कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के बीच स्वच्छता एवं साफ-सफाई संबंधी उत्पादों की खपत में उल्लेखनीय वृद्धि के बीच डेटॉल भारत के साबुन बाजार में शीर्ष पायदान पर पहुंच गया है। बेहतर उपलब्धता और देश में शेल्फ कीपिंग यूनिट (एसकेयू) को युक्तिसंगत बनाने से कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान उसके कारोबार को मदद मिली। रेकिट बेंकिजर पीएलसी (आरबी) के ग्रुप सीईओ एवं कार्यकारी निदेशक लक्ष्मण नरसिम्हन के अनुसार, वर्ष 2020 की पहली छमाही के दौरान भारत में इस ब्रांड की बाजार हिस्सेदारी में 430 आधार अंकों की वृद्धि हुई। इससे डेटॉल बाजार में लंबे समय से अग्रणी रहने वाले हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) के साबुन ब्रांड लाइफबॉय और लक्स को पछाड़कर आगे निकल गया। उद्योग से प्राप्त नीलसन के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के 22,000 करोड़ रुपये के साबुन बाजार में लाइफबॉय वर्षों से अग्रणी रहा है। जबकि उसकी बाजार हिस्सेदारी 15 फीसदी थी। वर्ष 2017 तक 13 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ एचयूएल का लक्स दूसरे पायदान पर था। लेकिन पिछले दो वर्षों के दौरान इन दोनों ब्रांडों की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई और 2019 के अंत में लाइफबॉय की बाजार हिस्सेदारी 13 फीसदी जबकि लक्स की बाजार हिस्सेदारी 11 फीसदी दर्ज की गई। गोदरेज कंज्यूमर अपने सिंथॉल और गोदरेज नंबर वन ब्रांड के साथ 11 से 12 फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल करने में कामयाब रही। हालांकि डेटॉल की बाजार हिस्सेदारी पारंपरिक तौर पर 9 से 10 फीसदी रही है लेकिन रेकिट बेंकिजर के हालिया खुलासे के अनुसार, स्थानीय साबुन बाजार में उसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़कर अब करीब 14 फीसदी हो गई है। इस बाबत जानकारी के लिए एचयूएल को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया। विशेषज्ञों के अनुसार, अप्रैल से जून की अवधि में डेटॉल की बाजार हिस्सेदारी बढ़ी जब देश में कोविड-19 वैश्विक महामारी का प्रकोप फैल गया था। देश में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी हो रही वृद्धि के मद्देनजर लोगों में स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति जागरूकता काफी बढ़ी है। इससे डेटॉल जैसे स्वच्छता उत्पादों की बिक्री में तेजी आई है। वास्तव में रेकिट बेंकिजर को मौजूदा वैश्विक महामारी के दौरान एक नई ऊंचाई मिली है जो उसे स्वच्छता भारत मिशन में शामिल होने से भी नहीं मिल सका था। कंपनी रजिस्ट्रार के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017-18 में अपने इस ब्रांड को बढ़ावा देने के तमाम प्रयासों के बावजूद रेकिट बेंकिजर इंडिया का राजस्व सालाना आधार पर महज 1.77 फीसदी बढ़कर 5,814 करोड़ रुपये हो गया जो 2016-17 में 5,711 करोड़ रुपये (वर्ष 2018-19 के आंकड़े उपलब्ध नहीं हो सके) था।
