स्टार्ट-अप को ऋण अब प्राथमिक क्षेत्र के दायरे में | अभिजित लेले / मुंबई August 06, 2020 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) प्राथमिक क्षेत्र की उधारी (पीएसएल) के मानकों में बदलाव ला रहा है। केंद्रीय बैंक के इस कदम का मकसद स्टार्ट-अप और अक्षय ऊर्जा सेगमेंट के लिए उधारी का प्रवाह बढ़ाना और क्षेत्रीय असमानताएं दूर करना है। संशोधित मानक नई राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होंगे और इनमें समावेशी विकास पर मुख्य जोर रहेगा। आरबीआई ने एक बयान में कहा है कि संशोधित दिशा-निर्देशों का मकसद सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में मदद के लिए पर्यावरण अनुकूल उधारी नीतियों को प्रोत्साहित करना भी है।
इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जल्द ही जारी कर दिए जाएंगे। पीएसएल दिशा-निर्देशों को पिछली बार अप्रैल 2015 में संशोधित किया गया था।
प्राथमिक क्षेत्र की उधारी के प्रवाह में क्षेत्रीय अंसमानताएं दूर करने के लिए प्रोत्साहन ढांचा पेश किया गया है। उन चिन्हित जिलों में प्राथमिक क्षेत्र के ऋण के लिए ज्यादा भारांक दिया जाएगा जहां ऋण प्रवाह अपेक्षाकृत कम है। वहीं उन जिलों में प्राथमिक क्षेत्र की उधारी के लिए कम भारांक दिया जाएगा जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से ज्यादा है।
बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी ए के दास ने कहा कि प्राथमिक क्षेत्र की उधारी के लिए प्रोत्साहन योजना अर्थव्यवस्था में वृद्घि और सुधार को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय क्षेत्र के स्थायित्व की दिशा में काम करेगी।
सार्वजनिक क्षेत्र के एक अन्य वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि स्टार्टअप के लिए ऋण दायरे के विस्तार से उन्हें पीएसएल टैग मिलेगा। इस कदम से डिजिटल इकोसिस्टम में व्यावसायिक इकाइयों जैसे नए क्षेत्रों के युवा उद्यमियों द्वारा शुरू की गई नई कंपनियों के लिए ज्यादा पूंजी उपलब्ध होगी।
जोखिम आकलन के लिए बैंकरों के दृष्टिकोण में बदलाव की जरूरत होगी। आरबीआई का कहना है कि इस कदम का मकसद छोटे और सीमांत किसानों तथा कमजोर वर्गों के लिए उधारी के लक्ष्य बढ़ाना भी है।
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