चाय में तेजी से मैकलॉयड को दम | ईशिता आयान दत्त / कोलकाता August 12, 2020 | | | | |
देशव्यापी लॉकडाउन के कारण फसल को हुए नुकसान से चाय की कीमतों में अप्रत्याशित तेजी आई है। यह चाय का उत्पादन और थोक कारोबार करने वाली सबसे बड़ी कंपनी मैकलॉयड रसेल इंडिया के लिए एक वरदान साबित हुआ है क्योंकि उसके अधिकतर ऋणदाता अब ऋण समाधान के लिए सहमत हो गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, अधिकतर ऋणदाताओं के बीच आम सहमति बन गई है कि दिवालिया कानून के तहत नीलामी के बजाय ऋण पुनर्गठन ही बेहतर विकल्प होगा। लेनदारों के समक्ष रखे गए ऋण पुनर्गठन संबंधी प्रस्तावों में चाय बागानों की बिक्री, प्रवर्तकों/निवेशकों द्वारा पूंजी निवेश और शेष ऋण को पुनर्गठित करना शामिल हैं।
मैकलॉयड फिलहाल करीब 2,000 करोड़ रुपये के ऋण बोझ तले दबी है। सूत्रों ने कहा, 'लेनदारों ने अब महसूस किया है कि ऋण पुनर्गठन ही सही विकल्प है क्योंकि नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के जरिये समाधान में 50 से 60 फीसदी तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऋण पुनर्गठन के जरिये एक निश्चित समयावधि में पूरी रकम की वसूली हो सकती है।'
पिछले दो महीनों के दौरान इस बाबत कम से कम दो बैठकें हो चुकी हैं। जबकि इस मामले को सुलझाने के लिए दो अन्य बैठक जल्द होने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा, 'लेकिन अब लगभग सभी लेनदारों के बीच सहमति बन गई है।'
सबसे अधिक संभावना इस बात की है कि किसी निवेश द्वारा कंपनी में पूंजी निवेश किया जाएगा और उसके बदले उसे कंपनी में हिस्सेदारी दी जाएगी। लेनदारों द्वारा गिरवी शेयरों को भुनाए जाने के बाद प्रवर्तकों- कोलकाता के खेतान परिवार- की हिस्सेदारी घटकर अब 18.32 फीसदी रह गई है। जबकि 31 मार्च 2019 को उनकी हिस्सेदारी 42.71 फीसदी रही थी। पिछले शुक्रवार को इंडसइंड बैंक ने 7.5 फीसदी प्रवर्तक हिस्सेदारी को भुनाने की घोषणा की थी क्योंकि मार्च 2020 में ऐतिहासिक निचले स्तर तक लुढ़कने के बाद मैकलॉयड के शेयर में लगातार सुधार दिख रहा था। ऋण समाधान की बढ़ती संभावना और चाय की कीमतों में तेजी आने से कंपनी के शेयर को रफ्तार मिली।
मैकलॉयड के ऋण पुनर्गठन के बारे में पिछले एक साल से चर्चा हो रही है। ऋण चुकाने के लिए मैकलॉयड ने वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2020 के बीच अपने 21 बागानों को बेचकर 900 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जुटाई। हालांकि इस बिक्री के बावजूद मैकलॉयड चाय उत्पादन करने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है जिसकी कुल उत्पादन क्षमता 5.5 से 5.8 करोड़ किलोग्राम है।
हालांकि चाय बागानों की बिक्री से प्राप्त रकम का इस्तेमाल लेनदारों के बकाये की अदायगी में किया गया लेकिन कंपनी ने उस समय एक व्यापक ऋण पुनर्गठन योजना तैयार नहीं की थी। इसलिए अब कंपनी की ऋण समस्या का एक समग्र समाधान की आवश्यकता है। लेनदारों को एसबीआई कैपिटल मार्केट्स द्वारा सलाह दी जा रही थी।
देशव्यापी लॉकडाउन और असम में बाढ़ की वजह से चाय के फसलों को काफी नुकसान हुआ है जिससे चाय की काफी किल्लत हो गई है। सूत्रों ने कहा कि जुलाई के अंत में करीब 17.5 करोड़ किलोग्राम चाय की कमी दर्ज की गई। इससे कीमतों में काफी तेजी आई है।
चाय बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि 25 जुलाई को समाप्त सप्ताह में कोलकाता नीलामी में चाय की औसत कीमत 297.64 रुपये प्रति किलोग्राम थी जबकि एक साल पहले यह कीमत 200.66 रुपये प्रति किलोग्राम रही थी। इसी प्रकार सिलिगुड़ी नीलामी में औसत कीमत पिछले साल की 142.23 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले बढ़कर 241.01 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।
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