चीनी सामान के बहिष्कार का नहीं दिख रहा ज्यादा असर | अर्णव दत्ता, टी ई नरसिम्हन और विवेट सुजन पिंटो / नई दिल्ली/चेन्नई/ मुंबई August 09, 2020 | | | | |
पूर्वी लद्दाख में सीमा पर चीन के साथ झड़प के बाद देश में चीन और वहां से आने वाले उत्पादों का जोर-शोर से विरोध शुरू हो गया था। हालांकि करीब दो महीने बीतने के बाद लोगों में चीन के उत्पादों को लेकर वह तल्खी नहीं दिख रही है, जो 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के तत्काल बाद कुछ दिनों तक दिखी थी। दिल्ली के भगीरथ पैलेस में बिजली उपकरणों का कारोबार करने वाले अमित शर्मा और दूसरे कारोबारियों को लगा था कि गलवान झड़प के बाद चीन से आने वाले बिजली उपकरणों का लोग बहिष्कार करेंगे, लेकिन ऐसे लोग काफी कम हैं, जो चीनी सामान से परहेज कर रहे हैं। हालांकि चीनी वस्तुओं पर लोगों का गुस्सा भले ही बहुत अधिक नहीं फूटा है, लेकिन कोविड-19 से झुलसा कारोबार अब भी कराह रहा है।
दिल्ली इलेक्ट्रिकल टेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत आहूजा कहते हैं, 'सोशल मीडिया पर चीन से आने वाले उत्पादों के खिलाफ लोगों का भड़का गुस्सा बड़ा फर्क नहीं डाल पाया। हमें इक्के-दुक्के ग्राहक ही मिले हैं, जो चीन का सामान नहीं खरीदना चाहते थे।' आहूजा ने कहा कि यहां बिकने वाले 95 प्रतिशत से अधिक बिजली के उपकरण चीन से आते हैं। उन्होंने कहा कि केवल भारतीय सामान के बूते कारोबार करना असंभव है।
देश के दक्षिण हिस्से में भी चीन के प्रति लोगों का गुस्सा उमड़ा है, लेकिन इसका बहुत प्रभाव नहींं दिखा। ऑल इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश खूबचंदानी के अनुसार चीन के खिलाफ बने माहौल का वास्तविक असर दिखने मेंं अभी समय लगेगा।
मुंबई के इलेक्ट्रॉनिक बाजार लेमिंगटन रोड में भी बहिष्कार का असर केवल वहां लगे होर्डिंग एवं बैनरों तक ही सीमित है। हालांकि लेनेवो सहित चीन के ब्रांडों की चर्चा उतनी नहीं सुनाई देती है या उनकी नुमाइश बहुत अधिक नहीं हो रही है।
नई दिल्ली का नेहरू प्लेस हो या फिर मुंबई या चेन्नई के कारोबारी इलाके, हर जगह गिने-चुने लोग ही मिले जो विशुद्ध रूप से भारतीय सामान की खोज रहे थे।
हालांकि पूरे देश में कारोबारियों की समस्याएं खत्म होती नहीं दिख रही हैंं। बिक्री में नरमी और कारोबार तेजी से पटरी पर लाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी ने उनका उत्साह ठंडा कर दिया है। दिल्ली इलेक्ट्रिकल ट्रेडर्स के अनुसार भगीरथ प्लेस में ज्यादातर कारोबारियों की बिक्री कोविड से पहले के आंकड़ों की 20 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच पाई है। लोगों का आवागमन ठप रहने से कारोबार मंदा पड़ गया है। इतना ही नहीं, फरवरी से टेलीफोन सेवाएं (ज्यादातर एमटीएनएल की) ठप पड़ी हैं, जिससे कारोबारियों से संपर्क साधना भी कठिन हो गया है। उन्होंने कहा, 'पड़ोसी राज्यों से हमें काफी कम संख्या में ऑर्डर आ रहे हैं।'
शुरुआत में चीन से सामान की आपूर्ति प्रभावित होने से कारोबार पर असर जरूर हुआ था, लेकिन अब ऐसी बात नहींं है। इसके उलट बिक्री अधिक नहीं होने से गोदामों में सामान का भंडार पड़ा है और आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान टालने की नौबत आ गई है।
मुंबई के लेमिंगटन रोड और दिल्ली के नेहरू प्लेस में ग्राहक जरूर लौटे हैं, लेकिन कई लोकप्रिय ब्रांड के लैैपटॉप, स्मार्टफोन और अन्य उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं उपलब्ध नहीं होने से कीमतें 20 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। मुंबई में कुछ लोगों ने चीन के बजाय ताइवान से सामान आयात करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें अधिक कीमत चुकानी पड़ी है। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019-20 में चीन से 4.9 लाख करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं का आयात हुआ, जिनमें 29 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण थे।
(साथ में अनीश फडणीस और शुभायन चक्रवर्ती)
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