वैश्विक बाजार में देसी आईटी कंपनियां दमदार | देवाशिष महापात्र / बेंगलूरु August 02, 2020 | | | | |
भारतीय आईटी सेवा उद्योग की वैश्विक सफलता के बारे में चर्चा अभी खत्म नहीं हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि विश्व के आईटी सेवा उद्योग में भारत अग्रणी है जबकि कुछ अन्य लोगों का मानना है कि अब भारत रफ्तार सुस्त पड़ गई है क्योंकि गूगल और माइक्रोसॉफ्ट की तरह कोई उल्लेखनीय प्रौद्योगिकी तैयार करने के मोर्चे पर वह विफल रहा है। दोनों पक्षों की अपनी दलीलें हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सॉफ्टवेयर एज अ सर्विस (एसएएएस) की बढ़ती स्वीकार्यता के साथ ही भारतीय कंपनियां वैश्विक आईटी सेवा उद्योग की बड़ी खिलाड़ी बन सकती हैं।
आरिन कैपिटल के चेयरमैन और इन्फोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी एवं बोर्ड सदस्य टीवी मोहनदास पई ने कहा, 'आज भारतीय आईटी सेवा उद्योग का आकार 150 अरब डॉलर से अधिक है। कोई अन्य देश इतनी अधिक मात्रा में आईटी सेवाओं का निर्यात नहीं करता है। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 10 (वैश्विक) आईटी कंपनियों में से पांच भारतीय हैं।' उन्होंने कहा, 'वैश्विक स्तर पर सॉफ्टवेयर सेवा उद्योग में भारत का वर्चस्व है।'
टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टीसीएस) 22 अरब डॉलर के राजस्व और 114 अरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण के साथ एक्सेंचर के बाद दूसरी सबसे बड़ी वैश्विक आईटी सेवा कंपनी है। जहां तक इन्फोसिस का सवाल है तो वह 13 अरब डॉलर के राजस्व आधार और 55 अरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण के साथ पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक आईटी सेवा कंपनी है। इसी प्रकार एचसीएल टेक्नोलॉजिज और विप्रो भी शीर्ष 10 की सूची में शामिल हैं। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय आईटी सेवा कंपनियों की तुलना गूगल या माइक्रोसॉफ्ट के साथ करना उचित नहीं है क्योंकि अमेरिका में प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उच्च स्तर के अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) का माहौल है।
पई ने कहा, 'किसी देश में उत्पादों के सृजन के लिए कुछ बुनियादी जरूरतें होती हैं। पहला, आपको एक विशाल घरेलू बाजार की जरूरत होगी। दूसरा, आपको पंूजी एवं कई तकनीकी संपन्न उपक्रमों की जरूरत होगी। फिलहाल भारत में ये सब उपलब्ध नहीं हैं। भारत में कुल आईटी खर्च फिलहाल करीब 30 अरब डॉलर है जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 1 लाख करोड़ डॉलर है।'
भारतीय आईटी सेवा उद्योग के उदय एवं विकास के इतिहास से पता चलता है कि घरेलू कंपनियों को 1990 के दशक में अमेरिकी उद्योग के खुलापन का फायदा मिला। उदारीकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था, खपत का झुकाव भी ग्राहक सेवाओं की ओर होना शुरू हो गया। इससे भारतीय कंपनियों के लिए अवसर पैदा हुए। वर्ष 1997 से 2003 की अवधि के दौरान घरेलू कंपनियों ने अपने व्यापक प्रतिभा आधार के साथ नई मांग को भुनाना शुरू किया। वर्ष 2003 से 2009 के दौरान सैप और ओरेकल जैसी बड़ी कंपनियों ने मांग को सहारा दिया। फिलहाल मांग को वेबएक्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशील लर्निंग (एमएल) एवं बिग डेटा जैसी नई प्रौद्योगिकी से रफ्तार मिल रही है।
आउटसोर्सिंग सलाहकार फर्म एवरेस्ट ग्रुप के संस्थापक एवं सीईओ पीटर बेंडर-सैमुअल ने कहा, 'भारतीय कंपनियों ने आईटी सेवा उद्योग में मूल्यवद्र्धन शृंखला को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। वे नए डिजिटल सेवा क्षेत्र की धुरी रही हैं और उन्होंने परामर्श एवं एकीकरण श्रेणियों में भी उल्लेखनीय भागीदारी करते हुए जबरदस्त लाभप्रद कारोबार खड़ा किया है जो वैश्विक सेवा उद्योग के लिए एक प्रमुख चुनौती है।' अधिकतर शीर्ष आईटी सेवा कंपनियों के कुल राजस्व में डिजिटल सेवाओं का योगदान 40 फीसदी से अधिक है।
|