बाजार में तीन हफ्ते में सबसे बड़ी गिरावट | सुंदर सेतुरामन / तिरुवनंतपुरम August 03, 2020 | | | | |
कर्ज भुगतान में छूट की अवधि (मॉरेटोरियम) को आगे बढ़ाए जाने की आशंका, कोविड के बढ़ते मामले और अमेरिकी डॉलर में उछाल ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया, जिससे बाजार में करीब दो फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। बाजार में लगातार चार दिन से गिरावट बनी हुई है। बेंचमार्क निफ्टी 174 अंक फिसलकर 10,900 पर बंद हुआ, वहीं बीएसई का सेंसेक्स 667 अंक नीचे 36,940 पर बंद हुआ।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा था कि उनका मंत्रालय आतिथ्य क्षेत्र के लिए कर्ज भुगतान में रियायत की अवधि को बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ काम कर रहा है। इस खबर से निफ्टी निजी बैंक सूचकांक में 3.2 फीसदी की गिरावट आई है।
पिछली बार रिजर्व बैंक ने मॉरेटोरियम की अवधि बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी थी लेकिन आतिथ्य क्षेत्र से इसकी अवधि और बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है। हालांकि बैंक इसके पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि कई कंपनियों जो कर्ज का पुनर्भुगतान करने में सक्षम हैं, वे भी इकस लाभ उठा रही हैं, जिससे बैंकों को नुकसान हो रहा है।
आरबीआई मौद्रिक नीति समिति इस बारे में 6 अगस्त को कोई निर्णय कर सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे बैंकों के पूंजी जुटाने की योजना भी प्रभावित होगी। यही वजह है कि निवेशकों ने बैंकिंग शेयरों में बिकवाली की है। कोटक महिंद्रा बैंक का शेयर 4.4 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ। इंडसइंड बैंक में 3.9 फीसदी और ऐक्सिस बैंक में 3.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
फस्र्ट ग्लोबल के संस्थापक शंकर शर्मा ने कहा कि बैंकिंग शेयरों में तेजी का दौर अब ठहर सकता है। उन्होंने कहा, 'बैंक मुश्किल में हैं। ऐसे में पिछले महीने से बाजार में जो तेजी थी, वह ठहर सकती है।'
कोविड के मामले बढऩे और शेयरों के मूल्यांकन में इजाफे से भी निवेशकों की चिंता बढ़ी है। पिछले चार कारोबारी सत्रों में बेंचमार्क सूचकांकों में 4 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। हालांकि सूचकांक अब भी मार्च के अपने निचले स्तर से करीब 40 फीसदी ऊपर कारोबार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डॉलर में मजबूती से भी बाजार पर असर पड़ा है। डॉलर में सुधार उभरते बाजारों में निवेश पर प्रतिकूल असर डालता है। इस बीच डॉलर के मुकाबले रुपया 20 पैसे नरम होकर 75.01 पर बंद हुआ।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि विनिर्माण पीएमआई के कमजोर आंकड़ों सेे भी बाजार में बिकवाली बढ़ी है।
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