्लाउड किचन केंद्रीकृत भोजन निर्माण परिसर होते हैं, जो सिर्फ ऑनलाइन डिलिवरी करते हैं और उनके पास बैठकर खाना खिलाने के लिए जगह नहीं होती है। रेडसीर मैनेजमेंट कंसल्टिंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह उद्योग 2024 तक बढ़कर 2 अरब डॉलर होने की संभावना है, जो 2019 में 40 करोड़ डॉलर था। इसे कोविड के बाद रेस्टोरेंट बाजार की जिंदगी बचाने के मसाले के रूप में देखा जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमारा मानना है कि शारीरिक दूरी रखने के मानकों, उचित मूल्य की पेशकश और साफ सफाई पर केंद्रित क्लाउड किचन से खाने की डिलिवरी को ग्राहकों द्वारा प्राथमिकता दिए जाने की वजह से रेस्टोरेंटों को कर्मचारियों की जरूरत कम हो जाएगी और ऑनलाइन फूड डिलिवरी एग्रीगेटर उन्हें ज्यादा व्यावहारिक बना सकते हैं।'
परंपरागत रेस्टोरेंट की तुलना में क्लाउट किचन बनाना और उसका परिचालन आसान है क्योंकि कम पूंजी और कम कर्मचारियों से इन्हें चलाया जा सकता है। फूड डिलिवरी एग्रीगेटर भी ऑपरेटरों से ज्यादा कमीशन लेते हैं क्योंकि उनकी लागत कम पड़ती है। एग्रीगेटर क्लाउड किचन से 25 प्रतिशत तक कमीशन लेते हैं, जबकि अनन्य रेस्टोरेंट से 15 से 20 प्रतिशत कमीशन लेते हैं।
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