कोविड की चोट पर आरबीआई का मरहम | अनूप रॉय और देव चटर्जी / मुंबई August 06, 2020 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति में दरों में कटौती पर विराम लगाते हुए दरों में कटौती का निर्णय आगे के लिए टाल दिया। हालांकि कोविड-19 के दबाव के बीच व्यक्तिगत और कारोबारी जगत के लिए कर्ज पुनर्गठन में ढील देने की पहल की है। छह सदस्यीय मौद्रिक समिति ने सर्वसम्मति से रीपो दर को 4 फीसदी और रिवर्स रीपो को 3.35 फीसदी पर यथावत बनाए रखने के साथ ही अपने रुख को भी उदार बनाए रखा है। केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्घि में संकुचन आएगा लेकिन बंपर फसल और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार से मुद्रास्फीति में थोड़ा इजाफा हो सकता है।
दरों में भले ही कटौती नहीं की गई हो लेकिन कर्ज पुनर्गठन को लेकर बाजार में खूब चर्चा रही। व्यक्तिगत ऋण (पर्सनल लोन) पुनर्गठन योजना दो साल तक चलेगी और इसमें किसी तरह की शर्त नहीं होगी जबकि कॉरपोरेट लेनदारों के लिए इसमें शर्तें जुड़ी होती हैं।
पुनर्गठन योजना का लाभ ऐसे लोग भी उठा सकते हैं जिन्होंने कर्ज भुगतान में स्थगन (मॉरेटोरियम) का फायदा लिया है। आरबीआई ने कहा कि ऐसे कर्ज का पुनर्गठन करते समय संबंधित खाते को 'स्टैंडर्ड' के तौर पर वगीकृत करना होगा। हालांकि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने ऑनलाइन संबोधन में मॉरेटोरियम की अवधि को अगस्त से आगे बढ़ाए जाने के बारे में कुछ नहीं कहा। इसका मतलब है कि जो इसका फायदा उठाना चाहते हैं, उन्हें पुनर्गठन में जाना होगा।
इसके अलावा आरबीआई ने सोने पर उसके मूल्य का 90 फीसदी तक ऋण लेने की सुविधा दी है। पहले 75 फीसदी तक ही कर्ज मिलता था। स्टार्टअप को भी ऋण के लिए प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा दिया गया है। केंद्रीय बैंक कार्ड और मोबाइल के जरिये ऑफलाइन रिटेल भुगतान शुरू करने की भी योजना बना रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि पुनर्गठन से बैंकों की सामान्य उधारी गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं क्योंकि दिसंबर तक वे ऐसे खातों का समाधान करने में व्यस्त रह सकते हैं। मॉरेटोरियम में कर्ज पर ब्याज को मूलधन में जोड़ा जा रहा था लेकिन पुनर्गठन में ब्याज दरों के साथ ही कर्ज भुगतान की अवधि में भी रियायत दी जाती है। इससे कर्जदारों को राहत मिलेगी, वहीं बैंकों पर थोड़ा असर पड़ेगा।
पुनर्गठन उन्हीं मामलों में होगा जो कोविड-19 से प्रभावित हुए हैं और इन खातों को स्टैंडर्ड माना जाएगा ताकि जरूरत पडऩे पर वे आगे भी कर्ज ले सकते हैं। यह पुनर्गठन 7 जून, 2019 को दबाव वाली संपत्तियों के समाधान के लिए बना गए नियमों के तहत किया जाएगा, जिसमें कुछ शर्तें होंगी।
वित्तीय मानदंडों के साथ ही क्षेत्र विशेष के बेंचमार्क दायरे में आरबीआई की मदद के लिए दिग्गज बैंकर केवी कामत की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा। 7 जून के मूल परिपत्र के अनुसार स्वामित्व में बदलाव की स्थिति में स्टैंडर्ड परिसंपत्ति श्रेणी को बरकरार रखने का प्रावधान है। लेकिन नए नीतिगत उपायों के तहत पहले के स्वामित्व की स्थिति में भी खाते को स्टैंडर्ड माना जाएगा। दास ने कहा कि कोविड के कारण हर क्षेत्र के कर्जदारों पर वित्तीय दबाव बढ़ा है। दास ने कहा, 'मौजूदा प्रवर्तकों वाली कई ऐसी फर्में हैं जिनका रिकॉर्ड अच्छा रहा है लेकिन कोविड के कारण उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।'सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम जिन पर 25 करोड़ रुपये तक का कर्ज है, वे भी पुनर्गठन का लाभ उठा सकते हैं। उद्योग ने पुनर्गठन योजना का स्वागत किया है।
कोटक महिंद्रा बैंक के मुख्य कार्याधिकारी और भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष उदय कोटक ने कहा, 'आरबीआई के निर्णय से उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा। केंद्रीय बैंक ने कुशल प्रारूप के तहत एक विंडो दी है जिससे ऋणदाता कंपनियों को दिए अपने कर्ज के लिए समाधान योजना लागू करने में सक्षम होंगे।' उन्होंने कहा, 'कोविड के कारण बैंकिंग क्षेत्र पर काफी दबाव है और ऐसे पुनर्गठन की सख्त जरूरत थी।'जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी शेषगिरि राव ने कहा, 'एकमुश्त कर्ज पुनर्गठन से स्टील सहित पूरे उद्योग को मदद मिलेगी। यह सही समय पर उठाया गया कदम है।'कोविड के कारण गैर-निष्पादित आस्तियां बढऩे की आशंका जता रहे बैंकरों ने भी इस कदम का स्वागत किया है। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, 'कोविड से संबंधित दबाव वाले ऋणों के लिए नया समाधान प्रारूप का हम स्वागत करते हैं। इससे कंपनियों, एसएमई और पर्सनल लोन जैसे खंड में कुछ राहत मिलेगी।'बंधन बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी चंद्रशेखर घोष ने कहा, 'कॉरपोरेट, पर्सनल के साथ ही एमएसएमई ऋणों को एकबारगी पुनर्गठन से कठिन समय में कर्जदारों को थोड़ी राहत मिलेगी, वहीं बैंकिंग तंत्र पर भी अच्छा असर पड़ेगा।' पुनर्ग्रठन की सुविधा उन्हीं कर्जदारों के लिए होगी जिन्होंने 1 मार्च, 2020 तक 30 दिन से ज्यादा का डिफॉल्ट नहीं किया है। इस तरह की सुविधा का लाभ इस साल 31 दिसंबर तक उठाना होगा और पर्सनल लोन के लिए 31 मार्च, 2021 तक और अन्य ऋणों के मामले में 30 जून, 2021 तक इसे लागू करना होगा।
कॉरपोरेट ऋण के मामले में कुछ शर्तें होंगी लेकिन पर्सनल लोन के पुनर्गठन के लिए कोई शर्त नहीं लगाई गई है।इसके अलावा आरबीआई ने सोने पर उसके मूल्य का 90 फीसदी तक ऋण लेने की सुविधा दी है। पहले 75 फीसदी तक ही कर्ज मिलता था। स्टार्टअप को भी ऋण के लिए प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा दिया गया है।केंद्रीय बैंक कार्ड और मोबाइल के जरिये ऑफलाइन रिटेल भुगतान शुरू करने की भी योजना बना रहा है।
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