अगस्त में कर्ज पुनर्भुगतान की मोहलत खत्म हो रही है, लिहाजा भारतीय रिजर्व बैंक ने खुदरा देनदारों को मदद की पेशकश की है। इसके तहत केंद्रीय बैंक ने पर्सनल लोन के लिए अपनी तरह के पहले कर्ज पुनर्गठन की इजाजत दी है। आरबीआई ने कहा, कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुई आर्थिक परेशानी से काफी देनदारों के लिए काफी वित्तीय दबाव देखने को मिला है। ऐसे में देनदारों पर इस दबाव के असर को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक ने एक ढांचे के तहत सहूलियत देने का फैसला किया है, जिसके तहत लेनदार कंपनी कर्ज और पर्सनल लोन के लिए समाधान योजना लागू कर पाएंगे, वहीं ऐसे कर्ज को मानक कर्ज के तौर पर वर्गीकृत किया जाएगा। योजना के तहत पर्सनल लोन के लिए समाधान योजना का इस्तेमाल 31 दिसंबर, 2020 तक किया जा सकता है और उसका क्रियान्वयन उसके बाद के90 दिन के भीतर होगा। मानक खाते के तौर पर वर्गीकृत देनदारों के खाते इस पुनर्गठन के पात्र होंगे, लेकिन 31 मार्च, 2020 तक यह खाता 30 दिन से ज्यादा समय तक डिफॉल्ट के दायरे में न रहा हो। साथ ही इस योजना के इस्तेमाल तक ये खाते मानक खाते के तौर पर वर्गीकृत होंगे। आरबीआई के दिशानिर्देश के मुताबिक, लेनदार इस तरह मिलने वाले भुगतान की समयसीमा में बदलाव कर सकेंगे, अर्जित ब्याज या अर्जित होने वाले ब्याज को एक अलग क्रेडिट सुविधा में तब्दील कर पाएंगे। इसके अलावा, योजना के तहत देनदार को मोहलत देने से पहले उनकी आय के स्रोतों का आकलन किया जाएगा, जो अधिकतम दो वर्षों का होगा और कर्ज की अवधि उसी के मुताबिक संशोधित होगा। अगर मोहलत दी जाती है तो वह समाधान योजना लागू होने के तुरंत बाद क्रियान्वित हो जाएगा। क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक कृष्णन सीतारामन के मुताबिक, महामारी के कारण खुदरा देनदारों ने दबाव का सामना किया है और इससे कर्ज चुकाने की उनकी क्षमता पर काफी असर पड़ा है। मोहलत से उन्हें पुनर्भुगतान में कुछ राहत मिली, लेकिन कर्ज पुनर्गठन से उन्हें लंबे समय के लिए राहत मिल जाएगी। हालांकि उन्होंने कहा कि आर्थिक चुनौतियों से परिसंपत्ति गुणवत्ता का मामला सामने आएगा। खुदरा क्षेत्र भी उससे अलग नहीं है क्योंकि उधार लेने वाले नकदी प्रवाह से जूझ रहे हैं। खुदरा क्षेत्र को अब तक सुरक्षित माना जाता रहा है, लेकिन खुदरा क्षेत्र में फंसा कर्ज अन्य क्षेत्रों के अनपात में ज्यादा तेजी से बढ़ेगा क्योंकि अन्य क्षेत्रों में एनपीए पहले ही ज्यादा है। आरबीआई के कदम से इस असर को कम करने में मदद मिलेगी। इक्रा के उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता ने कहा, पर्सनल लोन के पुनर्गठन से खुदरा क्षेत्र को राहत मिलेगी, जो नौकरियों या कारोबार के नुकसान और वेतन कटौती से दबाव में है। यह खुदरा देनदारों को अपना नुकसान घटाने की इजाजत देगा और दो साल की मोहलत ठीक-ठाक अवधि है, जिसमें हम अर्थव्यवस्था में कुछ हद तक सुधार की उम्मीद कर सकते हैं। आरबीआई की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि सार्वजनिक बैंकों के 80 फीसदी वैयक्तिक देनदार और निजी क्षेत्रों के 42 फीसदी देनदार ने 30 अप्रैल तक मोहलत का विकल्प चुना था। तब से बैंकों ने खुलासा किया है कि मोहलत वाले उनके खाते सिकुड़े हैं और मोहलत का विकल्प चुनने के मामले में कॉरपोरेट के मुकाबले खुदरा देनदार की संख्या ज्यादा है, जो वैयक्तिक देनदार के साथ नकदी प्रवाह की समस्या का संकेत देता है। पर्सनल लोन समाधान ढांचे के तहत वैयक्तिक देनदारों को आवंटित काफी ज्यादा मौजूदा कर्ज कवर होंगे, जिनके पुनर्भुगतान का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है और उन्हें पुनर्भुगतान में बदलाव के साथ भुगतान में मदद करेगा। यह कहना है पैसा बाजार डॉट कॉम के सीईओ नवीन कुकरेजा का। न सिर्फ देनदार बल्कि खुदरा कर्ज देने वाले लेनदारों को भी आरबीआई के कदम से लाभ मिलने की संभावना है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट रिसर्च के मुताबिक, महामारी के दौरान मुश्किल झेलने वाले खुदरा देनदारों के लिए इस तरह का समाधान एचडीएफसी बैंक, कोटक बैंक, बजाज फाइनैंस और एसबीआई जैसे लेनदारों के लिए सकारात्मक है, जिन्होंने खुदरा देनदारों को कर्ज दिया है। इसके अलावा आरबीआई ने स्वर्ण आभूषण गिरवी रखकर कर्ज लेने वालों के लिए लोन टु वैल्यू रेश्यो बढ़ाने का फैसला किया है। गैर कृषि मकसद के लिए यह अनुपात 75 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी कर दिया गया है। यह राहत 31 मार्च, 2021 तक उपलब्ध होगी और उसके बाद यह वापस 75 फीसदी पर आ जाएगा।
