भारी बारिश से प्रभावित हवाईअड्डों की होगी जांच | रॉयटर्स / नई दिल्ली August 12, 2020 | | | | |
भारत के हवाई यातायात सुरक्षा नियामक ने देश के उन हवाईअड्डों की विशेष जांच करने की योजना बनाई है, जो भारी बारिश से प्रभावित हुए हैं। पिछले शुक्रवार को दक्षिण भारत के शहर कोझिकोड के एक हवाईअड्डे पर बारिश की वजह से रनवे पर उतरते वक्त एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान बोइंग 737 दुर्घटना का शिकार हो गया था, जिसमें 190 लोग सवार थे। इस दुर्घटना में 18 लोगों की मौत हो गई थी।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के प्रमुख अरुण कुमार ने कहा, 'हम मॉनसूनी बारिश से प्रभावित देश के प्रमुख और व्यस्त हवाईअड्डों की अतिरिक्त जांच करेंगे।'
कुमार ने कहा, 'हम रनवे की स्थिति, उसकी ढलान, लाइटिंग के इंतजाम और जलनिकासी सहित हर चीज की समीक्षा करेंगे।' उन्होंने कहा कि डीजीसीए की नियमित जांच के अतिरिक्त विशेष जांच होगी और इसमें चेन्नई, कोच्चि, त्रिवेंद्रम, मुंबई सहित करीब एक दर्जन हवाईअड्डे शामिल होंगे, जहां सालाना भारी बारिश होती है।
एयर इंडिया एक्सप्रेस सरकारी कंपनी एयर इंडिया की सस्ती विमान सेवा है। यह उड़ान कोरोनावायरस के कारण दुबई में फंसे भारतीयों को ला रही थी। इसका ब्लैक बॉक्स मिल गया है और उसके डेटा की जांच हो रही है। इस दुर्घटना की जांच का नेतृत्व भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो कर रहा है। कुमार ने कहा कि बोइंग और यूएस नैशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड भी इस कवायद में शामिल हैं।
उन्होंने कहा, 'जांच रिपोर्ट आने के बाद अगर कोई खामी सामने आती है तो हम उसे दुरुस्त करने के लिए तत्काल कदम उठाएंगे।' यह दुर्घटना भारत में एक दशक में हुई सबसे भीषण दुर्घटना है और दूसरी टेबल टॉप दुर्घटना है, जिसमें मौतें गुई हैं। टेबल टॉप रनवे ऊंचाई वाले इलाके में बनाए जाते हैं और दोनों छोर पर गहरी खाईं होती है। इसकी वजह से अगर पायलट कम या ज्यादा आकलन करता है तो खतरा बढ़ जाता है। कुमार ने कहा कि कालीकट हवाईअड्डा, जहां शुक्रवार को विमान दुर्घटना हुई थी, पायलट ने तीसरे मार्ग पर विमान उतारा, जिसकी वजह से विमान के रुकने के लिए वक्त बहुत कम था। उन्होंने कहा कि टेबल टॉप रनवे के लिए सख्त निायमकीय जरूरतें पूरी करनी होती हैं और यहां नियमित सुरक्षा जांच की जाती है।
2010 में इसी तरह के रनवे पर मंगलौर में एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और पहाड़ी की ओर नीचे गिर गया। इस दुर्घटना में विमान में आग लग गई थी, जिसमें 158 लोगों की मौत हुई थी। इस दुर्घटना की जांच कर रही सरकार की एक समिति ने सुझाव दिया था कि टेबल टॉप हवाईअड्डों पर इंजीनियर्ड मैटेरियल अरेस्टिंग सिस्टम (ईएमएएस) लगाया जाए। ईएमएएस एक विशेष सतह होती है तो रनवे के अंत में लगाई जाती है, जिससे विमान तुरंत रुक सके।
कुमार ने कहा कि एक दूसरी समिति ने ने सुझाव दिया कि अगर कालीकट में रनवे सुरक्षा क्षेत्र बढ़ा दिया जाए तो ईएमएएस की जररूरत नहीं होगी। इसके बाद रनवे सुरक्षा क्षेत्र बढ़ाकर 240 मीटर किया गया था।
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