'सरकार की पहल से स्वदेशी को बल मिलेगा' | टीई नरसिम्हन / August 13, 2020 | | | | |
बीएस बातचीत
रक्षा मंत्रालय ने 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है और इसे 2020 से 2024 के दौरान लागू किया जाएगा। रक्षा बलों के लिए लॉजिस्टिक वाहन बनाने वाली कंपनी अशोक लीलैंड के प्रबंध निदेशक विपिन सोढ़ी ने टीई नरसिम्हन से बातचीत में कहा कि इससे आईडीडीएम (स्वदेशी डिजाइन, विकास एवं विनिर्माण) में भागीदारी के लिए रक्षा उद्योग में विश्वास पैदा होगा। पेश हैं मुख्य अंश:
रक्षा मंत्रालय के इस निर्णय से उद्योग को किस प्रकार की मदद मिलेगी?
इससे इससे आईडीडीएम (स्वदेशी डिजाइन, विकास एवं विनिर्माण) में भागीदारी के लिए रक्षा उद्योग में विश्वास पैदा होगा। निजी कंपनियां क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेंगी। इस क्षेत्र में वृद्धि को रफ्तार मिलेगी।
उद्योग के लिए वृद्धि की क्या स्थिति होगी?
डीपीपी (रक्षाा खरीद प्रक्रिया) 2018 के तहत 50 वस्तुएं पहले से ही प्रतिबंधित हैं। अब उसमें कई अन्य वस्तुएं भी जुड़ गई हैं। इसका फायदा यह होगा कि हाल में शामिल किए गए उत्पाद पूर्ण उपकण हैं जिसका रक्षा बजट में उल्लेखनीय हिस्सा है।
इससे आत्मनिर्भर भारत और भारतीय रक्षा विनिर्माण उद्योग खासकर लॉजिस्टिक क्षेत्र को किस प्रकार बढ़ावा मिलेगा?
इस घोषणा के साथ ही तमाम स्वदेशी उपकरण विकसित किए जाएंगे जिनसे रक्षा लॉजिस्टिक उद्योग को बल मिलेगा। अब प्रतिबंधित वस्तुओं के बारे में चीजें स्पष्ट होने के साथ ही उद्योग अपने उत्पादों को सुदृढ़ करने के लिए काम करेगा। इससे आपूर्तिकर्ताओं को मूल उपकरण विनिर्माताओं के साथ भागीदारी करने का भी अवसर मिलेगा।
इसे सफल बनाने के लिए प्रमुख चुनौतियां क्या हैं?
मुख्य चुनौती आज किसी भी उत्पाद के लिए मंजूरी हासिल करने की लंबी प्रक्रिया और विभिन्न प्रकार के अनुबंधों की आवश्यकता है। इस समस्या को दूर करने की जरूरत है। इसके अलावा खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए भी एक सुझाव दिया गया है। सभी मंजूरियों के लिए एक नोडल पॉइंट सृजित किया जा सकता है। उसके बाद खरीद के विभिन्न चरणों, परीक्षण एवं मूल्यांकन को समयबद्ध तरीके से उपयुक्त बनाया जाना चाहिए। घरेलू डीडीएम (डिजाइन, विकास एवं विनिर्माण) को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
प्रौद्योगिकी सोर्सिंग चुनौती कैसे दूर होगी?
अधिकतर उपकरणों को हम भारत में बनाने में समर्थ हैं और प्रौद्योगिकी संबंधी कोई चुनौती नहीं है। भारतीय उद्योग इस सूची में शामिल अन्य उत्पादों को भी विकसित करने में समर्थ है। हालांकि कुछ नए उत्पादों को तैयार करने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
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