डायनेमिक बॉन्ड फंड में निवेश छह गुना बढ़ा | |
जश कृपलानी / मुंबई 08 13, 2020 | | | | |
डायनेमिक बॉन्ड फंड में जुलाई के दौरान निवेश में काफी बड़ी उछाल दर्ज हुई। इस फंड में निवेश छह गुना उछलकर 2,000 करोड़ रुपये के पार निकल गया, जो अप्रैल 2019 के बाद का सर्वोच्च संग्रह है जब निवेश का श्रेणीवार ब्योरे का खुलासा पहली बार हुआ था। यह डेट श्रेणी का हिस्सा है, जिससे म्युचुअल फंड के निवेशक मोटे तौर पर दूर रहते हैं।
इस श्रेणी में पिछले 12 महीने में औसत निवेश 2,193 करोड़ रुपये नकारात्मक रहा है। विशेषज्ञों ने कहा कि मजबूत रिटर्न के कारण निवेशक इन फंडों का विकल्प चुन रहे हैं, जो बॉन्ड बाजारों के प्रतिफल में नरमी के कारण देखने को मिल रही है।
प्राइमइन्वेस्टर डॉट इन की सह-संस्थापक विद्या बाला ने कहा, निवेशक अभी दो चीजों पर नजर डाल रहे हैं - सुरक्षा व रिटर्न। उन्होंने गिल्ट फंडों और कुछ डायनेमिक बॉन्ड फंडों में दो अंकों में रिटर्न देखा है और यही चीजें ज्यादातर निवेशकों को लुभा रही है। बाला ने कहा, निवेशकों की बीच यह धारणा भी है कि डायनेमिक बॉन्ड फंड मोटे तौर पर सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करता है। ऐसे में इसके साथ सुरक्षा की धारणा जुड़ी हुई है। इस श्रेणी के आठ फंडों ने एक साल में 10 से 15 फीसदी रिटर्न दिया है।
फरवरी 2019 से भारतीय रिजर्व बैंक ने रीपो दरों में 250 आधार अंकों की कटौती की है और यह 6.5 फीसदी से 4 फीसदी रह गया है। उसके बाद से 10 साल की सरकारी प्रतिभूतियों का देसी प्रतिफल 152 आधार अंक घटकर 5.85 फीसदी रह गया है।
विशेषज्ञों ने कहा, निवेशक इस श्रेणी पर इसलिए भी नजर डाल रहे हैं कि ऐसे फंड मार्क-टु-मार्केट असर कम करने में मदद कर सकते हैं, अगर नीतिगत दरें और प्रतिफल बढऩी शुरू होती है।
प्लान रुपी इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक अमोल जोशी ने कहा, दरें काफी कम हैं। आरबीआई के विराम के बाद हमने दरों में कुछ सख्ती देखी है। अगर दरें ऊपर का रुख करती हैं तो डायनेमिक बॉन्ड फंड इस असर का प्रबंधन बेहतर तरीके से कर सकता है क्योंकि उन्हें योजना के भीतर काफी लचीला रुख मिला हुआ है, जिसके जरिए ड्यूरेशन का प्रबंधन हो सकता है।
जब प्रतिफल और नीतिगत दरें ऊपर बढऩी शुरू होती है तब लॉन्ग ड््यूरेशन वाली प्रतिभूतियां मोटे तौर पर ज्यादा मार्क-टु-मार्केट असर देखती हैं क्योंंकि प्रतिफल में उतारचढ़ाव व ब्याज दरों में बदलाव को लेकर ये अपेक्षाकृत ज्यादा संवदनशील होते हैं।
हालांकि डायनेमिक बॉन्ड फंड में फंड मैनेजरों को छोटी अवधि वाली प्रतिभूतियों में अपने पोर्टफोलियो को तब्दील करने के लिए लचीला रुख अपनाने की अनुमति देता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे फंडों में गिरावट के जोखिम को थामने के लिए फंड मैनेजर का समय अहम होता है। अगर पोर्टफोलियो में लंबी अवधि की प्रतिभूतियां ज्यादा है तो मैनेजर प्रतिफल में बढ़ोतरी से पहले उसमें बदलाव कर सकते हैं। यह जानकारी एक डेट फंड मैनेजर ने दी।
इसकी शुद्ध तौर पर औसत प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 19,000 करोड़ रुपये से थोड़ी ज्यादा है, जो क्रेडिट रिस्क फंड (29,252 करोड़ रुपये) और मीडियम ड््यूरेशन फंड (20,963.63 करोड़ रुपये) से कम है, जिसने फ्रैंकलिन टेम्पलटन एमएफ की योजनाएं अप्रैल में बंद होने के बाद काफी निकासी देखी है।
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