अमेरिका का नियामक प्रतिभूति एवं विनियम आयोग (एसईसी) कुछ ग्राहकों के खाते से जुड़ी अनियमितताओं के आरोप में निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक की जांच कर रहा है। ऐसे आरोप हैं कि आईसीआईसीआई बैंक ने कुछ ग्राहकों के ऋण खातों को समय रहते गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घोषित नहीं किया था, जिस वजह से परिसंपत्ति वर्गीकरण मानकों का उल्लंघन हुआ था। बैंक द्वारा 31 जुलाई को दी गई जानकारी के अनुसार एसईसी ने बैंक से इन खातों के संबंध में विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है। इसके साथ ही ब्याज आय की कथित तौर पर गलत गणना, फीस के तौर पर गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की वसूली और ऋण के बदले कंपनियों से ली गई गिरवी पर भी बैंक से जवाब तलब किया गया है। ऐसी खबरें हैं कि बैंक ने प्रावधान के मद में रकम बचाने और मुनाफा अधिक दिखाने के लिए वित्त वर्ष 2008 और मार्च 2016 के बीच कम से कम 31 ऋण खातों के खिलाफ कार्रवाई में कथित तौर पर देरी की थी। एसईसी को भेजे अपने जवाब में आईसीआईसीआई बैंक ने कहा कि कुछ ऋण खातों में लेनदेन देखे गए थे, जिससे शुरुआती वर्षों में उन खातों को गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घोषित करने में देरी हुई होगी। हालांकि बैंक के अनुसार इन आरोपों से 31 मार्च 2020 को समाप्त हुए वर्ष या पूर्व की अवधियों के वित्तीय बहीखातों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इस पूरे मामले पर आईसीआईसीआई बैंक को भेजे ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया। सूत्रों के अनुसार एसईसी से कुछ संस्थागत निवेशकों से शिकायतें मिली थीं और उन्होंने 2018 में निगमित संचालन एवं खुलासा से जुड़े मामले की जांच मांग की थी। हालांकि उस समय बैंक ने ऐसी किसी जांच या नियामक से कोई निर्देश मिलने की बात से इनकार किया था। 26 जून 2018 को भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों को भेजी सूचना में बैंक ने कहा था कि उसे अमेरिकी एसईसी से बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ पर आरोपों को लेकर कोई सूचना नहीं मिली थी। अमेरिकी एसईसी को भेजे बैंक के जवाब का बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी अध्ययन किया है। बैंक ने जून तक कोछड़ के खिलाफ चल रहे मामलों का भी ब्योरा दिया है। आईसीआईसीआई बैंक पर लगे आरोप सिद्ध हुए तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है और अनुचित कारोबारी तरीका अपनाने वाले लोगों पर पाबंदी लग सकती है।
