टेलीविजन आयात पर प्रतिबंध लगने से चीनी कंपनियों पर पड़ेगी दोहरी मार | |
अर्णव दत्ता और शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली 08 02, 2020 | | | | |
कारोबारी गतिविधियों में व्यवधान और पुर्जों की आपूर्ति के संकट से टेलीविजन विनिर्माता मुश्किल में हैं। वहीं तैयार टीवी सेट के आयात प्रतिबंधित करने के हाल के नियमों से स्थिति और विकट हो सकती है। प्रमुख पुर्जों के दाम में तेज बढ़ोतरी और तैयार सेट के आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध से वन प्लस, श्याओमी, टीसीएल और रियलमी के साथ अन्य प्रमुख चीनी ब्रांड पर बुरा असर पडऩे की संभावना है।
इन प्रतिबंधों का असर उन कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गजों पर पड़ेगा, जो चीन और वियतनाम से आयात पर निर्भर हैं। प्रमुख ब्रांड श्याओमी 49 इंच से बड़े आकार के टेलीविजन का आयात चीन से करती है, जिस पर असर होगा।
अनुमान के मुताबिक देश का चौथा सबसे बड़ा टीवी ब्रांड करीब 20 प्रतिशत टेलीविजन का आयात करता है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, 'श्याओमी 2018 में एमआई टीवी पेश किए जाने के समय से ही भारत में स्मार्ट टीवी का विनिर्माण कर रही है। इस समय भारत में बिकने वाले हमारे एमआई टीवी का 85 प्रतिशत से ज्यादा स्थानीय रूप से विनिर्मित है।' कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड अप्लायंसेज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीईएएमए) के मुताबिक 2019 में भारत के स्थानीय टीवी बाजार में बिके 1.7 करोड़ सेट में से श्याओमी की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत रही है।
हालांकि चीन की टीवी दिग्गज टीसीएल की आयात पर निर्भरता कम नहीं है। अनुमान के मुतबिक वह अपने पोर्टफोलियो में 50 प्रतिशत चीन से आयात करती है। टीसीएल इंडिया के जनरल मैनेजर माइक चेन के मुताबिक तिरुपति (आंध्र प्रदेश) में स्थित संयंत्र को महंगे सेट के स्थानीयकरण में वक्त लगेगा। इस संयंत्र में 55 इंच तक के मॉडल तैयार हो रहे हैं और हाल के आदेश के बाद टीसीएल स्थानीयकरण बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि इस समय कंपनी 35 प्रतिशत टीवी का आयात अमेरिका, ब्राजील और थार्ईलैंड से करती है। स्मार्टफोन की दिग्गज कंपनियां वन प्लस और रियल मी तेजी से बढ़ते स्मार्ट टीवी बाजार में प्रवेश कर रही हैं। इनके अलावा भारतीय ब्रांड व्यू अपने करीब सभी टीवी का आयात करती हैं और यहां पर बेचती हैं। इन कंपनियों ने स्थानीय विनिर्माण की योजना बनाई है, वहीं कम अवधि के हिसाब से इनके कारोबार पर असर पडऩे की संभावना है।
भारत के ज्यादातर टीवी कारोबारियों को पुर्जों के दाम में तेज बढ़ोतरी डरा रही है। कोविड-19 के शुरुआती चरण में फरवरी में चीन से आपूर्ति बाधित होने के कारण कीमतें 30 से 40 प्रतिशत बढ़ीं, जबकि जुलाई में पैनलों के दाम 50 प्रतिशत तक बढ़ घए। फ्लैट पैनल का पूरी तरह आयात होता है और इसमें चीन की हिस्सेदारी अहम है। टीवी सेट के विनिर्माण में 65 प्रतिशत लागत पैनल की होती है। सुपरप्लास्ट्रॉनिक्स के सीईओ अवनीत सिंह मारवाह के मुताबिक कीमतों में बढ़ोतरी अब निश्चित है। उन्होंने कहा, 'लागत में इतनी तेज बढ़ोतरी कोई भी वहन नहीं कर सकता।' चीन की कंपनियों पर बोझ और बढ़ेगा, जो पहले से ही बहुत कम मुनाफे पर काम कर रही हैं। उदाहरण के लिए श्याओमी ने कहा है कि मुनाफा 5 प्रतिशत से भी नीचे रखना उसका मकसद है। सूत्रों ने कहा कि अन्य कंपनियां भी इस के आसपास मुनाफे पर काम कर रही हैं। बहरहाल टीसीएल के चेन ने कीमतों में किसी बढ़ोतरी की संभावना से इनकार किया है। उन्होंने कहा, 'हमने हमेशा कवायद की है कि ग्राहकों को दी जाने वाली गुणवत्ता शानदार हो। भारत कीमत को लेकर संवेदनशील देश है, जहां हम भारत के ग्राहकों के मुताबिक उत्पाद बनाते हैं, जिससे वे इनकी कीमतों का वहन कर सकें।'
चीन पर निशाना
भारत सरकार द्वारा 14 इंच से बड़े तैयार टीवी के आयात पर प्रतिबंध लगाने का मुख्य मकसद चीन और वियतनाम से होने वाले आयात पर अंकुश लगाना है। विनिर्माता अभी भी निर्यात लाइसेंस ले सकते हैं, लेकिन सूत्रों ने कहा कि इससे सरकार को चीन से होने वाले आयात पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, 'अलग अलग मामलों के आधार पर लाइसेंस जारी किए जाने की योजना है। इस तरह से अब अधिकारियों को अधिकार होगा कि वे चीन से होने वाले आयात पर सीधा नियंत्रण लगा सकें।'
भारत की चीन व वियतनाम से आयात पर निर्भरता बहुत ज्यादा है और स्थानीय मूल्यवर्धन कम बना हुआ है। सीईएएमए के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 20 के दौरान 25,000 करोड़ रुपये के टीवी बाजार में मूल्यवर्धन 24 प्रतिशत या 6,000 करोड़ रुपये का रहा।
स्थानीयकरण पर जोर से भारत के उपभोक्ताओं और स्थानीय विनिमर्नाताओं को मदद मिलेगी। दाइवा टीवी के संस्थापक और सीईओ अरुण बजाज ने कहा कि आयातित उत्पाद मानक उत्पाद होते हैं, जबकि स्थानीयकरण से फर्मों को अपने उत्पाद में बदलाव करने की स्वतंत्रता होगी।
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