इंडियाबुल्स हाउसिंग में बड़ा फेरबदल! | हंसिनी कार्तिक और रघु मोहन / मुंबई August 05, 2020 | | | | |
देश की तीसरी सबसे बड़ी आवास मॉर्गेज ऋणदाता इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस के प्रबंधन में बड़े फेरबदल के आसार हैं। सबसे पहले कंपनी के संस्थापक समीर गहलोत चेयरमैन पद से हट सकते हैं। गहलोत ने कंपनी की सहयोगी इंडियाबुल्स वेंचर्स के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और पूर्ण कालिक निदेशक का पदभार 25 जून को संभाला है।
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ प्रबंधन प्रतिनिधि ने कहा, 'वह एक साथ दो कंपनियों में कार्याधिकारी के पदों पर नहीं रह सकते, इसलिए गहलोत ने इंडियाबुल्स हाउसिंग से इस्तीफा देने का फैसला किया है।' उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक एस एस मूंदड़ा को गैर-कार्यकारी चेयरमैन बनाया जाएगा, जो इस समय इंडियाबुल्स हाउसिंग में स्वतंत्र निदेेशक हैं।
मूंदड़ा वर्ष 2017 तक भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। उन्हें अगस्त 2018 में तीन साल के लिए इंडियाबुल्स हाउसिंग के बोर्ड में शामिल किया गया था। हालांकि मूंदड़ा से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने ऐसे किसी घटनाक्रम से इनकार किया।
कंपनी के वाइस चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और सीईओ गगन बंगा ने किसी नाम का खुलासा नहीं करते हुए इस बात की पुष्टि की कि इंडियाबुल्स हाउसिंग में किसी प्रतिष्ठित और जाने-माने व्यक्ति की गैर-कार्यकारी चेयरमैन के रूप में नियुक्ति की जाएगी। इस हाउसिंग फाइनैंस कंपनी के बोर्ड की बैठक अगले सप्ताह होने के आसार हैं, जिसमें प्रबंधन में बदलावों को औपचारिक रूप दिया जा सकता है।
एक अन्य महत्त्वूर्ण घटना में इंडियाबुल्स हाउसिंग करीब 2,250 करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों का कहना है कि गहलोत इस निर्गम में शिरकत नहीं कर सकते हैं। शेयरधारकों ने क्यूआईपी, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय डिबेंचर और अन्य माध्यमों से रकम जुटाने के प्रस्ताव पर 29 जुलाई को मुहर लगा दी थी।
गहलोत के नेतृत्व में इंडियाबुल्स हाउसिंग के प्रवर्तकों और उनकी निवेश कंपनियों की 23.66 प्रतिशत हिस्सेदारी हैं। 5 अगस्त के 8,141 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण के अनुसार अगर गहलौत पूंजी जुटाने की प्रक्रिया में शिरकत नहीं करते हैं तो उनकी हिस्सेदारी कम होकर 18 प्रतिशत रह जाएगी। इस तरह, वे कंपनी में बहुलांश शेयरधारक का ओहदा भी खो देंगे। सूत्रों के अनुसार गहलोत की भागीदारी इस बात पर निर्भर करेगी कि रकम जुटाने की प्रक्रिया किस तरह आगे बढ़ाई जाती है। सूत्रों ने कहा, 'अगर राइट इश्यू के जरिये रकम जुटाई जाती है तो वह इसमें भाग ले सकते हैं, लेकिन क्यूआईपी के मामले में वह शिरकत नहीं करेंगे।' माना जा रहा है कि अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट क्यूआईपी पूरी तरह खरीद सकती है, जिससे कंपनी में उसकी करीब 22 प्रतिशत हिस्सेदारी हो जाएगी औैर वह निदेशक मंडल में अपने दो प्रतिनधियों को बैठाएगी। इस मामले पर कंपनी को ईमेल भेजा गया लेकिन कोर्ई जवाब नहीं आया।
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