स्मार्ट मीटर योजना से हटाई गई चीनी कंपनी | श्रेया जय / नई दिल्ली July 31, 2020 | | | | |
सरकारी एजेंसी आरईसी पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (आरईसीपीडीसीएल) ने जम्मू कश्मीर क्षेत्र में स्मार्ट मीटर परियोजना से एक चीनी कंपनी को बाहर कर दिया है।
एजेंसी ने यह कदम लद्दाख के गलवान घाटी में झड़प के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बीच उठाया है। पिछले हफ्ते सरकार ने प्रासंगिक अधिकारियों की मंजूरी लिए बिना सरकारी खरीद के लिए बोलियों में भाग लेने से चीनी कंपनियों को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके लिए सरकार ने प्रतिरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को आधार बनाया था।
आरईसीपीडीसीएल ने 125 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को सितंबर 2019 में दिया था। आरईपीडीसीएल ऊर्जा मंत्रालय के तहत ग्रामीण विद्युतीकरण निगम की एक शाखा है। परियोजना के तहत जम्मू व श्रीनगर दोनों ही शहरों में दो चरणों में 1,00,000 स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं। इसमें सहायक संचार और बैक व बुनियादी ढांचा भी शामिल होगा।
परियोजना को तीन हिस्सों में बांटा गया था- मुख्य ईपीसी ठेका टेक्नो इलेक्ट्रिक को दिया गया था और मीटर आपूर्ति का उप ठेका अलाइड इंजीनियरिंग वक्र्स (एईडब्ल्यू) को दिया गया था। रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) कम्युनिकेशन का ठेका डोंगफांग इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (डीएफई) को दिया गया था जो कि चीन की सरकारी कंपनी है। आरएफ स्मार्ट मीटर जैसे विद्युत उपकरण के लिए एक दूरस्थ संचार प्रणाली है।
जम्मू के विद्युत विभाग ने स्मार्ट मीटर परियोजना के लिए निविदा प्राधिकरण आरईसीपीडीसीएल की ओर जारी निविदा की पूछताछ और गहन जांच करने के लिए कहा है। 9 जुलाई को भेजा गया यह पत्र अन्य बोलीदाताओं की ओर से की गई उस शिकायत पर प्रतिक्रिया है जिसमें कहा गया था कि टेक्नो ने अपने उप ठेकेदार को बदलकर ठेका चीनी कंपनी को दे दिया है जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
29 जुलाई को दिए एक वक्तव्य में आरईसीपीडीसीएल ने कहा कि ऊर्जा मंत्रालय के दिशानिर्देंशों के मद्देनजर चीनी उप ठेकेदार को हटा दिया गया है। मंत्रालय का दिशानिर्देश आयातित उपकरण में लगाए गए मालवेयर/ट्रोजन के जरिये संभावित साइबर हमले से विद्युत आपूर्ति प्रणाली और नेटवर्क में उत्पन्न होने वाले जोखिम के संबंध में है। इस वक्तव्य में यह नहीं बताया गया है कि निर्णय कब लिया गया था।
वक्तव्य में कहा गया है, 'आदेश में भारत के लिए खतरे की आशंका वाले (प्रायोर रेफरेंस) देशों से उपकरण/घटकों/पुर्जों के आयात के लिए भारत सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही इसका प्रमाणित और नामित प्रयोगशालाओं में परीक्षण कराना होगा। इस आदेश के जारी होने के बाद सभी नए/पहले से चल रहे ठेकों की समीक्षा की जा रही है और उस समीक्षा के तहत उपरोक्त परियोजना के उप ठेकेदारों में से एक चीनी कंपनी की सहायक इकाई पाई गई है। हालांकि, यह भारत में पंजीकृत है और इसके विनिर्माण संयंत्र भी यहां हैं।'
आरईसीपीडीसीएल ने कहा कि उसने उप ठेकेदार को बाहर करने के निर्देश दिए हैं क्योंकि उसे जारी रखने के लिए पूर्व अनुमति लेने और उसकी ओर से आपूर्ति किए गए हरेक उपकरण के परीक्षण की आवश्यकता होगी जिससे क्रियान्वयन में अवांछनीय देरी होगी। आरईसीपीडीसीएल ने कहा कि मुख्य ठेकेदार कंपनी टेक्नो इलेक्ट्रिक ने उसे सूचित किया है कि उसने उप ठेकेदार को हटा दिया है।
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