डिजिटल के लिए आपदा में अवसर | अनलॉक बीएफएसआई 2.0 वेेबिनार शृंखला | | बीएस संवाददाता / मुंबई August 14, 2020 | | | | |
कोरोना महामारी देश और दुनिया के लिए तो दुखदायी साबित हुई है मगर डिजिटल भुगतान उद्योग के लिए वह वाकई 'आपदा में अवसर' साबित हुई है। नोटबंदी में भी डिजिटल भुगतान को इतनी रफ्तार नहीं मिली थी, जितनी इस महामारी के कारण पिछले पांच महीनों में मिल गई है। बिजनेस स्टैंडर्ड की 'अनलॉक बीएफएसआई 2.0' वेबिनार शृंखला में आयोजित दूसरे वेबिनार में आज पैनलिस्टों ने कहा कि पांच महीने में उद्योग ने इतनी तरक्की कर ली है, जितनी 5-10 साल में हो पाती।
'ऑल रोड्स लीड टु द डिजिटल वल्र्ड' चर्चा के सूत्रधार बिजनेस स्टैंडर्ड के सलाहकार संपादक तमाल बंद्योपाध्याय थे। चर्चा में शामिल उद्योग प्रतिनिधि इस बात पर एकमत थे कि महामारी ने बड़े मौके खड़े कर दिए हैं मगर उनका फायदा उठाने के लिए कुछ चुनौतियों से निपटना पड़ेगा। वीजा के कंट्री मैनेजर (भारत एवं दक्षिण एशिया) टीआर रामचंद्रन ने कहा, 'हममें से हरेक खिलाड़ी डिजिटलीकरण के मौकों को लेकर उत्साहित है।' एमस्वाइप के संस्थापक एवं मुख्य कार्य अधिकारी मनीष पटेल के लिए सबसे बड़ी उम्मीद की बात यह है कि छोटे-मझोले उद्यमियों का रुझान ऑनलाइन भुगतान की ओर लगातार बढ़ता जा रहा है और वे बड़े भुगतान ऑनलाइन करना चाहते हैं।
एमस्वाइप के मनीष पटेल ने आगाह किया, 'भुगतान उद्योग में चुनौतियां हैं और कुछ चुनौतियों से जल्द निपटना होगा।' महामारी के कारण देश में डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता ही नहीं बढ़ी है, ग्राहक खुद भी इसकी वैसी हिमायत करने लगे हैं, जैसी कंपनियों के प्रवक्ता करते हैं। फोनपे के मुख्य कार्य अधिकारी समीर निगम ने कहा, 'कोविड के कारण इतने नए ग्राहक हमसे जुड़े, जितने नोटबंदी के दौरान भी नहीं आए थे। इसकी वजह शायद यह भी है कि म्युचुअल फंड तथा बीमा जैसी योजनाओं के बारे में डिजिटल शिक्षा पर बहुत जोर है। योजनाओं का आकार भी छोटा हो रहा है। वास्तव में आप भारत यानी अंदरूनी और कस्बाई भारत की बात करते हैं तो आपको 'सैशे' यानी छोटे आकार से ही मदद मिलेगी।'
बेशुमार ग्राहकों वाली व्हाट्सऐप भी इसी वजह से काफी समय से डिजिटल भुगतान में आना चाहती है मगर किसी न किसी वजह से अटकी हुई है। हालांकि अब लग रहा है कि डेटा स्थानीयकरण के सभी पैमाने पूरे करने के बाद जल्द ही उसकी सेवाएं शुरू हो जाएंगी, जिससे इस क्षेत्र में स्पद्र्घा भी बढ़ जाएगी। मगर गूगल पे के प्रबंध निदेशक एवं बिजनेस हेड सजित शिवानंदन स्पद्र्घा का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा, 'भुगतान उद्योग से ज्यादा स्पद्र्घा वाला कोई और क्षेत्र नहीं है और भारत जैसी स्पद्र्घा किसी दूसरे देश में नहीं है। इस क्षेत्र में ज्यादा खिलाड़ी आएंगे तो क्षेत्र खुद ही तरक्की करेगा।'
निगम ने कहा, 'मैं देरसबेर व्हाट्सऐप को कारोबार में देखना चाहूंगा। भुगतान क्षेत्र में जो पहल करता है, जरूरी नहीं कि उसे इसका फायदा भी मिले। मुझे नहीं लगता कि लोग हर तरह की ऐप्लिकेशन के लिए अपने बटुए का मुंह खोलेंगे और पैसे खर्च करेंगे। मुझे नहीं लगता कि व्हाट्सऐप के लिए भुगतान कारोबार आसान होगा। मुझे इससे कोई खतरा नहीं महसूस होता।' हालांकि भुगतान सेवा प्रदाताओं की कोई कमी नहीं है लेकिन कारोबारियों की मुश्किल आसान नहीं हुई है।
पटेल ने कहा, 'डेबिट कार्ड पर एमडीआर बहुत कम है लेकिन क्रेडिट कार्ड में यह वाकई ज्यादा है। यही कारण है कि कारोबारी क्रेडिट कार्ड स्वीकार नहीं करना चाहते। हमारे पास एक उत्पाद बैंक बॉक्स है जहां कारोबारियों को किसी तरह का शुल्क नहीं देना होगा। इस उद्योग में बदलाव जारी रहेगा।'
उन्होंने कहा कि शहरी आबादी और शहरी केंद्रों में डिजिटल भुगतान की दिशा में सहज बदलाव हो गया है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र अभी भी पीछे हैं। उन्होंने कहा कि यूपीआई पर ऋण सुविधा शुरू होने के बाद ग्रामीण इलाकों में प्रभाव बढऩा शुरू होगा।
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