यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से लेनदेन में जुलाई में उससे पिछले महीने के मुकाबले 11 फीसदी की वृद्धि हुई है। यूपीआई से लेनदेन में इसके आरंभ के बाद से जून में अब तक का उच्चतम स्तर दर्ज किया गया था। जुलाई में लेनदेन जून में 1.34 अरब और मई में 1.23 अरब के मुकाबले बढ़कर 1.49 अरब हो गई। इससे साफ पता चलता है कि अधिक से अधिक संख्या में लोग नकद पर डिजिटल भुगतान को तवज्जो दे रहे हैं। मूल्य के संदर्भ में देखें तो जुलाई में यूपीआई से 2.9 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ जो 11 फीसदी अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस के कारण बहुत से नकद उपयोगकर्ता करेंसी नोटों के इस्तेमाल से परहेज कर रहे हैं। भुगतान करने के स्थल पर यूपीआई दूसरा भुगतान विकल्प बन रहा है। इसकी ओर न केवल नकद उपयोगकर्ता आकर्षित हो रहे हैं बल्कि कार्ड इस्तेमाल करने वालों में भी इसका आकर्षण बढ़ रहा है। उपभोक्ताओं के स्वभाव में मूलभूत बदलाव आया है जिसके कारण यूपीआई लेनदेन की संख्या लगतार बढ़ती जाएगी। एक ओर जहां अप्रैल में देशव्यापी बंदी के कारण लेनदेन में कमी आई थी, वहीं कठोर बंदी के बाद गतिविधियां शुरू होते ही डिजिटल भुगतान लेनदेनों में सुधार आया और यह लगभग कोविड से पहले के स्तर पर पहुंच गया। इमीडियट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) से लेनदेन की संख्या जुलाई में 22.21 करोड़ पर पहुंच गई जो जून के 19.891 करोड़ से 11.7 फीसदी अधिक है। मूल्य के संदर्भ में बात करें तो जुलाई में आईएमपीएस से होने वाला लेनदेन 2.25 लाख करोड़ रुपये का रहा जो जून के 2.06 लाख करोड़ रुपये से 7.37 फीसदी अधिक है। हालांकि, लेनदेन की संख्या के आधार पर आईएमपीएस कोविड से पहले के स्तर पर नहीं पहुंचा है। फरवरी महीने में आईएमपीएस से 24.8 करोड़ लेनदेन हुए थे। लेकिन मूल्य के सदर्भ में आईएमपीएस प्लेटफॉर्म कोविड से पहले के स्तर को पार कर चुका है। जहां तक भारत बिल पेमेंट सर्विस (बीबीपीएस) की बात है जुलाई में इस प्लेटफॉर्म से होने वाले लेनदेन में 14 फीसदी का इजाफा हुआ। उस महीने यह 1.764 करोड़ से बढ़कर 2.016 करोड़ पर पहुंच गया। बीबीपीएस ने कोविड पूर्व के स्तर को पार कर लिया है जिससे पता चलता है कि उपभोक्ता ई-भुगतानों की ओर बढ़ रहे हैं। मूल्य के संदर्भ में बात करें तो इसके जरिये होने वाला लेनदेन जून के 2,969.66 करोड़ रुपये से 24.8 फीसदी बढ़कर 3,707.44 करोड़ रुपये हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान है कि पांच वर्ष में डिजिटल माध्यमों से होने वाला भुगतान बढ़कर रोजाना 1.5 अरब लेनदेन पर पहुंच जाएगा।
