देश में ईंधन की मांग में सुधार के बाद एक बार फिर इसमें नरमी आई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में जुलाई में ईंधन खपत में 11.7 प्रतिशत की कमी रही। इस बार जून के मुकाबले जुलाई में ईंधन मांग में 3.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। ईंधन खपत को आर्थिक गतिविधियों का आईना माना जाता है। इसमें अप्रैल में 45 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी। इसका कारण कोरोनावायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए 'लॉकडाउन' के कारण आर्थिक गतिविधियों का ठप होना था। हालांकि 'लॉकडाउन' में ढील के साथ मई और जून में मांग में तेजी आई। मासिक आधार पर खपत में वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि कुछ राज्यों और संक्रमित क्षेत्रों में फिर से लॉकडाउन लगाये जाने से खपत तेजी पर अंकुश लगा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जुलाई में ईंधन की मांग घटकर 1.567 करोड़ टन रही, जो एक साल पहले 2019 के इसी महीने में 1.775 करोड़ टन के मुकाबले 11.7 प्रतिशत कम है। वहीं इस बार जून में 1.624 करोड़ टन के मुकाबले जुलाई में खपत 3.5 प्रतिशत कम रही। पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के आंकड़े के अनुसार देश के ईंधन की कुल खपत में करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले डीजल की खपत जुलाई महीने में सालाना आधार पर 19.25 प्रतिशत घटकर 55.2 लाख टन रही। जून महीने में डीजल की खपत 63 लाख टन थी। पेट्रोल की मांग भी पिछले साल से 10.3 प्रतिशत घटकर जुलाई में 22.6 लाख टन रही।
