तेजी के रथ पर सवार सस्ते शेयर | सुंदर सेतुरामन / तिरुवनंतपुरम July 31, 2020 | | | | |
दलाल पथ पर सस्ते भाव वाले शेयरों पर निवेशक इन दिनों खूब दांव लगा रहे हैं। 23 मार्च को जब सेंसेक्स ने 25,981 के निचले स्तर को छुआ था, उस समय 890 शेयर ऐसे थे जिनका कारोबार 20 रुपये से कम भाव पर हो रहा था। लेकिन उसके बाद से इन शेयरों में औसतन 60 फीसदी की तेजी आई है। इनकी तुलना में बेंचमार्क सूचकांक 45 फीसदी चढ़ा है।
उनमें से 86 फीसदी या 767 शेयरों ने 23 मार्च से 30 जुलाई के बीच सकारात्मक रिटर्न दिए हैं, वहीं 157 शेयरों को रिटर्नदोगुना से भी अधिक रहा है। बिरला टायर्स, मैकलॉयड रसेल, रिलायंस कम्युुनिकेशंस, बल्लारपुर इंडस्ट्रीज, आलोक इंडस्ट्रीज और ऑप्टो सर्किट्स में पांच गुना इजाफा हुआ है।
आर्थिक गतिविधियां ठप होने के बावजूद इन शेयरों में तेजी से बाजार के भागीदार भी चकित हैं। विश्लेषकों का कहना है कि नए खुदरा निवेशकों के बाजार में आने से सस्ते शेयरों की मांग बढ़ी है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, 'खुदरा निवेशक आम तौर पर यह मानते हैं कि महंगे शेयरों में ज्यादा तेजी नहीं आ सकती है। इसके साथ चवन्नी शेयरों के आधार मूल्य निवेशकों को लुभाते हैं।'
कई तरह की बंदिशों के बावजूद ऐसे शेयरों में तेजी हैरान करने वाली है। असल में इन शेेयरों का सर्किट दायरा काफी कम होता है और अग्रिम मार्जिन के लिए 100 फीसदी का भुगतान करना होता है। पिछले तीन कारोबारी सत्रों में बाजार में नरमी के बावजूद इनमें से कई शेयर ऊपरी सीमा को छू गए।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में हेड (रिटेल रिसर्च) दीपक जसानी ने कहा, 'मार्च 2020 के बाद इन शेयरों पर निवेशकों ने खूब दांव लगाया क्योंकि इनमें से कई शेयरों का भाव बीते समय में काफी कम रहा था।'
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का भी खुदरा निवेशकों के उत्साह ने ध्यान खींचा है। पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि खुदरा निवेशकों की जिस तरह से भागीदारी बढ़ी है वह चिंताजनक है। कई विश्लेषकों का मानना है कि युवा पीढ़ी के लोग अच्छे रिटर्न के लिए शेयरों पर दांव लगा रहे हैं क्योंकि लॉकडाउन के कारण दूसरी संपत्तियों में रिटर्न नहीं मिल पा रहा है। बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, 'कुछ निवेशक लोभ में छद्म ऑपरेटरों की जाल में फंस जाते हैं। ऐसे ऑपरेटर चैट ग्रुप में खुद को विश्लेषक और ट्रेड के दिग्गज बताते हैं। पिछले कुछ महीनों में ऐसे ऑपरेटरों की बाढ़ आ गई है।'
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