ब्रोकिंग उद्योग में डिस्काउंट ब्रोकरों द्वारा पहुंच बढ़ाए जाने की संभावना है। छोटी कंपनियां ग्राहक आधार गंवा सकती हैं, क्योंकि मार्जिन को लेकर नए मानक अगले महीने से लागू हो रहे हैं। सैमको सिक्योरिटीज के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी जिमीत मोदी ने कहा, 'नए मानकों से उस मार्जिन वसूली पर नियामकीय मध्यस्थता समाप्त कर दी गई है, जिसका पारंपरिक रूप से संपूर्ण सेवा प्रदाता ब्रोकर लाभ उठाने में सक्षम रहते हैं। अग्रिम मार्जिन पूरे उद्योग के लिए अनिवार्य होने से इंट्रा-डे कारोबारियों से सपाट ब्रोकिंग शुल्क वसूलने वाली कंपनियों की लोकप्रियता बढऩे की संभावना है।' शुरू में, छोटे ब्रोकिंग हाउस ग्राहकों को अग्रिम कमीशन के बगैर बड़े इंट्रा-डे सौदों की अनुमति देकर ग्राहकों को आकर्षित कर सकते थे। इस तरह की गतिविधि अगस्त से बंद हो जाएगी और ब्रोकिंग कंपनियों का कहना है कि इससे छोटी कंपनियों की बाजार भागीदारी प्रभावित होगी। 5पैसा डॉटकॉम के मुख्य कार्याधिकारी प्रकर्ष गगडानी ने कहा, 'नए मानकों से उद्योग के समेकन में मदद मिलेगी। छोटे ब्रोकर अपने ग्राहकों को वित्तीय मदद प्रदान करने में सक्षम नहीं होंगे। उन्हें अग्रिम तौर पर रकम हासिल करनी होगी। इसके परिणामस्वरूप, ग्राहकों को छोटे ब्रोकरों के सााि कारोबार का कोई लाभ नहीं मिलेगा और इसमें जोखिम भी होगा।' गगडानी ने कहा, 'ग्राहकों द्वारा ऊंचे ब्रोकरेज शुल्क चुकाने की वजह पूछे जाने और सपाट शुल्क मॉडल पर ध्यान दिए जाने की संभावना है।' ये बदलाव ऐसे समय में सामने आए हैं जब ब्रोकिंग उद्योग ने कई वर्षों की सुस्ती के बाद ट्रेडिंग गतिविधि में अच्छी तेजी दर्ज की है। एक अन्य ब्रोकिंग कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें यह देखना होगा कि क्या इन नियामकीय बदलावों का ब्रोकिंग आय पर किस तरह का असर पड़ेगा, और इस कदम से व्यवस्था में तरलता प्रभावित होगी और इसका प्रभाव बाजारों पर पड़ेगा।'
