बीएस बातचीत मारुति सुजूकी ने इस साल जुलाई में 1 लाख वाहनों के बिक्री स्तर तक पहुंचने के साथ ही उम्मीद जताई है कि यात्री कार बाजार अब पटरी पर लौटने लगा है। जबकि तमाम विश्लेषकों ने इसमें देरी लगने की आशंका जताई थी। मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने इन आकर्षक आंकड़ों को जारी करते हुए कहा कि कंपनी अब सामान्य बिक्री के लगभग करीब पहुंच गई है। हालांकि सुरजीत दास गुप्ता से बातचीत में उन्होंने कहा कि भविष्य की मांग के बारे में अनुमान लगाना फिलहाल कठिन है। पेश हैं मुख्य अंश: मारुति सुजूकी ने जुलाई में दमदार बिक्री दर्ज की है। इसकी मुख्य वजह क्या रही? बिक्री बढऩे मुख्य वजह अटकी हुई मांग रही। कोविड-19 के कारण मार्च के अंत में शुरू हुआ देशव्यापी लॉकडाउन काफी लंबी खिंच गया। इसकी वजह से मई के दूसरे सप्ताह में फैक्टरियों के सुचारु होने तक उत्पाद और बिक्री प्रभावित हुई। इससे जुलाई में बिक्री आंकड़े को 1 लाख के करीब लाने में मदद मिली।क्या आप इसे उद्योग में स्थिति सामान्य होने के रूप में देख रहे हैं? यह किसी महीने के दौरान कंपनी की सामान्य औसत बिक्री के करीब है। हम जिन वाहनों का उत्पादन कर रहे हैं वह हमारे गुडग़ांव और मानेसर संयंत्रों की महज 60 फीसदी क्षमता को दर्शाता है। साथ ही जुलाई के बिक्री आंकड़ों की तुलना जुलाई 2019 के बजाय जुलाई 2018 की आंकड़ों से करनी चाहिए। इसलिए कमजोर आधार से तुलना करने पर सही तस्वीर नहीं दिखेगी। जुलाई 2018 में कंपनी ने 1,54,000 वाहनों की बिक्री की जबकि पिछले महीने यह आंकड़ा घटकर 98,201 वाहन रह गया। हालांकि वास्तविकता यह है कि इस साल जुलाई की बिक्री अच्छी रही क्योंकि उसकी तुलना पिछले साल के कमजोर आधार से की गई है।आपके यहां कुल कितनी क्षमता है? गुडग़ांव और मानेसर के संयंत्रों में कुल क्षमता करीब 1.70 लाख वाहन प्रति माह है, ऐसे में अभी लंबा सफर तय करना बाकी है। वाहनों की बिक्री सिर्फ मांग पर निर्भर नहीं होती बल्कि इस पर भी कि कंपनी पर्याप्त उत्पादन कर रीह है और डीलरों की उपलब्धता है। लॉकडाउन के बाद अनलॉक होने पर भी उत्पादन प्रभावित हुआ है और कई डीलरों ने एक बार फिर कामकाज बंद कर दिया है। इससे बिक्री प्रभावित होती है। क्या आपने ग्राहकों के व्यवहार में किसी तरह का बदलाव देखा है? मारुति सुजूकी ने 5 लाख रुपये से कम वाले वाहनों की बिक्री में बढ़ोतरी देखी है और उसकी बिक्री कंपनी की कुल बिक्री में जुलाई में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4 फीसदी बढ़ गई। 5 लाख रुपये से कम वाले वाहनों की हिस्सेदारी कुल बिक्री में करीब 28 फीसदी होती थी, जो अब 32 फीसदी हो गई है। कई ग्राहक अब दूसरी कार लेना चाह रहे हैं, लेकिन वे अफोर्डेबल मॉडल को प्राथमिकता दे रहे हैं।अगले कुछ महीने मारुति के लिए बिक्री के लिहाज से कैसा रहने का अनुमान है? इसका अनुमान लगाना असंभव है कि मांग बढ़ेगी या नहीं। मैं वास्तव में यह अनुमान नहीं लगा सकता।
