मंदी और बंदी के कारण लक्ष्य से बहुत दूर विनिवेश | अरूप रॉयचौधरी / नई दिल्ली August 02, 2020 | | | | |
भारी आर्थिक मंदी और वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण विनिवेश की प्रक्रिया नहीं चल रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक ऐसी स्थिति में वित्त वर्ष 2021 में 2.1 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल किए जाने की संभावना नहीं के बराबर है। बहरहाल केंद्र सरकार अब भी कुछ बड़ी हिस्सेदारी बेचने की कवायद में लगी है। अधिकारियों को भरोसा है कि दूसरी छमाही में भारतीय जीवन बीमा निगम की आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) लाने और भारत पेट्रोलियम या कॉन्कोर के निजीकरण का काम हो जाएगा।
कोविड-19 के कारण आई आर्थिक मंदी के पहले और केंद्रीय बजट पेश किए जाने के बाद विनिवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के अधिकारियों की योजना साफ थी। इसमें आईपीओ, बिक्री की पेशकश और अगले चरण में दो एक्सचेंज ट्रेडेड पंड भारत 22 ईटीएफ और सीपीएसई ईटीएफ और 4 सकारी कंपनियों के योजनाबद्ध विनिवेश के माध्यम से विनिवेश लक्ष्य पूरा किया जाना शामिल था।
इन कंपनियों में बीपीसीएल, कॉन्कोर, एयर इंडिया और शिपिंग कॉर्पोरेशन आफ इंडिया शामिल हैं। इनके अलावा छोटी रणनीतिक बिक्री की भी योजना थी, जिनमें सेंट्र्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और प्रोजेक्ट ऐंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड शामिल हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने अब पुष्टि की है कि एयर इंडिया के निजीकरण में बहुत देरी हो चुकी है और इस साल इसके निजीकरण की संभावना नहीं है क्योंकि वैश्विक महामारी के कारण उड्डयन क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में शामिल है और इसके कोविड के पहले के स्तर पर पहुंचने की संभावना फिलहाल नहीं है। वहीं दूसरी तरफ शिपिंग कॉर्पोरेशन के लिए रोडशो भी नहीं हो पाया है, जिसकी बिक्री में अभी और देरी होगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'लॉकडाउन के पहले बीपीसीएल और कॉन्कोर के लिए अंतरराष्ट्रीय व घरेलू रोड शो का आयोजन किया गया था, और इसमें हमें तमाम रुचियां मिली थीं।' उन्होंने कहा, 'जुलाई के अंत तक हमने विनिवेश के मोर्चे पर बहुत कार्रवाई नहीं की। लेकिन दूसरी छमाही में जब स्थिति थोड़ी सुधर जाएगी हम सौदा कर सकेंगे। हम तैयार हैं।'
दरअसल दीपम को उम्मीद है कि कम से कम एक आईपीओ, जो आईआरएफसी लिमिटेड का होगा, पहली छमाही में ही लाया जा सकता है।
2.1 लाख करोड़ रुपये विनिवेश लक्ष्य में 90,000 करोड़ रुपये सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बेचने से आएगा। इसमें ज्यादातर एलआईसी के आईपीओ से आने वाला है। इस साल एलआईसी के सबसे बड़े आईपीओ की योजना है। आईआरएफसी के अलावा अन्य आईपीओ और ओएफएस में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स (ओएफएस), मिधानी (ओएफएस), टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (आईपीओ), हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स (ओएफएस) और भारत डायनॉमिक्स (ओएफएस) शामिल हैं।
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा, 'वे (दीपम) इस पर दबाव देने की कोशिश करेंगे, लेकिन अभी सामान्य विनिवेश के लिए संभवत: बाजार सकारात्मक नहीं होगा। रणनीतिक बिक्री बेहतर काम करेगी।' उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि अब 2.1 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य बहुत ज्यादा है।'
कुल मिलाकर दीपम की प्रतिभा का आकलन चुनौती भरे इस वर्ष में होना है कि वह कितनी रणनीतिक बिक्री कर पाता है। पिछले सप्ताह ही दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि निजीकरण की मौजूदा योजना को पूरा करना सरकार की प्राथमिकता में है, भले ही कोविड-19 के कारण प्रक्रिया सुस्त हुई है।
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