हंसिनी कार्तिक | |
मुंबई / 08 03, 2020 | | | | |
मिड-कैप बैंकिंग शेयर होने के साथ साथ बंधन बैंक, आईडीबीआई बैंक, आईडीएफसी फस्र्ट बैंक, फेडरल बैंक, और सीएसबी बैंक के बीच एक सामान्य संबंध यह रहा है कि इनमें पिछले दो वर्षों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है।
जहां आईडीबीआई बैंक और आईडीएफसी फस्र्ट में इनके नए प्रबंधन ने इन्हें सही दिशा में बढऩे में निश्चित तौर पर योगदान दिया, वहीं सीएसबी के मामले में, बड़े बदलाव की जरूरत अस्तित्व संबंधी कारकों से मानी जा सकती है। विशेष रूप से, समग्र आधार पर पिछली पांच तिमाहियों में प्रत्येक में इन बैंकों के लिए एनपीए में कमी आई है। इसके अलावा, मूल्यांकन में भारी गिरावट के बीच ये शेयर तीन से पांच साल की अवधि वाले निवेशकों के लिए अनुकूल दिख रहे हैं। चेतावनी: आर्थिक अनिश्चितता और बैंकिंग उद्योग के लिए मोरेटोरियम बुक पर स्पष्टता के अभाव को देखते हुए, अगली कुछ तिमाहियां बैंकों के शेयर और उनके वित्तीय प्रदर्शन, दोनों के लिहाज से उतार-चढ़ाव वाली हो सकती हैं।
बंधन बैंक
सूक्ष्म वित्त ऋणदाता से एक मजबूत बैंक की छवि, गृह फाइनैंस के अधिग्रहण ने बंधन बैंक के विविधता प्रयासों की अवधि को संक्षिप्त बना दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि कई और योजनाएं पेश करने की गुंजाइश है और यदि बैंक दूरदराज के इलाकों में अपने ग्राहकों तक पहुंचने के संदर्भ में बढ़त बनाने के लिए कोविड-19 महामारी का इस्तेमाल करता है तो सालाना आधार पर 30 प्रतिशत की मजबूत वृद्घि संभव है। विदेशी शोध हाउस बन्र्सटीन की
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बंधन ग्रामीण जरूरतें पूरी करने के मामले में श्रेष्ठ बैंकों में शुमार है।
आईडीबीआई बैक
शुद्घ लाभ और 94.71 प्रतिशत के प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) वाली दो सफल तिमाहियों के साथ पुराने फंसे कर्ज अब आईडीबीआई बैक के बहीखाते से धीरे धीरे घट रहे हैं। सकल एनपीए अनुपात सालाना आधार पर 2.31 प्रतिशत घटकर 26.81 प्रतिशत रह जाने के बावजूद आंकड़ा अभी अनुकूल नहीं है। हालांकि संपूर्ण शुद्घ एनपीए आंकड़ा जून 2019 के 10,963 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2021 की पहली तिाही में 4,474 करोड़ रुपये रह गया, और शुद्घ एनपीए अनुपात 8.02 प्रतिशत से घटकर 3.55 प्रतिशत रह गया। त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे के तहत शामिल किए जाने से बैंक की उधारी गतिविधियां रुकी हुई हैं। इसलिए एनपीए अनुपात में पीसीए से निकलने के बाद ही सुधार दर्ज किया जा सकता है। शुद्घ ब्याज मार्जिन (एनआईएम) एक साल पहले के 2.13 प्रतिशत के मुकाबले वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में सुधरकर 2.81 प्रतिशत पर रहा और जमाओं में तेजी आने से भी आईडीबीआई बैंक आकर्षक दिख रहा है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक
बैंक को होलसेल से रिटेल ऋणदाता के तौर पर मजबूत बनाने की अपने प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी वी वैद्यनाथन की प्रतिबद्घता को पूरा करते हुए आईडीएफसी फस्र्ट बैंक अपने पुराने ऋण घटाने में सफल रहा है और अपनी जमाओं तथा ऋणों को होलसेल से रिटेल पोर्टफोलियो में पुनर्गठित कर रहा है। खुदरा जमाओं पर आकर्षक ब्याज की पेशकश के बावजूद बैंक प्रत्येक तिमाही में अपना मुनाफा या एनआईएम बढ़ाने में सक्षम रहा है। पिछले साल के 3.01प्रतिशत के मुकाबले पहली तिमाही में 4.53 प्रतिशत एनआईएम से उसकी सफलता का पता चलता है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का कहना है कि सस्ती लागत के चालू खाता, बचत खाता (सीएएसए) और खुदरा सावधि जमाओं का मध्यावधि में योगदान बैंक की उधारी में 50 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
फेडरल बैंक
दक्षिण-केंद्रित होने से पूरे भारत में धीरे धीरे विस्तार फेडरल बैंक के लिए आकर्षक थीम बन गया है। इसके कुछ मजबूत सेगमेंट (जैसे छोटे एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) के लिए स्वर्ण वित्त एवं ऋण) उत्तर भारतीय बाजारों में अब लोकप्रिय हो रहे हैं जिससे बैंक के विस्तार चरण को मदद मिल सकती है। वाहन ऋण और आवास ऋण जैसे सेगमेंट में बैंक का प्रवेश भी सकारात्मक है। परिसंपत्ति गुणवत्ता दबाव से जूझने (खासकर एसएमई क्षेत्र में) के बैंक के पिछले अनुभव और पहली तिमाही में करीब शून्य एनपीए (190 करोड़ रुपये धोखाधड़ी के तौर पर चिन्हित कॉरपोरेट ऋण खाते के लिए, छोड़कर) को देखते हुए प्रभुदास लीलाधर के विश्लेषकों का कहना है कि बैंक अपनी बैलेंस शीट मजबूत बना रहा है।
सीएसबी बैंक
307 रुपये की अपनी सूचीबद्घता कीमत से नीचे कारोार कर रहा यह शेयर उन निवेशकों के लिए अच्छा साबित हो सकता है जो जोखिम सहन करने की ज्यादा क्षमता रखते हैं। बैंक का 30 प्रतिशत बहीखाता स्वर्ण ऋण और 60 प्रतिशत केरल से जुड़ा हुआ है। बैंक ने भौगोलिक और उत्पाद विविधता केसंदर्भ में लंबा रास्ता तय करना है। इस बैंक में प्रेम वत्स समर्थित फेयरफैक्स की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है और हाल में मुंबई के बैंकर प्रलय मंडल को इसके रिटेल एवं एसएमई परिचालन का प्रमुख बनाया गया है। बहीखाते में तेज सुधार और शुद्घ एनपीए अनुपात वित्त वर्ष 2019 के 2.27 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2020 में 1.91 प्रतिशत रह जाना अच्छा संकेत है।
|