देसी दवाओं की बिक्री ने जुलाई में किया निराश | सोहिनी दास / मुंबई August 10, 2020 | | | | |
देसी दवा बाजार ने जुलाई में महज 0.2 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी दर्ज की, जबकि जून में इस बाजार में सुधार के संकेत नजर आए थे। थेरेपी के ज्यादातर क्षेत्रों की बिक्री की रफ्तार में गिरावट दर्ज हुई। कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के बाद से बाजार की रफ्तार पर दबाव रहा है और दवाई के नए पर्चे कम रह गए। मई में भारतीय दवा बाजार में 9 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई जबकि अप्रैल में इस बाजार में 11 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी। जून में हालांकि कुछ सुधार नजर आया और बढ़त की रफ्चार 2.4 फीसदी के सकारात्मक दायरे में रही।
मार्केट रिसर्च फर्म एआईओसीडी अवैक्स के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड संकट ने देसी बाजार की बढ़त की रफ्तार पर असर डाला है, हालांकि कुछ थेरेपी में जुलाई के दौरान सकारात्मक रफ्तार जारी रही।
क्रॉनिक थेरेपी की रफ्तार सकारात्मक बनी रही। उदाहरण के लिए हृदय रोग के इलाज वाले क्षेत्र में 13.1 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई जबकि मधुमेह रोधी क्षेत्र 5.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा। श्वसन संबंधी रोग के इलाज वाली दवा के क्षेत्र की रफ्तार हालांकि घटकर -2 फीसदी रह गई। लॉकडाउन में ढील के बाद संक्रमणरोधी दवाओं की बिक्री जुलाई में 10.2 फीसदी घटी। संक्रमणरोधी (खास तौर से एंटीबायोटिक्स) दवाओं की बिक्री मॉनसून के दौरान सामान्यत: बढ़ती है क्योंकि जुकाम व बुखार आदि ज्यादा देखने को मिलती है।
विटामिन की बिक्री में सुधार आया और जुलाई में उसमें 5.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई क्योंंकि ओटीसी इम्युनिटी बुस्टिंग दवाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। कई कंपनियों ने या तो नई दवाएं पेश की या ऐसे ब्रांडों पर दोबारा ध्यान केंद्रित किया। उदाहरण के लिए डॉ. रेड्डीज लैब ने न्यूट्रास्युटिकल ब्रांड उतारा जबकि जुवेंटस हेल्थकेयर की जिंक सप्लिमेंट जिंकोनिया के प्रति बाजार में रुझान रहा। जून की रफ्तार की आंशिक वजह पिछले साल का निचला आधार रही।
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