प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में आज भूमि पूजन कर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास किया और कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय एकता व भावना का प्रतीक है तथा इससे समूचे अयोध्या क्षेत्र की अर्थव्यवस्था निखर जाएगी। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत 'सियावर रामचंद्र की जय' के उद्घोष से की। राम मंदिर को भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का प्रतीक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदियों का इंतजार आज खत्म हो रहा है। यह न सिर्फ आने वाली पीढिय़ों को बल्कि अनंतकाल तक पूरी मानवता को आस्था और संकल्प की प्रेरणा देगा। मोदी ने कहा कि राम मंदिर के लिए कई सदियों से चल रहा इंतजार आज पूरा हो गया। उन्होंने कहा, 'भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए कि इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास हुआ मगर राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति के आधार हैं।' प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार स्वतंत्रता दिवस लाखों लोगों के बलिदान और स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है, उसी तरह राम मंदिर का निर्माण कई पीढिय़ों के अखंड तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है। शिलान्यास में मौजूद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी को याद करते हुए कहा कि करोड़ों हिंदुओं ने मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष और बलिदान किया है। उन्होंने कहा कि रथयात्रा का नेतृत्व करने वाले आडवाणी अपने घर में बैठकर इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे। कितने ही लोग हैं जो आ सकते हैं लेकिन कोविड के कारण बुलाए नहीं जा सके। मोदी और भागवत दोनों ने विश्वास जताया कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला भव्य राम मंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्घ विरासत का प्रतीक होगा और पूरी मानवता को प्रेरणा तथा मार्गदर्शन देता रहेगा। मोदी ने कहा, 'जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जो हमारे राम से प्रेरित न हो। राम भारत की आस्था हैं, भारत के आदर्श हैं। उन्होंने कहा कि राम सबके हैं, सब में हैं और उनकी यही सर्वव्यापकता भारत का विविधता में एकता का चरित्र दिखाती है। राम का मंदिर भारतीय संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा, हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा, राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा। राम प्राचीन और आधुनिकता का समागम हैं।' अपने संबोधन के जरिये मोदी आगामी चुनावों खास तौर पर 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भी जमीन तैयार करते दिखे। उन्होंने राम मंदिर को राष्ट्रीय एकता, संस्कृति और सभी समुदायों का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने हमें कर्तव्य पालन की सीख दी है। अपने कर्तव्यों को कैसे निभाएं, इसकी सीख दी है। प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमें विरोध से निकलकर, बोध और शोध का मार्ग दिखाया है। हमें आपसी प्रेम और भाईचारे के जोड़ से राम मंदिर की इन शिलाओं को जोडऩा है।' मोदी ने कहा कि विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले देश इंडोनेशिया के साथ ही कंबोडिया, ईरान, श्रीलंका, थाईलैंड आदि में भी रामायण के कई रूप देखने को मिलते हैं। ऐसे सभी देशों में राम मंदिर का निर्माण शुरू होने का उत्साह है। उन्होंने कहा कि देश में जहां भी प्रभु राम के चरण पड़े हैं, वहां पर राम सर्किट का निर्माण किया जा रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के हाल के विवादित बयान को किनारे रखते हुए मोदी ने नेपाल को सीता की जन्मस्थली बताया। भागवत ने कहा, 'पूरे देश में खुशी की लहर है। सदियों की आस पूरी होने का आनंद है। लेकिन सबसे बड़ा आनंद यह है कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिस आत्मविश्वास और आत्मबोध की आवश्यकता थी, उसकी आज शुरुआत हो रही है।' उन्होंने कहा, 'पूरी दुनिया कोविड संकट का समाधान तलाशने में जूझ रही है। दो मार्ग (शायद उनका इशारा मुस्लिम और ईसाइयत की ओर था) को आजमा लिया गया। अब दुनिया तीसरे की ओर देख रही है। हमारे पास तीसरा मार्ग है, जिसे हम दुनिया को दे सकते हैं।' मोदी ने कहा कि राम मंदिर अयोध्या में व्यापक आर्थिक बदलाव लाएगा और सभी क्षेत्रों को इससे लाभ होगा। उन्होंने कहा, 'जब दुनिया भर के लोग भगवान राम की पूजा-अर्चना करने आएंगे तो अवसरों के नए द्वार खुलेंगे। यह राष्ट्रीय एकता को और मजबूती प्रदान करेगा।' प्रधानमंत्री ने इस मौके पर चीन का नाम लिए बिना उसे संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत ताकतवर है क्योंकि रामचरितमानस में लिखा है 'भय बिनु होइ न प्रीति' और अगर भारत शक्तिशाली नहीं होता तो शांति कायम नहीं हो सकती।भव्य राम मंदिर 85,000 वर्ग फुट में फैला होगा। मंदिर का नया नक्शा सोमपुरा भाइयों ने तैयार किया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा हिंदु मंदिर होगा। इसमें एक साथ 50,000 श्रद्धालु पूजा कर सकेंगे।
