इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर जारी संघर्ष हथियारों की होड़ जैसा हो गया है। यह स्वतंत्रता ऐसी तकनीक के विकास की पक्षधर है जिसे सेंसर कर पाना मुश्किल हो। सेंसरशिप की समर्थक लॉबी सेंसर के नए तरीके ईजाद करती रहती है। दुनिया भर में सर्वाधिकारवादी सरकारों की बड़ी संख्या को देखते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अब एक कीमती उत्पाद हो चुकी है क्योंकि ये सरकारें अपनी पूरी ताकत लगाकर उस हरेक चीज को रोकना चाहती हैं जो उन्हें नापसंद होती है। इस तरह 'वेब 3.0' में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए जारी संघर्ष का भी आंशिक योगदान होगा। सेंसर-विरोधी वेब 3.0 के विकास का एक तरीका ब्लॉकचेन संयोजन हो सकता है। इससे इंटरनेट का समूचा विन्यास ही बदल सकता है। सेंसरशिप पर लगाम लगाने वाले साधन के तौर पर ब्लॉकचेन का इस्तेमाल थोड़ा अटपटा लग सकता है लेकिन इसके काम पर गौर करें। एक ब्लॉकचेन आभासी मुद्रा की देखरेख के लिए बनाया गया एक वितरित इलेक्ट्रॉनिक खाता है। खुली पहुंच देने पर यह सार्वजनिक हो सकता है जबकि सीमित पहुंच पर निजी रहता है। ब्लॉकचेन को विकेंद्रित भी किया जा सकता है: अलग इकाइयां अलग ब्लॉक को नियंत्रित कर सकती हैं और ब्लॉकचेन की कई कॉपी भी हो सकती हैं। हरेक ब्लॉक एक ऐसा एड्रेस होता है जिसे निजी एन्क्रिप्शन की (कूटलेखन चाबी) वाली एक इकाई नियंत्रित करती है। समूची शृंखला को कई बार भी कॉपी किया जा सकता है। इन ब्लॉक में सुरक्षित डेटा को कई इकाइयां पढ़ एवं सत्यापित कर सकती हैं लेकिन डेटा में बदलाव उस ब्लॉक के निजी एन्क्रिप्शन की से ही किया जा सकता है। डेटा में बदलाव समय के साथ दर्ज होंगे और अगले ब्लॉक में वह नजर भी आएगा। एक ब्लॉकचेन को 'केवल पढऩे' के लिए मिली पहुंच को आसानी से खत्म नहीं किया जा सकता है, जो कई प्रतिलिपियों के मिररिंग इफेक्ट के कारण होगा। किसी भी ब्लॉकचेन को हैक करने और डेटा डिलीट करने या उसमें हेरफेर करने के लिए उस ब्लॉकचेन की सभी कॉपी को हैक करना होगा। अब कंपनियों ने आंतरिक धांधली पकडऩे के लिए ब्लॉकचेन का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए ब्लॉकचेन के इस्तेमाल का शुरुआती उदाहरण 2018 में पेकिंग यूनिवर्सिटी में देखा गया था। एक छात्रा ने यौन हमले की शिकायत के बाद खुदकुशी कर ली थी। उसके दोस्तों ने प्रशासन पर मामले की लीपापोती के आरोप लगाए तो उनके खातों को सेंसर कर दिया गया। फिर आरोपों वाला एक पत्र ब्लॉकचेन के जरिये प्रसारित किया गया। यह पत्र आभासी मुद्रा इथेरियम के लेनदेन संबंधी आंकड़ों में छिपाकर भेजा गया था। मामला बढ़ता देख प्रशासन ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को इथेरियम के लेनदेन संबंधी आंकड़ों तक संपर्क बाधित करने के निर्देश दिए। ब्लॉकचेन पर बना एक इंटरनेट वेबसाइट होस्ट करने के लिए ब्लॉक का इस्तेमाल करेगा। या फिर इन ब्लॉक का इस्तेमाल ऐसे लिंक रखने के लिए किया जा सकता है जो उपयोगकर्ताओं को डेटा भंडारों की तरफ भेज दें। इंटरनेट के मौजूदा विन्यास से तुलना करें जिसमें संख्या आधारित इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) एड्रेस का ताल्लुक यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) से होता है। डोमेन नाम वाली इस प्रणाली की देखरेख गैर-लाभकारी संस्था आईसीएएनएन करती है। यह इंटरनेट प्रणाली का केंद्रीकृत ढांचा है। इसमें सरकारों के लिए वेबसाइट को ब्लॉक करना, उन्हें हैक करना या स्वामित्व के बारे में पता लगाना आसान होता है। इसके बजाय डेटा एवं ऐप दोनों को ही ब्लॉकचेन से होस्ट कर सकते हैं। हालांकि बिटकॉइन का मौलिक ब्लॉकचेन थकाऊ एवं धीमा है लेकिन इसका बड़ा कारण यह है कि कंप्यूटर नए बिटकॉइन के लिए सघन गणनाएं करता है और हरेक लेनदेन की पुष्टि करनी होती है। अगर गैरजरूरी गणनाओं को हटा दिया जाए और अभिव्यक्ति की आजादी (एफओई) को मुखर करने वाला ब्लॉकचेन बनाएं तो काफी तेजी आ सकती है। अगर एफओई ब्लॉकचेन को इसी सिद्धांत पर बने विकेंद्रित क्लाउड पर होस्ट किया जाता तो उसमें दखल दे पाना और भी मुश्किल होता। सरकारें इंटरनेट बंद करने या 4जी सुविधा न देने जैसे तरीकों के इस्तेमाल के लिए मजबूर हो सकती हैं। इससे एक तरह से सेंसरशिप का मकसद ही धराशायी हो जाता है क्योंकि यह साफ हो जाता है कि कुछ चीजें छिपाई जा रही हैं। वैसे भी इस मामले में भारत का प्रदर्शन खासा कमजोर रहा है। ब्लॉकचेन आधारित इंटरनेट संरचना के कुछ नकारात्मक पहलू भी होंगे। कुछ ही लोग इन ब्लॉकचेन को डिजाइन करेंगे, लागू करेंगे और उनकी देखरेख करेंगे। इस तरह सेंसरशिप निजी क्षेत्र की कंपनियों के वश में हो जाएगी, उन्हें दबाव में लाया जा सकता है। हम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के संदर्भ में पहले ही इस दोषपूर्ण प्रक्रिया को देख चुके हैं। फोन एवं लैपटॉप की अगर चोरी हो गई तो एन्क्रिप्शन की भी हैक हो सकती हैं। ब्लॉकचेन का इस्तेमाल बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री के भंडारण या बम बनाने के तरीके बताने के लिए भी किया जा सकता है लिहाजा इसके होस्ट के कानूनी दायित्व के बारे में भी सोचना होगा। सरकारें अब रिकॉर्ड रखने के लिए ब्लॉकचेन का इस्तेमाल शुरू कर रही हैं। माल्दोवा बाल तस्करी रोकने के लिए ब्लॉकचेन का इस्तेमाल कर रहा है। इस तरह के इस्तेमाल के डरावने परिणाम भी हो सकते हैं क्योंकि इसमें निजी बायोमेट्रिक डेटा का इस्तेमाल होता है। लेकिन तकनीक आखिरकार एक साधन है। यह कभी भी कानून की जगह नहीं ले सकती है और न ही कानून में निहित नैतिक सिद्धांतों को आत्मसात कर सकती है। बोलने की आजादी को अधिकांश सरकारें मूलभूत अधिकार के तौर पर स्वीकार करती हैं और इनमें वे सरकारें भी शामिल हैं जो मुखर होकर अपनी बात कहने वालों को दंडित करती हैं। हालांकि ब्लॉकचेन आधारित एफओई मॉडल सरकारों के इस पाखंड को उजागर करने का जरिया बन सकता है।
