संपूर्ण बदलाव की ओर आयकर विभाग | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली August 15, 2020 | | | | |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहचान रहित (फेसलेस) आकलन योजना शुरू किए जाने की घोषणा के बाद आयकर विभाग पूरी तरह से बदलाव की ओर बढ़ रहा है। इससे करदाता और कर अधिकारी के बीच भौतिक सामना खत्म हो जाएगा। देश भर में आकलन अधिकारियों के कम से कम 3,500 लोगों की तैनाती राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र और क्षेत्रीय केंद्रों पर की गई है। यह आदेश गुरुवार को प्रधानमंत्री की घोषणा के दो घंटे के भीतर जारी किया गया।
बहरहाल पुनर्आकलन, मौजूदा मामलों के स्थानांतरण, घरेलू ट्रांसफर प्राइसिंग मामलों, ट्रांसफर प्राइसिंग मामलों में विवाद निपटान प्रणाली के अलावा कई अन्य मामलों में स्पष्टता का अभाव है, जिससे कर अधिकारी उलझन में हैं। रातोंरात बड़े पैमाने पर बदलाव से सिस्टम के लोड संभालने की क्षमता और आकलन दस्तावेजों के प्रबंधन को लेकर भी सवाल हैं।
जांच, अंतरराष्ट्रीय कर और स्रोत पर कर (टीडीएस) को बदलाव की प्रक्रिया से बाहर रखा गया है और इस पर पुराने तरीके से काम जारी रहेगा।
पहचान रहित आकलन जहां गुरुवार से प्रभाव में आ गया है, पहचान रहित अपील 25 सितंबर से लागू होगी। पहचान रहित ई आकलन से न्याय क्षेत्र संबंधी मसला भी खत्म हो गया है और इसमें विवेकाधीन फैसले के विकल्प के रूप में टीम आधारित आकलन के रूप में सामने आया है। इसका मकसद पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और वस्तुनिष्ठता लाना है।
कर अधिकारी ने कहा, 'मोटे तौर पर करीब आधे आकलन अधिकारियों को पहचान रहित आकलन के काम में भेजा गया है और शेष आधे अधिकारी अब किसी आकलन में नहीं जाएंगे। उन्हें करदाताओं को सुविधा प्रदान करने के काम में लगाया जा सकता है। इस मामले में स्थिति साफ होने का अभी इंतजार है कि उनकी भूमिका और काम क्या होंगे।' नियमित सर्वे आयोजित करने का काम अब जांच या टीडीएस इकाई तक सीमित रहेगा।
कर अधिकारियों का कहना है कि इससे कुछ करदाताओं के खिलाफ साक्ष्य जुटाने का काम रह जाएगा, जिनका प्रिवेंटिव सर्वे किया जाएगा। अब ज्यादातर पहचान रहित आकलन व्यवस्था के तहत काम होगा।
एक और कर अधिकारी ने कहा, 'अभी इस पर स्पष्टीकरण का इंतजार है कि अगर कुछ करदाताओं के मामले में पिछले कुछ साल के दौरान के फंसाने वाले साक्ष्य मिलते हैं तो ऐसी स्थिति में क्या होगा और जिन मामलों में आय को लेकर तालमेल नहीं है और उनके रिटर्न का इंतजार है, ऐसी स्थिति में क्या होगा।' उन्होंने कहा कि पहचान रहित आकलन के साथ आय में आए अंतर का मामला कभी सिस्टम में नहीं आएगा, जिससे विभाग को राजस्व का नुकसान होगा।
सीबीडीटी ने निर्देश दिए हैं कि सभी आदेश एनएईसी द्वारा सिर्फ पहचान रहित आकलन योजना के लिए पारित होंगे, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मामले केंद्रीय मामले नहीं हैं। इस बात को लेकर स्थिति साफ नहीं है कि पुनर्आकलन का काम कौन करेगा, क्योंकि एनईएसी या क्षेत्रीय कार्यालयों में सिर्फ नियमित आकलन किए जाएंगे।
जयपुर के एक कर अधिकारी ने कहा, 'इस समय करीब 30 से 40 प्रतिशत मामले पुनर्आकलन से संबंधित हैं। इन मामलों को कौन देखेगा। इस काम को कौन देखेगा क्योंकि अब जांच या टीडीएस यूनिट के अलावा किसी सर्वे की अनुमति नहीं होगी।'
पुनर्आकलन का मतलब यह है कि जिन मामलों का आकलन पहले ही पूरा कर लिया गया है, उन्हें खोला जाना4 और करदाता की कुल आमदनी का फिर से आकलन करना, जिसमें उस आमदनी को शामिल किया जाता है, जिसे पहले के आकलन में छोड़ दिया गया है। यह आयकर अधिनियम की धारा 147 के तहत किया जाता है।
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