देश में लागू हुआ करदाता चार्टर | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली August 13, 2020 | | | | |
देश में आज से करदाता चार्टर लागू हो गया है। इसके साथ ही पहचान रहित (फे सलेस) कर समीक्षा व्यवस्था भी पूरे देश में प्रभावी हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इन कदमों की घोषणा की। करदाता चार्टर के अनुसार आयकर विभाग अपने कदमों के लिए पूरी तरह जवाबदेह होगा और विभाग के काम से संतुष्ट नहीं होने पर करदाता प्रत्येक क्षेत्र में एक विशेष प्रकोष्ठ में अपनी शिकायत दर्ज करा पाएंगे।
इस चार्टर के माध्यम से पारदर्शी एवं उचित कर प्रणाली को बढ़ावा दिए जाने की पहल की गई है। चार्टर में करदताओं के अधिकारों का जिक्र है, जिन्हें अब आयकर अधिनियम में लाकर कानूनी जामा पहना दिया गया है। इसके साथ ही भारत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों की जमात में आ गया है, जहां करदाताओं के अधिकारों एवं हितों की रक्षा के लिए ऐसे प्रावधान किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने पहचान रहित अपील की व्यवस्था (फेसलेस अपील) की भी शुरुआत की और पहचान रहित समीक्षा (फेसलेस असेसमेंट) का दायरा बढ़ा दिया। इससे करदाता और आयकर विभाग के अधिकारी एक दूसरे के सामने ही नहीं आ पाएंगे। फेसलेस असेसमेंट के जरिये क्षेत्रीय अधिकार भी खत्म कर दिए गए हैं और समीक्षा कोई एक अधिकारी नहीं करेगा बल्कि पूरी टीम करेगी। इससे कर प्रणाली में अधिक से अधिक पारदर्शिता बहाल होगी।
मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये 'पारदर्शी कराधान- ईमानदार करदाताओं को सम्मान कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, 'सरकार ने कर प्रणाली को पुख्ता बनाने के लिए फेसलेस असेसमेंट, फेसलेस अपील और करदाता चार्टर जैसे बड़े सुधार किए गए हैं। इन उपायों से सरकारी हस्तक्षेप कम से कम रह जाएगा।'
इस बीच केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि जांच महानिदेशालय और कमीशनरेट ऑफ द टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स के अधिकारी ही सर्वेक्षण संबंधी कार्य कर पाएंगे। सीबीडीटी के इस आदेश के बाद करदाताओं के लिए सहूलियतें और बढ़ जाएंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस प्रणाली से पारदर्शी, सक्षम एवं जवाबदेह कर व्यवस्था शुरू हुई है।
फेसलेस असेसमेंट का विस्तार और करदाता चार्टर आज से ही लागू हो गए हैं तथा फेसलेस अपील की सुविधा 25 सितंबर से शुरू हो जाएगी। करदाता चार्टर की घोषणा वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में हुई थी। इसका मकसद करदाताओं के स्तर पर कर अनुपालन बढ़ाना और करदाता एवं कर अधिकारियों के बीच विश्वास बहाल करना है। कर कानून में शामिल होने के बाद अब कर विभाग के लिए इसे लागू करना अनिवार्य हो जाएगा। चार्टर में करदाताओं के मौलिक अधिकारों और बुनियादी मानक सेवाओं का जिक्र किया गया है।
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