घरेलू इक्विटी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का निवेश प्रवाह सालाना आधार पर सकारात्मक हो गया है। बीते चार माह से विदेशी निवेशकों की ओर से सतत लिवाली की गई जिससे मार्च और अप्रैल में की गई बिकवाली की भरपाई करने में मदद मिली। मौजूदा समय में सालाना आधार पर इक्विटी में एफपीआई का निवेश 23 करोड़ डॉलर है। हालांकि डेट खंड में विदेशी निवेश अब भी ऋणात्मक है और यह 14.6 अरब डॉलर है। इस साल एफपीआई निवेश बेहतर रहा है और शुरुआती डेढ़ महीने में 3.5 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया गया। इसकी वजह से बेंचमार्क सूचकांकों में रिकॉर्ड तेजी दर्ज की गई। हालांकि कोरोना संकट से विदेशी निवेशकों का मनोबल कम हुआ और मार्च से अप्रैल के दौरान उन्होंने घरेलू शेयर बाजार से 10 अरब डॉलर से ज्यादा की निकासी की। उसके बाद से वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा उठाए गए प्रोत्साहन के उपायों से एफपीआई निवेश में नाटकीय बदलाव आया है। पिछले चार महीने में घरेलू शेयरों में 7.5 अरब डॉलर निवेश किए गए, जिससे बेंचमार्क सूचकांक 2020 के निचले स्तर से 40 फीसदी से ज्यादा चढ़ गया। वर्तमान में बेंचमार्क सूचकांक इस साल अब तक 7 फीसदी नीचे कारोबार कर रहा है। एफपीआई प्रवाह में तेजी 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड पर प्रतिफल में आई कमी के अनुरूप थी। मार्च के मध्य में 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल 1.2 फीसदी पर था, जो अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा बॉन्ड खरीदारी के बीच इस महीने के शुरू में घटकर 0.5 फीसदी से नीचे रह गया। डाल्टन कैपिटल एडवाइजर्स (इंडिया) के निदेशक यूआर भट्ट ने कहा, 'विकसित देशों में प्रोत्साहन उपायों की वजह से अतिरिक्त तरलता है और इनमें से कुछ भारत आ रही है।' विकसित और उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों ने अपनी बैलेंस शीट का विस्तार किया है और विकास को गति देने के लिए ये आगे भी ऐसा करना जारी रख सकते हैं। मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी का कहना है, 'केंद्रीय बैंक इसे लेकर स्पष्ट हैं कि वे अगले दो वर्षों के लिए नोटों की छपाई करेंगे। जैसे ही वे अर्थव्यवस्थाओं के वित्त पोषण के लिए नोटों की छपाई करेंगे, पूंजी की लागत घट जाएगी। हमारे देश को आर्थिक कायाकल्प के लिए ज्यादा एफपीआई और एफडीआई प्रवाह मिलेगा।' अप्रैल से इक्विटी बाजार में 7.5 अरब डॉलर का बड़ा हिस्सा हिंदुस्तान यूनिलीवर, कोटक महिंद्रा बैंक और भारती एयरटेल जैसी कंपनियों में बड़ी शेयर बिक्री से जुड़ा हुआ है। भट्ट ने कहा है, 'अप्रैल से, प्रवाह का बड़ा हिस्सा बड़े सौदों और प्रमुख कंपनियों द्वारा निर्गमों के जरिये आया।' इन शेयर बिक्री में एफपीआई की भागीदारी काफी अधिक है। तुलनात्मक तौर पर, द्वितीयक बाजार में एफपीआई द्वारा खरीदारी कमजोर बनी हुई है।' उन्होंने कहा कि एफपीआई उन कंपनियों को सुदृढृ बनाने में मदद करने को इच्छुक हैं, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि लॉकडाउन के बाद वे अच्छी वपासी कर सकती हैं।
