दवा उद्योग की वृद्धि 4 से 6 फीसदी रहेगी | सोहिनी दास / मुंबई August 06, 2020 | | | | |
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा ने का मानना है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय औषधि उद्योग की वृद्धि 4 से 6 फीसदी रह सकती है।
वृद्धि के मोर्चे पर घरेलू दवा उद्योग रफ्तार मार्च से ही सुस्त रही है क्योंकि कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के कारण डॉक्टरों की पर्ची वाली दवाओं की बिक्री प्रभावित हुई है। हालांकि जून में उस दौरान कुछ सुधार दिखा जब इस क्षेत्र में 2.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई क्योंकि मई में करीब 9 फीसदी और अप्रैल में 11 फीसदी की गिरावट आई थी।
इक्रा के उपाध्यक्ष एवं सह-प्रमुख गौरव जैन ने कहा, 'भारतीय औषधि उद्योग के लिए वैश्विक मांग परिदृश्य काफी हद तक स्थिर बने रहने के आसार हैं क्योंकि पर्ची वाली दवाओं की वृद्धि को लॉकडाउन (कम ओपीडी एवं चुनिंदा सर्जरी) और कमजोर आर्थिक वृद्धि का झटका लग सकता है।'
जैन का मानना है कि कम विकसित देशों में कमजोर मांग का प्रभाव अधिक दिखेगा। इन देशों को कच्चे तेल में नरमी जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर इक्रा का मानना है कि कोविड प्रभाव के बावजूद वित्त वर्ष 2021 में भारतीय औषधि उद्योग की वृद्धि 4 से 6 फीसदी के दायरे में रहेगी।
हालांकि रेटिंग एजेंसी का मानना है कि वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2023 के दौरान घरेलू बाजार से दमदार मांग के बल पर वृद्धि 8 से 11 फीसदी के दायरे में रहने के आसार हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा तक लोगों की पहुंच बढऩे से दवाओं की बिक्री बढ़ेगी।
घरेलू बाजार में मूल्य नियंत्रण वाली दवा पोर्टफोलियो के लिए थोक मूल्य आधारित मूल्य सूचकांक में 1.88 फीसदी की वृद्धि से वित्त वर्ष 2021 में दवाओं की बिक्री को रफ्तार मिलेगी। वित्त वर्ष 2020 के दौरान भारतीय औषधि उद्योग की वृद्धि 8 फीसदी पर स्थिर रही।
|