कोविड प्रावधान से बैंकों के मुनाफे पर चोट | श्रीपाद ऑटे / मुंबई August 04, 2020 | | | | |
जून 2020 की तिमाही में ऋणों के भुगतान पर रोक से परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दबाव बना रहा। इस तिमाही में बैंकों को कोविड-19 से संबंधित अपने प्रावधान खर्च में लगातार इजाफा करना पड़ा है।
प्रमुख निजी बैंकों की पहली तिमाही के आय विश्लेषणों से संकेत मिलता है कि समग्र आधार पर, आकस्मिक प्रावधान परिसंपत्ति गुणवत्ता में कमी की वजह से किए गए। कोरोना महामारी से बैंकों के परिचालन लाभ का करीब 27 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित हुआ।
हालांकि यह प्रभाव सभी बैंकों के लिए उनके सेगमेंट और ग्राहक आधार तथा आंतरिक जोखिम आकलन के अलावा मार्च 2020 तिमाही में किए गए कोविड-19 से संबंधित प्रावधान की मात्रा आदि के आधार पर अलग अलग है।
दिलचस्प यह है कि पहली तिमाही में इन अतिरिक्त प्रावधान के साथ भी, इन बैंकों का कुल कोविड-19 प्रावधान समग्र आधार पर उनकी कुल अग्रिमों के एक प्रतिशत से नीचे बना हुआ है।
यह पिछले सप्ताह की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में प्रकाशित आरबीआई के दबाव परीक्षण विश्लेषण को देखते हुए अपर्याप्त लग रहा है। इस रिपोर्ट में निजी बैंकों का एनपीए अनुपात 3.1 प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत के बीच बढऩे का अनुमान जताया गया।
इसलिए, ऊंची ऋण लागत का दबाव बरकरार रहने की आशंका है। मोतीलाल ओसवाल में विश्लेषक नितिन अग्रवाल का मानना है, 'हालांकि बैंक स्वयं को अतिरिक्त प्रावधान से बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमारा मानना है कि ऋण लागत अल्पावधि में ऊंची बनी रहेगी।'
ऐक्सिस सिक्योरिटीज की वरिष्ठ विश्लेषक सिजी फिलिप का भी इसी तरह का मानना है। उन्होंने कहा, 'ऋण लागत काफी बढ़ गई है। लेकिन ऋण ईमआई स्थगन यानी मोरेटोरियम को देखते हुए परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर स्पष्टता सितंबर तिमाही के अंत में ही सामने आएगी।' उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि अगली कुछ तिमाहियों में ऋण लागत ऊंची बनी रहेगी।
अतिरिक्त कोविड संबंधित प्रावधान कई निजी बैंकों के लिए मोरेटोरियम में कमी दर्ज किए जाने के बावजूद था। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज में विश्लेषकों ने एचडीएफसी बैंक पर अपनी पहली तिमाही की रिपोर्ट में कहा है, 'हम अभी भी यही मान रहे हैं कि मोरेटोरियम अनुपात से किसी बैंक के लिए ऋण लागत अनुमान को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है।'
इसके अलावा मोरेटोरियम बुक के वर्गीकरण को लेकर सभी बैंकों द्वारा कोई मानक प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही है। विश्लेषकों का कहना है कि इस वजह से ऋणदाताओं के संग्रह की स्थिति/दक्षता ज्यादा महत्वपूर्ण है।
हालांकि संग्रह के मोर्चे पर, बैंक उत्साहित रहे हैं। उदाहरण के लिए, महामारी के प्रसार से पहले भी, आईसीआईसीआई बैंक ने अपने आंकड़ों का पूर्वानुमान व्यक्त करने के लिए आर्टीफिशियल इंटेलीजेंसी आधारित प्री-डेलिंक्वेंसी मैनेजमेंट इंजन का इस्तेमाल किया।
इस बीच, कोविड प्रावधान के साथ निजी बैंकों ने कुल प्रावधान और सालाना आधार पर आकस्मिक खर्च में 6-7 गुना का इजाफा दर्ज किया, हालांकि कई मामलों में इसमें तिमाही आधार पर कमी भी दर्ज की गई। कई बैंकों के लिए कम परिचालन लागत और बॉन्ड लाभ से ऊंचे प्रावधान का प्रभाव सीमित रहा। 10 बैंकों ने शुद्घ स्तर पर मुनाफा दर्ज किया, भले ही कर-पूर्व लाभ एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को छोड़कर कई बैंकों के लिए सालाना आधार पर 116 प्रतिशत तक घट गया। इन दोनों बैंकों को अपनी सहायक इकाइयों में हिस्सेदारी बिक्री की आय से भी मदद मिली।
|