महंगाई लगातार दूसरी तिमाही में 6 फीसदी के पार! | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली August 16, 2020 | | | | |
केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल और मई महीने के लिए अनुमानित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर ध्यान नहीं दिए जाने से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को मुद्रास्फीति लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहने के लिए संभावित जांच से बचने की गुंजाइश मिल गई है।
अनुमानित का मतलब है कि जहां इन महीनों में लॉकडाउन लगाए जाने के कारण कीमतें उपलब्ध नहीं थी, वहां कुछ समूहों की कीमतों को समान समूहों के लिए आधार के तौर पर लिया गया था। यदि इन दो महीनों के लिए मुद्रास्फीति दर अनुमानित सीपीआई से तय की जाती है तो लगातार दो तिमाहियों जनवरी से मार्च, 2020 और अप्रैल से जून, 2020 के लिए कीमत वृद्घि की रफ्तार छह फीसदी को पार कर गई है। इसके अलावा, जुलाई में यह 6.93 फीसदी के साथ छह फीसदी से काफी ऊपर थी। यदि महंगाई सितंबर तक दर ऊंची रहती है तो यह लगातार तीन तिमाहियों में महंगाई दर 2 से 6 फीसदी के बीच रखने का लक्ष्य पार कर जाएगा।
कानूनी तौर पर उक्त लक्ष्य से चूकने पर केंद्रीय बैंक को सरकार को इस बाबत एक रिपोर्ट भेजनी होती है कि महंगाई लक्ष्य को काबू में रख पाने में विफल रहने की वजह क्या रही, उसे नियंत्रित करने के लिए बैंक का प्रस्तावित कदम क्या है और समयबद्घ तरीके से प्रस्तावित उपचारात्मक कार्रवाई करने के आधार पर कितने समय में इस पर काबू पा लिया जाएगा।
वित्त अधिनियम, 2016 के जरिये संशोधित आरबीआई अधिनियम के मुताबिक लक्ष्य 31 मार्च, 2021 तक के लिए वैध है।
अधिनियम के तहत मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को शामिल किया गया है जिसे मौद्रिक नीति के जरिये लक्ष्य को लागू करना है।
एक हालिया मौद्रिक नीति वक्तव्य एमपीसी ने कहा कि चूंकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अप्रैल और मई के लिए महंगाई दरें नहीं बल्कि अनुमानित सूचकांक मुहैया कराया है, अत: उसका मानना है कि मौद्रिक नीति तैयार करने और परिचालन के उद्देश्य से इन दो महीनों के लिए सीपीआई प्रिंट को सीपीआई शृंखला में रुकावट के तौर पर लिया जा सकता है।
हालांकि, विशेषज्ञ इन दो महीनों के लिए भी अनुमानित सूचकांक से महंगाई का आकलन कर रहे थे। इंडिया रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा, यदि अप्रैल और मई के लिए अनुमानित महंगाई का उपयोग किया जाता है तो लगातार दो तिमाहियों के लिए मुद्रास्फीति की दर छह फीसदी से अधिक होगी जो कि रिजर्व बैंक के लिए चिंता के संकेत हैं।
लेकिन, विशेषज्ञ मौद्रिक नीति की दृष्टि से अनुमानित सीपीआई पर विचार नहीं करने के एमपीसी के रुख से सहमत हैं।
पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणव सेन ने कहा अनुमान के आधार पर आकलन करने का यह गलत समय है। उन्होंने कहा, 'जब सामान्य परिस्थिति में आपके पास आंकड़े उपलब्ध नहीं होते हैं तो अनुमान के आधार पर आकलन करना ठीक है। यह एक असामान्य परिस्थिति है। आप यह नहीं कह सकते कि एक क्षेत्र दूसरे क्षेत्र की तरह व्यवहार करेगा। विभिन्न क्षेत्र अलग अलग तरीके से व्यवहार कर रहे हैं। मुझे अनुमान के लिए कोई वास्तविक आधार नजर नहीं आ रहा है।'
सेन ने कहा एमपीसी अपने इस रुख के साथ बिल्कुल सही है कि वह ऐसे समय पर अनुमान के साथ आगे बढऩे नहीं जा रही है। सेन फिलहाल इंटरनैशनल ग्रोथ सेंटर (आईजीसी) में कंट्री निदेशक हैं। पंत भी इस बात पर सहमत हैं कि एमपीसी का निर्णय सही है। इस बिंदु की पुष्टि के लिए उन्होंने कहा कि अप्रैल में सीपीआई का आकलन 59.5 फीसदी वस्तुओं के मूल्य के आधार पर किया गया था जो मई में बढ़कर 63.1 फीसदी वस्तुओं के मूल्य पर पहुंच गया।
उदाहरण के लिए मनोरंजन में मुद्रास्फीति मार्च के 4.4 फीसदी के मुकाबले अप्रैल 5.7 फीसदी और मई 5.5 फीसदी के साथ उच्च स्तर पर रही। हालांकि अप्रैल और मई ये गतिविधियां पूरी तरह से बंद थीं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि अनुमानित मुद्रास्फीति को नकारना रिजर्व बैंक के लिए ठीक कदम था।
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