नकदी के लिए बेच रहे सोना? तो कैसे बेचें और कितना लगेगा कर | |
बिंदिशा सारंग / 08 09, 2020 | | | | |
सोने के दाम 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। ऐसे में बहुत से भारतीय परिवार वर्षों पहले खरीदे गए या उपहार में मिले गहनों पर कर्ज लेने या उन्हें बेचकर कुछ पैसा जुटाने को एक मौके के रूप में देख रहे हैं। कुछ को दुर्गेश राव (आग्रह पर नाम में बदलाव) जैसे हालात के कारण ऐसा करना पड़ रहा है। तीस साल ऊपर उम्र के दुर्गेश मार्च के मध्य में अपने बीमार माता-पिता से मिलने यूरोप से मुंबई आए थे। लॉकडाउन के कारण यूरोप वापस नहीं जा सके, इसलिए उनकी नौकरी चली गई। वह कहते हैं, 'मैं परिवार का कुछ सोना बेचकर वापस यूरोप जा सकता हूं और फिर से अपनी जिंदगी शुरू कर सकता हूं।' लेकिन इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि सोने की बिक्री इसकी खरीदारी जितनी आसान नहीं है।
भौतिक सोना बेचने पर कर रहे हैं विचार
सबसे अच्छा तो यह होगा कि आप उसी आभूषण विक्रेता को बेचें, जिससे आपने खरीदारी की थी। इसकी वजह यह है कि वह उसी शुद्धता के सोने की उतनी कीमत देगा, जिस पर उसने बिक्री की थी। एक अतिरिक्त फायदा यह है कि अगर आपके पास बिल नहीं भी है तो आभूषण विक्रेता के पास रिकॉर्ड होगा। लेकिन ऐसा करना हमेशा संभव नहीं है क्योंकि हो सकता है कि पूर्वजों से मिले आभूषण कहीं और से खरीदे गए हों या कई दशकों पहले खरीदे गए हों। ऐसी परिस्थितियों में किसी बड़े और प्रतिष्ठित आभूषण विक्रेता से संपर्क करें। वामन हरि पेथे ज्वैलर्स के निदेशक आदित्य पेथे ने कहा, 'आप किसी अन्य आभूषण विक्रेता से खरीदे गए स्वर्ण आभूषण, सिक्के और सिल्ली भी ला सकते हैं। इनका हॉलमार्क प्रमाणपत्र होगा तो बेहतर होगा। लेकिन अगर आपके पास यह नहीं है तो सोने की शुद्धता की जांच के लिए मशीन या तरीके मौजूद हैं।'
इंडियन बुलियन ऐंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के सचिव सुरेंद्र मेहता ने कहा, 'अगर आप 10,000 रुपये से अधिक का भौतिक सोना बेच रहे हैं तो आपको सराफ को अपना पैन और आधार कार्ड देना होगा। खरीद का बिल हमेशा मददगार रहता है, लेकिन आप ये दस्तावेज देकर बिल के बिना भी बेच सकते हैं। हालांकि इसके लिए एक हलफनामा देना होगा कि यह सोना आपका है। ऐसा स्वामित्व के सत्यापन और चोरी के माल की बिक्री से बचने के लिए किया जाता है।'
ज्यादातर लोग पड़ोस के आभूषण विक्रेता के पास जाने को तरजीह देते हैं क्योंकि इसमें आसानी होती है और सोना बिना रसीद और हॉलमार्क के बेचा जा सकता है। लेकिन वहां आपको कम कीमत मिलने के आसार होते हैं। सराफों का कहना है कि पास का सराफ कम से कम 3 से 4 फीसदी कम कीमत देगा।
सराफों के पास सोने की शुद्धता जांचने के लिए एसिड टेस्ट, इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी टेस्ट और एक्सएफआर टेस्ट जैसे कई तरीके हैं।
मेहता ने कहा, 'इन परीक्षणों की मुश्किल से ही कोई लागत आती है। अगर आपको लगता है कि आपका सराफ सही शुद्धता का सोना नहीं दे रहा है तो आप केंद्रों में जांच करा सकते हैं। बड़े और छोटे शहरों में ऐसे बहुत से केंद्र हैं। कई सराफों से संपर्क करना हमेशा बेहतर होता है। इससे यह पता चल जाता है कि कौन सबसे अच्छी कीमत दे रहा है क्योंकि कुछ सराफ 10 से 15 फीसदी तक कम दाम भी बोल सकते हैं।'
यह बात याद रखें कि असल बिक्री कीमत जानने का कोई मानक तरीका नहीं है। बहुत से सराफ और मुथूट फिनकॉर्प जैसी स्वर्ण ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां आपके घर के दरवाजे पर सेवाएं भी मुहैया कराती हैं।
स्वर्ण ऋण ले
यह सोने के प्रकार पर निर्भर करेगा। ट्रस्टप्लूटस वेल्थ मैनेजमेंट के एमडी और सीईओ समीर कौल ने कहा, 'अगर आपके पास गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड हैं और आपको उचित फायदा हो रहा है तो इन यूनिटों पर ऋण लेने के बजाय इन्हें बेचना बेहतर होगा।' वहीं भौतिक सोने पर इस समय ऋण लेना ज्यादा बेहतर विकल्प है क्योंकि आपको उचित ब्याज दर पर कर्ज की ज्यादा राशि मिल पाएगी।
भौतिक सोने पर कर
टैक्समैन के डीजीएम नवीन वाधवा ने कहा, 'आयकर अधिनियम में सोने के लिए विशेष नियम हैं। आम तौर पर व्यक्तिगत वस्तुओं की बिक्री से होने वाले किसी लाभ पर पूंजीगत लाभ कर नहीं लगता है, लेकिन सोने को अपवाद के रूप में रखा गया है।'
टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी में पार्टनर विवेक जालान ने कहा, 'अगर किसी को पूर्वजों से विरासत में या अपने रक्त-संबंधियों से उपहार के रूप में सोना मिलता है तो उस पर कोई कर नहीं है, लेकिन जब उसे बेचते हैं तो पूंजीगत लाभ कर लगता है।' अगर किसी सोने को तीन साल से कम रखा जाता है तो आपको अल्पावधि पूंजीगत लाभ (एसटीसीजी) कर देना होता है। इसमें आपके पूरे लाभ को आपकी आय में जोड़ा जाता है और आपके स्लैब के हिसाब से कर लगता है। अगर सोने को तीन साल से अधिक समय तक रखा जाता है तो इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी दीर्घावधि पूंजीग लाभ कर (एलटीसीजी) लगता है।
गैर-भौतिक सोने पर कर
जो लोग एक्सचेंज ट्रेडेडे फंड या डिजिटल सोना बेचने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए भी सोने के नियम समान ही हैं। केवल सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों (एसजीबी) के लिए नियम अलग हैं, जिन्हें सरकार ने भौतिक सोने की खरीद घटाने के लिए नवंबर 2015 में शुरू किया था। एसजीबी में निवेश अवधि के दौरान ब्याज मिलता है, जिस पर कर अन्य स्रोतों से आय की मद में लगता है। जालान ने कहा, 'लेकिन ब्याज आमदनी पर टीडीएस या टीसीएस नहीं लगता है। इसलिए व्यक्ति को आयकर रिटर्न भरत समय इस आय को कर योग्य आय में शामिल करना चाहिए।' अगर आठ साल बाद परिपक्वता के समय कोई पूंजीगत लाभ होता है तो उन पर कोई कर नहीं लगेगा। कर के अन्य नियम समान हैं।
पूंजीगत लाभ का गणित
भौतिक सोने के मामले में आपको खरीद की लागत तय करनी होगी। क्लियरटैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता ने कहा कि विरासत में मिले सोने के मामले में विक्रेता की खरीद लागत वह होती है, जिस पर वास्तविक स्वामी ने उसकी खरीद की थी। लेकिन कई बार कोई बिल नहीं होता क्योंकि सोना दशकों पहले खरीदा गया था। गुप्ता ने कहा, 'अगर वह लागत उपलब्ध नहीं है तो मूल स्वामी की खरीद की तारीख या 1 अप्रैल 2001 (इनमें से जो बाद में हो) के आधार पर उचित बाजार मूल्य (एफएमवी) निकाला जाना चाहिए। दीर्घावधि या अल्पावधि के आकलन के लिए रखने की अवधि में मूल मालिक के रखने का समय भी शामिल होगा।' अगर आपको सोना उपहार में दिया गया है तो खरीद की लागत उस व्यक्ति से तय होगा, जिसने उपहार दिया है। अन्य दिशानिर्देश समान हैं।
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