शुक्रवार को सत्र बुलाने पर अड़े गहलोत | आदिति फडणीस / July 28, 2020 | | | | |
राजस्थान में चल रही सियासी उठापठक के बीच राज सरकार अपनी मांगों पर अड़ी हुई है और उसने राज्यपाल कलराज मिश्र से कहा कि वह चाहती है कि 31 जुलाई को ही विधानसभा की बैठक हो तथा वह कोरोना के चलते राज्यपाल द्वारा दी गई सभी हिदायतों का पालन करेगी। गौरतलब है कि 31 जुलाई को ईद है तथा उस दिन राष्ट्रीय अवकाश भी है।
राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई और राज्यपाल को जवाब देने से पहले सभी मुद्दों पर आंतरिक रूप से चर्चा की।
राज्य सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह ने बैठक के बाद जयपुर में संवाददाताओं से कहा, 'मंत्रिमंडल 31 जुलाई से विधानसभा का सत्र चाहता है। यह प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जा रहा है।' राजस्थान के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने टेलीविजन चैनलों से कहा, 'हमने राज्यपाल की सभी चिंताओं का जवाब दे दिया है। विधानसभा सत्र को बुलाना हमारा अधिकार है। सत्र का आयोजन किस तरह होगा, यह विधानसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है। हम 31 जुलाई (शुक्रवार) को सत्र चाहते हैं।'
उन्होंने कहा, 'राज्यपाल कुछ सवाल पूछ रहे हैं। हमने जवाब दिया है कि असाधारण परिस्थितियां क्या हैं? देश में दूसरे राज्यों में भी विधानसभा सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। कैबिनेट का प्रस्ताव आज राज्यपाल को भेजा जाएगा।'
हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि अगर राज्यपाल इस अनुरोध को स्वीकार नहीं करते तो गहलोत कैंप का प्लान-बी क्या होगा। गहलोत सरकार के मामूली 'बहुमत' को खतरा हो सकता है क्योंकि पिछले साल कांग्रेस पार्टी में अपनी पार्टी का विलय करने वाले बसपा के छह विधायकों की स्थिति स्पष्ट नहीं है। बसपा पार्टी ने इस विलय के खिलाफ कल अदालत में याचिका दायर की है। हालांकि उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी लेकिन अब इस मामले पर आगे अपील की गई है। विधानसभा सत्र को आयोजित कराने में जितना अधिक समय लगेगा, गहलोत के सामने विधायकों को लेकर उतना ही जोखिम बढ़ता जाएगा। हालांकि विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को गहलोत सरकार को गिराने के लिए लगभग 20 कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में लाना होगा जो लगभग असंभव सा काम है। हालांकि समय बढऩे पर ऐसा हो भी सकता है। आज सचिन पायलट खेमे के एक नेता हेमाराम चौधरी ने एक मिनट का वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि पायलट खेमा 15 अन्य कांग्रेस विधायकों के संपर्क में है और वे सही समय पर पायलट का समर्थन करेंगे। यह रणदीप सुरजेवाला के कुछ दिन पहले के एक दावे की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है, जब सुरजेवाला ने दावा किया था कि पायलट खेमे के तीन विधायक सही समय पर गहलोत खेमे में लौटेंगे और उनके पक्ष में मतदान करेंगे। पायलट खेमा सभी जरूरी कदम को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार कर रहा है। सोमवार को राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहलोत को लिखा कि वह विधानसभा सत्र बुलाने के खिलाफ नहीं थे। उन्होंने पहले जरूरी सवालों से निपटने की बात करते हुए लिखा, 'राजभवन ने दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा सत्र को बुलाने के लिए कहा है।'
उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री विश्वास मत लाना चाहते हैं, क्योंकि अगर ऐसा होता तो 21 दिन के नोटिस की जरूरत नहीं होती। मिश्र ने पूछा, 'क्या आप विश्वास प्रस्ताव लाना चाहते हैं? ऐसा प्रस्ताव में नहीं बताया गया है, लेकिन सार्वजनिक तौर पर आप (गहलोत) बयान दे रहे हैं कि आप एक विश्वास प्रस्ताव लाना चाहते हैं।'
राज्यपाल ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी के दौरान सभी विधायकों को अल्प सूचना पर बुलाना मुश्किल होगा। उन्होंने नोट में पूछा, 'क्या आप विधायकों को 21 दिन का नोटिस देने पर विचार कर सकते हैं?' राज्यपाल का तीसरा सवाल यह था कि सत्र के दौरान शारीरिक दूरी को कैसे बनाए रखा जाएगा।
जब राज्यपाल ने शुक्रवार को गहलोत के पहले प्रस्ताव को खारिज कर दिया, तो उन्होंने छह कारण बताए। उन्होंने कहा था कि प्रस्ताव में किसी एजेंडे या तारीख का उल्लेख नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय में एक मामले की सुनवाई चल रही थी।
आखिरी कारण के उपाय के तौर पर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की अपनी शक्तियों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है।
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने पिछले सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी कि उच्च न्यायालय ने सचिन पायलट एवं 18 अन्य कांग्रेस के बागियों को उनके द्वारा भेजे गए अयोग्यता नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला करने से रोक दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि 'असंतोष की आवाज़ को लोकतंत्र में दबाया नहीं जा सकता।' सीपी जोशी ने उच्च न्यायालय द्वारा अपना निर्णय आने तक अध्यक्ष द्वारा विद्रोहियों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगाने के निर्णय को भी चुनौती दी थी।
जब उच्च न्यायालय ने अगले दिन मामले को उठाया, तो उसने पायलट खेमे को अपनी याचिका में केंद्र को शामिल करने की अंतिम मिनट पर की गई याचिका स्वीकार कर ली और अध्यक्ष को फिर से कोई कार्रवाई न करने के लिए कहा। माना जा रहा है कि राजभवन आज देर रात या बुधवार को अपनी प्रतिक्रिया दे सकता है।
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