सर्वोच्च स्तर पर सोना, चांदी भी तेज | राजेश भयानी / मुंबई July 28, 2020 | | | | |
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें अब तक के सर्वोच्च स्तर 1,947 डॉलर प्रति आउंस पर पहुंच गई। इससे पहले साल 2011 में कीमतें 1,920 डॉलर प्रति आउंस के उच्चस्तर पर पहुंची थी। चांदी 24 डॉलर से ऊपर कारोबार कर रही है, जिसकी वजह वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात और अमेरिका व चीन के बीच जारी भूराजनैतिक विवाद है।
भारत में सोने की (हाजिर और फिजिकल) कीमतें 52,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है। चांदी की कीमतें भी किसी की उम्मीद के मुकाबले तेज गति से बढ़ रही है। हाजिर बाजार में यह करीब 8 फीसदी यानी 4,520 रुपये उछलकर 64,505 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई जबकि एमसीएक्स वायदा में यह 7.15 फीसदी ऊपर 65,600 रुपये पर कारोबार कर रही है। बड़ी खदानों के बंद रहने और सोने में तेजी चांदी के भाव को हवा दे रही है।
सोने के बाजार का चक्र सामान्य तौर पर 8 से 10 साल रहता है और मौजूदा तेजी के बाजार की शुरुआत हो गई है। तेजी के पिछले चक्र की शुरुआत 2001 में हुई थी और 2011 तक चली और 2001 के स्तर से भाव 7 गुना बढ़ गए। सर्वोच्च स्तर के बाद यह 46 फीसदी टूटा और कई सालों में एकीकृत हुआ। अब एक बार फिर सोने ने तेजी के चक्र में प्रवेश कर लिया है।
अमेरिका के विश्लेषक निगम अरोड़ा (द अरोड़ा रिपोर्ट के लेखक) के मुताबिक, सोने ने तेजी के चरण में प्रवेश कर लिया है, जो कई साल तक जारी रह सकता है। हमें यह भी लगता है कि इस चक्र में सोने के भाव 3,000 डॉलर की ओर बढऩे की 50 फीसदी से ज्यादा संभावना है। इससे पहले क्रिस्टोफर वुड अपनी ग्रिड ऐंड फियर रिपोर्ट में कह चुके हैं कि तेजी के चक्र में सोना 4,000 डॉलर तक जा सकता है। नभारत में सोने की कीमतें आयात लागत से तय होती है। चूंकि सोने का भाव डॉलर में होता है, लिहाजा भारतीय रुपये में गिरावट से कीमतें और रिटर्न काफी ज्यादा होती हैं।
अगर सोने में तेजी के चक्र की शुरुआत हो गई है तो फिर पोर्टफोलियो में शामिल करने से चूक करने वाले या उसे शामिल करने वाले निवेशकों को क्या सोना अभी खरीदना चाहिए? उनके लिए निगम अरोड़ा की सलाह है। उन्होंने कहा, अल्पावधि के लिहाज से सोना तकनीकी तौर पर ज्यादा खरीदा जा चुका है और प्रतिरोध का स्तर 1,900 से 1,917 डॉलर के बीच है। अगर यह स्तर टूटता है तो 2,000 डॉलर का मनोवैज्ञानिक स्तर ट्रेडरों के लिए चुंबक का काम कर सकता है। चूंकि सोना तकनीकी तौर पर ज्यादा खरीदा जा चुका है, लिहाजा तेज गिरावट की संभावना भी बन सकती है। हमारी राय में अगर तेज गिरावट आती है तो उसे खरीदा जाना चाहिए।
यहां तक कि केडिया एडवाइजरी के अजय केडिया कहते हैं, सोने की कीमतों को आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता। उच्च स्तर पर इस हफ्ते निवेशकों की तरफ से कुछ मुनाफावसूली हो सकती है। निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक बुधवार को होनी है और ऐसे में यह हप्ता अहम है।
सोने की तरह चांदी में भी तेजी आ रही है। निगम अरोड़ा ने कहा कि चांदी की चाल पर निर्णायक संकेत का इंतजार है, पर भारत में कई लोग तेजी का नजरिया रख रहे हैं। भारत में चांदी 65,000 रुपये प्रति किलो से ऊपर है और यह 2011 के सर्वोच्च स्तर 75,000 रुपये से महज 15 फीसदी नीचे है।
4-5 महीने के नजरिये से सोने की खरीद का मामला बनता है। कॉमट्रेंड्ज रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज के ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, अमेरिका मेंं चुनाव होने तक तेजी का यह रुख जारी रहने की संभावना है। अक्टूबर-नवंबर तक हम सोने को 2,350 डॉलर और चांदी को 29.70 डॉलर पर जाते देख सकते हैं। भारतीय बाजार में सोना 60,000 रुपये और चांदी 72,000 रुपये के स्तर को छू सकता है। अभी हालांकि आभूषण की मांग कमजोर है लेकिन निवेश मांग अच्छी है।
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