अगर एक अपीलीय न्यायाधिकरण के हाल के फैसले को नजीर माना गया तो भारतीय बैंकों को विदेशी बैंकों के जरिये निर्यातकों या आयातकों को कारोबारी सहायता के लिए रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नहीं देना होगा। दिल्ली कस्टम्स, एक्साइज सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (सीईएसटीएटी) ने स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर ऐंड जयपुर (एसबीबीजे) को 110 करोड़ रुपये की राहत दी है। एसबीबीजे का अब भारतीय स्टेट बैंक में विलय हो गया है। न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा कि बैंक रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत पहले का सेवा कर चुकाने को बाध्य नहीं है क्योंकि उसने विदेशी बैंक की सेवाएं नहीं ली हैं और उसने किसी धनराशि का भुगतान नहीं किया है। यह मामला अन्य सेवा कर और जीएसटी मामलों के लिए नजीर बन सकता है, जिनमें बैंकों को केवल निर्यातकों और आयातकों को महज कारोबारी सुविधा देने के लिए रिवर्स चार्ज पर कर चुकाने के लिए देनदार ठहराया गया है। कारोबारी सुविधा के लिए भारतीय बैंक निर्यातकों को सेवाएं देते हैं। वे विदेशी आयातक के बैंक को निर्यात दस्तावेज भेजते हैं और भुगतान प्राप्त करते हैं। इस मामले में भारतीय बैंक एसबीबीजे की भूमिका कारोबार के निर्यात या आयात से संबंधित भुगतान का निपटान करने तक सीमित थी, जिसके लिए वह निर्यातकों से सेवा शुल्क लेता है। ऐसे सभी विदेशी कारोबारी लेनदेन सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिये होना आवश्यक है, जिसका उल्लेख फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट ऐक्ट में है। केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर आयुक्त ने एसबीबीजे पर ब्याज एवं जुर्माने सहित 110.84 करोड़ रुपये की सेवा कर की मांग निकाली थी। इसमें कहा गया कि बैंक ने अक्टूबर 2010 से मार्च 2015 के बीच रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत विदेशी बैंक शुल्कों पर सेवा कर का भुगतान नहीं किया।
