भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड की विनिवेश प्रक्रिया में व्यवधान आ सकता है। केरल सरकार और संगठन के कर्मचारी इस मसले पर कानूनी विकल्प पर विचार कर रहे हैं। कुछ कर्मचारी संगठनों ने पहले ही बंबई उच्च न्यायालय की शरण लेते हुए दो रिट याचिकाएं दाखिल की है। याचिकाओं में तर्क किया गया है कि अगर बीपीसीएल को शेयर बाजार के शेयरों के दाम के आधार पर बेचने की अनुमति दी जाती है तो सरकार के खजाने को को 4.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। यूनियन 22 मार्च को दोबारा न्यायालय गए और आवेदन कर तत्काल याचिका स्वीकार कर सुनवाई किए जाने की मांग की। वहीं दूसरी ओर केरल सरकार न्यायालय जाने की प्रक्रिया में है, जिसका तर्क है कि बीपीसीएल रिफाइनरी के लिए जमीन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के लिए आवंटित की गई थी न कि निजी क्षेत्र के लिए। इस हिसाब से मौजूदा विनिवेश प्रक्रिया इसके खिलाफ है। राज्य के साथ हुए समझौते के आधार पर कोच्चि रिफाइनरी की जमीन के हस्तांतरण के मामले में राज्य सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी। एक सूत्र के मुताबिक यह मसला राज्य के कानून विभाग के विचाराधीन है। पेट्रोलियम इंप्लाइज यूनियन (पीईयू), भारत पेट्रोलियम कर्मचारी यूनियन (बीपीकेयू), पेट्रोलियम कर्मचारी नवनिर्माण यूनियन (पीकेएनयू), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (रिफाइनरी) इंप्लाइज यूनियन और पेट्रोलियम वर्कर्स यूनियन सहित 7 यूनियनों ने कानूनी विकल्प अपनाने का फैसला किया है। मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से बीपीसीएल 94,568.57 करोड़ रुपये की है, जिसमें 52.98 प्रतिशत हिस्सा करीब 50,100 करोड़ रुपये होगा। याचिका में कहा गया है कि यूनियनों का तर्क है कि रोसनेफ्ट के साथ एस्सार के सौदे की तुनला करें तो विनिवेश के लिए बीपीसीएल का कुल मूल्यांकन शेयर के आधार पर पूरी तरह से गलत है। याचियों ने आरोप लगाया है कि मूल्यांकन का तरीका साफतौर पर त्रुटिपूर्ण नजर आता है और उचित नहीं है, वर्ना जिस कंपनी का हर साल का कारोबार 3.38 लाख करोड़ रुपये का है, उसका मूल्य विनिवेश के लिए सिर्फ 60,000 करोड़ रुपये नहीं होगा। इसमें कहा गया है, 'अगर बीपीसीएल को बाजार शेयर मूल्य पर बेचने की अनुमति दी जाती है तो देश को 4.46 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।' यूनियनों ने रिलेटिव मेथड या असेट रिप्लेसमेंट वैल्युएशन मेथड के आधार पर मूल्यांकन किया है, जिसके आधार पर सरकार के हिस्से का कुल मूल्य 5.19 लाख करोड़ रुपये होता है। यूनियनों ने एस्सार ऑयल की बिक्री से इसकी तुलना की है। एस्सार का सौदा 89,000 करोड़ रुपये का था, जबकि बीपीसीएल का संभावति सौदा करीब 60,000 करोड़ रुपये का होगा। दिलचस्प है कि एस्सार का सौदा जब हुआ था तब उस पर 36,000 करोड़ रुपये का कर्ज था, जबकि बीपीसीएल का कर्ज करीब 23,000 करोड़ रुपये है। मार्च 2019 में एस्सार का रिजर्व और सरप्लस करीब कुछ भी नहीं था, जबकि बीपीसीएल के पास मार्च 2019 के अंत तक 36,797 करोड़ रुपये थे। वहीं दूसरी तरफ याचिका में यह भी कहा गया है कि एस्सार का शुद्ध मुनाफा महज 32 करोड़ रुपये था, जबकि बीपीसीएल का पिछले वित्त वर्ष में मुनाफा 7,132 करोड़ रुपये था। बीपीसीएल कर्मचारियों की ऑल इंडिया कोऑर्डिनेशन कमेेटी दीर्घावधि समाधान सहित वेतन संबंधी कुछ समाधान को अंतिम रूप दिए जाने के मसले पर उच्चतम न्यायालय से संपर्क करने पर भी विचार कर रही है।
