ओला: ग्राहकों को सुरक्षा का वादा | शैली सेठ मोहिले / July 30, 2020 | | | | |
ओला के लिए यह साल जश्न मनाने का वक्त था आखिर ब्रांड ने अपने एक दशक का सफर पूरा जो कर लिया है लेकिन ओला इस वक्त कई मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करने में व्यस्त है। इसका कारोबारी मॉडल ही खतरे में है और साझा अर्थव्यवस्था की पूरी अवधारणा ही अब डांवाडोल नजर आ रही है। ऐसे में लोगों को कैब सेवाएं मुहैया कराने वाली यह घरेलू कंपनी सुरक्षा और विश्वसनीयता के वादे के साथ ही सवारी का ध्यान समस्याओं से हटाकर उनका डर दूर करने की कोशिश में लगी है।
ओला को लंबे समय से घरेलू स्तर पर एक सफल ब्रांड के तौर पर देखा जाता रहा है क्योंकि इसके संस्थापकों ने इसमें स्थानीयता का पुट डालकर उबर की तरह ही बेहद सरलता से सेवाओं की पेशकश की। ब्रांड को दमदार तरीके से स्थापित होते देख वैश्विक निवेशकों का आकर्षण भी इसकी ओर बढ़ा जिसकी वजह से ब्रांड को विदेश में भी अपनी पहचान बनाने में मदद मिली। हालांकि महामारी की वजह से ज्यादातर लोग अब घर में रहने को तरजीह दे रहे हैं ऐसे में ओला और उसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनी उबर को भी अपना काम जारी रखने में काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। इन कंपनियों को छंटनी करनी पड़ी और अपना ऑफिस बंद करना पड़ा जिसकी वजह से उनकी प्रतिष्ठा पर असर पड़ता दिखा है।
ओला अपने नए विज्ञापन अभियान के साथ भरोसा पाने की कोशिश कर रही है और इसने सवारी करने वालों की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई है। इस अभियान में ब्रांड के ड्राइवर-साझेदारों और सवारियों का इस्तेमाल कर अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखने के सामान्य तरीके का प्रयोग किया है जिसे ओला और उबर दोनों ने पिछले कुछ वर्षों में हासिल किया है।
कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया, 'इस अभियान के साथ हम जमीनी स्तर पर सुरक्षा पहलों को लागू करने के बारे में बता रहे हैं और अपने कर्मचारियों के अनुभवों को साझा कर ब्रांड में सवारियों और ड्राइवर-साझेदार के भरोसे को और मजबूत कर रहे हैं।'
ऐसा करना अहम है क्योंकि कई सर्वेक्षणों से यह संकेत मिला है कि लोग निजी वाहनों के अलावा किसी भी साधन से यात्रा करने में सावधानी बरत रहे हैं। अप्रैल-मई में किए गए एक सर्वेक्षण में डेलॉयट ने बताया कि भारत में सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वालों में से 73 फीसदी लोग अगले तीन महीनों में कैब सेवाएं सीमित करने की योजना बना रहे थे (स्टेट ऑफ दि कंज्यूमर ट्रैकर के तहत 13 देशों में हर देश से 1,000 लोगों की प्रतिक्रिया ली गई)।
बाजार शोध एजेंसी कैंटर ने अप्रैल में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें पाया गया कि 35 फीसदी लोग ऐसी परिवहन सेवाओं का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर देंगे जबकि 41 प्रतिशत ने कहा कि वे इसके इस्तेमाल में कटौती करेंगे। कैंटर सर्वेक्षण के लिए 1,000 से अधिक नमूने लिए गए और इसमें देश के 19 शहरों और 15 राज्यों को शामिल किया गया था।
हंसा रिसर्च ग्रुप के उपाध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा, 'ड्राइवर और आपके बीच पैसे के लेन-देने से भी ज्यादा कुछ साझेदारी होती है।' ओला का नया अभियान पिछले महीने शुरू किया गया जो 'राइड सेफ इंडिया' अभियान का विस्तार है और इसके तहत कंपनी ने अपनी सवारी के लिए पांच-स्तरीय सुरक्षा प्रोटोकॉल पर जोर डाला था।
ओला के मुताबिक इस अभियान को ड्राइवरों और यात्रियों दोनों को नए हालात के बारे में जागरूक करने के कदम के रूप में देखा जाना चाहिए जो अब बेहद सामान्य बात है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, 'हम अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहे हैं और हमें लगता है कि हमें इस स्थिति का सफलतापूर्वक मुकाबला करने में सक्षम होने के लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदारी लेनी होगी।'
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