इक्विटी योजनाओं से निकासी बढ़ी | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई August 07, 2020 | | | | |
मार्च के निचले स्तर से बाजार की अच्छी वापसी के बीच पिछले महीने म्युचुअल फंड की इक्विटी और हाइब्रिड योजनाओं में निवेश की शुद्घ निकासी हुई है। कोविड संकट में नकदी की जरूरतों को देखते हुए निवेशकों ने पैसे निकाले हैं।
मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि जुलाई में इक्विटी योजनाओं से करीब 3,500 से 4,000 करोड़ रुपये की निकासी हुई है। यह अनुमान करीब 88 फीसदी उद्योग के आंकड़ों पर आधारित है। पिछले चार साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब इस श्रेणी में इतनी ज्यादा निकासी हुई है। जून में महज 240 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था।
आर्बिट्रेज फंडों, बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों वाली हाइब्रिड योजनाओं से करीब 3,000 करोड़ रुपये की निकासी का अनुमान है। कुल मिलाकर इस साल इस श्रेणी से करीब 28,000 करोड़ रुपये का निवेश निकाला गया है। मिरे ऐसेट एमएफ के मुख्य कार्याधिकारी स्वरूप मोहंती ने कहा, 'बाजार में उतार-चढ़ाव निवेशकों को रास नहीं आ रहा है और मुनाफावसूली जोखिम को कम करने और सुरक्षित निवेश के लिए हो सकती है।' उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से निवेशकों ने मुनाफा नहीं कमाया था, ऐसे में इस बार बाजार में तेजी का उन्होंने फायदा उठाया है।
मुख्य इक्विटी श्रेणियों में एक साल का रिटर्न 0.9 से 7.8 फीसदी रहा जबकि निफ्टी 50 ने 1.6 फीसदी का रिटर्न दिया है। इसी तरह पांच साल का रिटर्न 3.6 से 5.7 फीसदी के दायरे में रहा है। विशेषज्ञों ने कहा कि कम रिटर्न की वजह से भी संभव है कि निवेशक सीधे तौर पर शेयर बाजार में निवेश को प्रेरित हुए हों।
यूनियन एमएफ में मुख्य कार्याधिकारी जी प्रदीप कुमार ने कहा, 'मार्च के निचले स्तर से बाजार ने निवेशकों की उम्मीद से बेहतर वापसी की है। बाजार में निकट अवधि में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है। इससे कुछ निवेशकों ने पैसे निकालकर गिरावट की स्थिति में फिर से निवेश करने का मन बनाया होगा। कारोबारी नकदी की किल्लत का सामना कर रहे हैं, ऐसे में उन्होंने भी पैसा निकालना बेहतर समझा होगा।' निफ्टी 50 इस साल 23 मार्च के अपने निचले स्तर से करीब 47 फीसदी चढ़ चुका है।
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) म्युचुअल फंडों में निवेश करने के लिए खुदरा निवेशकों के बीच खासा लोकप्रिय है। हालांकि जून में लगातार तीसरे महीने इसमें निवेश घटा है। जून में 7,930 करोड़ रुपये का निवेश किया गया जो मई की तुलना में 2.4 फीसदी कम है।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी एन एस वेंकटेश ने पिछले महीने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि सिप में निवेश घटने की वजह महामारी के कारण निवेशकों के पास नकदी प्रवाह प्रभावित होना है। इसके साथ ही उद्योग ने सिप स्थगित करने की भी सुविधा दी थी जिससे भी निवेश पर असर पड़ा होगा। अगर इक्विटी में निवेश इसी तरह का रहा तो उद्योग के मुनाफे पर असर पड़ सकता है क्योंकि इक्विटी योजनाओं के प्रबंधन का शुल्क आम तौर पर डेट फंडों की तुलना में अधिक होता है।
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