निर्यात लाभ बढ़ाने के पक्ष में मंत्रालय | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली August 12, 2020 | | | | |
मर्केंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) में कटौती करने के फैसले का निर्यातकों और घरेलू उद्योग की ओर से आलोचना का सामना कर रहे वाणिज्य विभाग ने अब राजस्व विभाग को कहा है कि एमईआईएस के बाद की प्रस्तावित योजना में कुछ विस्तृत लाभों को जारी रखा जाना चाहिए।
वरिष्ठ सूत्र कहते हैं कि मंत्रालय ने बार बार एमईआईएस योजना को अप्रैल-दिसंबर की अवधि के लिए 9,000 करोड़ रुपये तक समेटने और लाभों के वितरण को एकतरफा कार्रवाई में निलंबित करने का विरोध किया है।
अधिकारी कहते हैं कि वाणिज्य विभाग ने अब सुझाव दिया है कि प्रस्तावित रेमिशन ऑफ ड्यूटीज ऑर टैक्सेज ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (आरओडीटीईपी) योजना के लाभों को निर्यातकों को सहयोग देने के लिए विस्तारित किया
जाना चाहिए।
इससे पहले अद्यतन की हुई आरओडीटीईपी योजना एमईआईएस के अद्यतित विकल्प के तौर घोषित की गई थी। यह 1 जनवरी, 2021 से शुरू होने के लिए तैयार है। हालांकि वित्त मंत्रालय की आपत्ति के बाद लाभों में भारी कटौती कर दी गई। अब वाणिज्य विभाग ने सुझाव दिया है कि यह एमआईईएस योजना की तरह के फॉर्मूले पर ही काम करे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'एक ओर जहां आरओडीटीईपी के लिए दरें तय हो रही हैं, वहीं यह सुझाव दिया गया है कि अब लाभ विस्तृत होने चाहिए और इसके दायरे में विनिर्माण उद्योग का एक बड़ा हिस्सा आना चाहिए।' हालांकि, यदि 50,000 करोड़ रुपये की कर छूट की आरंभिक प्रस्तावित लागत आगे जारी रहती है तो खर्चों में कटौती का तर्क बेकार हो सकता है।
बहुप्रतीक्षित योजना
2019-20 में 43,500 करोड़ रुपये की लागत वाली एमईआईएस को आगे के लिए विस्तार देने के बजाय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने वैश्विक निर्यातों के लिए मूल सामथ्र्य और संभावना के साथ चुनिंदा क्षेत्रों में वित्तीय स्रोतों को नई उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं में रखने के लिए कहा है। एमईआईएस के उलट आरओडीटीईपी का लक्ष्य कुछ चिह्नित क्षेत्रों, जहां सरकार को लगता है कि भारत के पास प्रतिस्पर्धी मजबूती हो, को समर्थन और कंपनियों को अपना आकार और पैमाना बढ़ाने में सहायता देना है। वरिष्ठ सरकारी सूत्र बताते हैं कि एमईआईएस के तहत सार्वजनिक कर देयता 2015-16 के 20,232 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 43,500 करोड़ रुपये हो गई, जो कि टिकाऊ नहीं रह गई थी। हालांकि, निर्यात 2014-15 के 310 अरब डॉलर के मुकाबले 2019-20 में 313 अरब डॉलर पर अटका हुआ था। राजस्व विभाग ने इस योजना को जारी रखने के खिलाफ तर्क दिया और इसे अपर्याप्त और बेकार करार दिया। उसने निर्यात नहीं बढऩे के बावजूद योजना के रखरखाव पर आने वाली लागत की ओर इशारा किया।
एमईआईएस को पिछले वर्ष ही रोका जाना था, लेकिन वाणिज्य विभाग ने अप्रैल में इसे 31 दिसंबर तक के लिए इसका विस्तार कर दिया था। हालांकि, विदेश व्यापार महानिदेशालय ने राजस्व विभाग और सीबीआईसी को 1 अप्रैल, 2020 की लदान बिल के लिए एमईआईएस के तहत पावती पत्र या प्रोत्साहनों के लिए आवेदनों के पंजीकरण पर रोक लगाने के लिए कहा। 20 जुलाई तक विभिन्न निर्यातकों को 422 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया गया। 23 जुलाई से ऑनलाइन एमईआईएस मॉड्यूल को भी बंद कर दिया गया है।
विदेश व्यापार नीति के तहत 2015 में शुरू किए गए एमईआईएस को पांच पारितोषिक योजनाओं का विलय कर तैयार किया गया था।
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