आयकर विभाग की सघन जांच में कमी | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली August 06, 2020 | | | | |
आकलन वर्ष 2018-19 में रिटर्न दाखिल करने वालों और पैन धारकों के अनुपात के संदर्भ में देश में गुजरात सबसे अधिक कर अनुपालन वाले राज्य के रूप में उभरा है। आकलन वर्ष 2018-19 में गुजरात में कुल पैन धारकों में से 22.3 फीसदी लोगों ने रिटर्न दाखिल किया जिसके बाद दिल्ली का स्थान है जहां रिटर्न दाखिल करने वालों की दर 20.5 फीसदी है। इसके बाद 16.74 फीसदी के साथ पंजाब और 16.68 फीसदी के साथ तेलंगाना का स्थान है।
बड़े राज्यों की बात करें तो पैन धारकों की तुलना में रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या के आधार पर बिहार सबसे पीछे रहा जहां इसकी दर 5 फीसदी रही और 8.11 फीसदी के साथ उत्तर प्रदेश उससे ऊपर है। ये दोनों ही बड़े राज्य 12 फीसदी के राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे रहे। आयकर दाखिल करने के आंकड़े कर अनुपालन के सटीक संकेतक नहीं हो सकते क्योंकि सभी पैन धारकों को आयकर रिटर्न दाखिल करने की बाध्यता नहीं है।
कंपनियों और कारोबारियों पर शून्य आय के बावजूद आयकर दाखिल करने का उत्तरदायित्व है, वहीं व्यक्तियों के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं है।
व्यक्तिगत लोगों के मामले में 2,50,000 रुपये से अधिक की कुल आय वालों को आयकर दाखिल करना आवश्यक है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 3,00,000 रुपये की है।
संयोग से बिहार में जांच के लिए भी सबसे कम मामलों को लिया गया। यहां से 2018-19 में रिटर्न दाखिल करने वालों में से 0.08 फीसदी मामलों को ही जांच के दायरे में लाया गया। 2017-18 में इसकी दर 0.42 फीसदी रही थी। इस प्रकार इसमें बहुत तेज गिरावट देखी गई। इस मामले में बिहार के बाद झारखंड का स्थान है जहां से 2018-19 में रिटर्न दाखिल करने वालों में से महज 0.9 फीसदी मामलों को ही जांच के दायरे में लाया गया जो कि उससे पिछले वर्ष से 0.3 फीसदी कम है। आकलन वर्ष 2018-19 में आयकर दाखिल करने वालों में से आयकर विभाग की ओर से जांच के लिए उठाए गए मामले 0.25 फीसदी रहे जो उससे पिछले वर्ष के ऐसे 0.55 फीसदी मामलों के मुकाबले लगभग आधी है। आकलन वर्ष 2015-16 में आयकर जांच के मामलों की संख्या 0.71 फीसदी और आकलन वर्ष 2016-17 में 0.40 फीसदी रही थी। दिल्ली में जांच के लिए उठाए गए मामलों का अनुपात सर्वाधिक रहा। यहां आकलन वर्ष 2018-19 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों में से 0.52 फीसदी जांच का सामना कर रहे हैं। उससे पिछले वर्ष दिल्ली में यह संख्या 0.81 फीसदी रही थी। दिल्ली के बाद इस मामले में तेलंगाना का स्थान है जहां 0.5 फीसदी मामलों को जांच के लिए उठाया गया है।
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, 'आयकर विभाग में बदलाव आ रहा है। यह महज प्रवर्तन के बजाय बेहतर करदाता सेवाएं मुहैया करा रहा है। उसी के अनुरूप जांच के लिए चुने गए मामलों की संख्या में पिछले वर्षों के मुकाबले भारी कमी आई है।'
आकलन वर्ष वह वर्ष होता है जिसमें आयकरदाता वित्त वर्ष से पिछले वर्ष का रिटर्न दाखिल करता है। आयकर विभाग वित्त वर्ष में अर्जित आय का मूल्यांकन आकलन वर्ष में करता है।
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