इक्विटी योजनाओं से 7 साल में सबसे बड़ी निकासी | जश कृपलानी / August 11, 2020 | | | | |
म्युचुअल फंडों की इक्विटी योजनाओं से सात साल की सबसे बड़ी शुद्ध निकासी हुई है और जुलाई में कुल निकासी 2,480 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि आर्थिक अनिश्चितता के बीच बाजार की हालिया तेजी के टिके रहने को लेकर निवेशकों में भरोसा नहीं है और इसी वजह से निकासी हुई है।
अक्टूबर 2013 के बाद से इक्विटी योजनाओं से यह सबसे बड़ी शुद्ध निकासी है, जो अमेरिका में फेडरल रिजर्व की तरफ से बाजार में सस्ती दर पर डॉलर मुहैया कराने के समय हुई थी। तब 3,542 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी।
उद्योग पर नजर रखने वालों का कहना है कि बाजार में तेजी के बीच धनाढ्य निवेशक (एचएनआई) मुनाफावसूली कर रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी एन एस वेंकटेश ने कहा, इसकी वजह एचएनआई की तरफ से मुनाफावसूली हो सकती है और कुछ निवेशक बाजार से बाहर इंतजार कर रहे हैं।
मिरे ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी स्वरूप मोहंती ने कहा, निवेशकों को इस बात का भरोसा नहीं है कि बाजार की हालिया तेजी टिकी रहेगी या नहीं। लगता है कि नकदी संरक्षित रखने के लिए ऐसा होगा और निवेशक बाजार की तेजी को लेकर सहज नहीं हैं। मूल सूचकांक निफ्टी में जुलाई में 7 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। मार्च के निचले स्तर से 50 शेयरों वाला निफ्टी 48 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है जबकि कोविड-19 के प्रसार के बाद आर्थिक अनिश्चितता बरकरार है। उद्योग के आंकड़े बताते हैं कि चार वर्षों में इक्विटी योजनाओं से यह पहला नकारात्मक प्रवाह है (मार्च 2016 में 1,370 करोड़ रुपये)। इक्विटी योजनाओं से निवेश निकासी जुलाई में 22 फीसदी बढ़कर 16,622 करोड़ रुपये रही। मोहंती ने कहा, जोखिम को लेकर अंदाजा शॉर्ट ड्यूरेशन डेट स्कीम में हुए निवेश से लगाया जा सकता है। वैयक्तिक निवेशकों की तरफ से इन योजनाओं में मजबूत निवेश हुआ है, जो उनके कुल पोर्टफोलियो में संपत्ति आवंटन में मदद करेगा। डेट योजनाओं में शुद्ध निवेश 91,391.73 करोड़ रुपये रहा। लो ड््यूरेशन फंडों में सबसे ज्यादा 14,219.47 करोड़ रुपये का निवेश आया। लिक्विड फंडों में 14,055 करोड़ रुपये का निवेश आया। शॉर्ट ड््यूरेशन फंडों में 11,509 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ जबकि अल्ट्रा शॉर्ट ड््यूरेशन फंडों को जुलाई में 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश मिला।
मोटे तौर पर एएए रेटिंग वाली कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करने वाला कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों में 11,910.18 करोड़ रुपये का निवेश आया। एक डेट फंड मैनेजर ने कहा, जोखिम को लेकर अवधारणा के तहत निवेशक कॉरपोरेट बॉन्ड फंड और बैंकिंग व पीएसयू फंडों में रकम लगा रहे हैं। शॉर्ट ड््यूरेशन फंडों में शुद्ध रूप से 11,509 करोड़ रुपये आए। बैंकिंग व पीएसयू फंड श्रेणी को 6,323 करोड़ रुपये का निवेश मिला। निवेशकों ने हालांकि देसी इक्विटी योजनाओं से दूरी बनाई, लेकिन विदेशी बाजारों में निवेश वाली योजनाओं में निवेश में तेजी आई। फंड्स ऑफ फंड योजनाएं विदेशी बाजार केंद्रित होती है और उसमें 12 साल का सर्वोच्च मासिक निवेश हुआ और कुल 401 करोड़ रुपये मिले। यह पिछले माह के आंकड़े का दोगुना है। जुलाई में एसआईपी का योगदान 7,830.66 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले महीने से एक फीसदी कम है। मार्च में सबसे ज्यादा निवेश हासिल करने वाला एसआईपी खाता 9.37 फीसदी से ज्यादा घट गया। विशेषज्ञों ने कहा कि इसकी वजह यह हो सकती है कि कम रकम वाले नए एसआईपी खाते खुले हैं।
उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि एसआईपी योगदान अभी भी 7,500 करोड़ रुपये से ज्यादा है, जो मौजूदा माहौल में सकारात्मक आंकड़ा है। उधर, गोल्ड ईटीएफ में पांच माह का सबसे बड़ा निवेश देखा गया। जुलाई में गोल्ड ईटीएफ में कुल 921 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ।
इक्विटी योजनाओं में मल्टी-कैप फंडों से 1,033 करोड़ रुपये की निकासी हुई, जिसके बाद 579.1 करोड़ रुपये के साथ मिडकैप फंडों का स्थान रहा। लार्ज व मिडकैप फंडों से 466.75 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी हुई, वहीं लार्जकैप फंडों से 364.95 करोड़ रुपये की।
म्युचुअल फंड उद्योग की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां जुलाई के आखिर में 27.11 लाख करोड़ रुपये रही, जो एक महीने पहले 25.48 लाख करोड़ रुपये थी।
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