राजमार्गों का जोखिम घटाने के लिए नया बीओटी मॉडल | मेघा मनचंदा / नई दिल्ली July 26, 2020 | | | | |
बीओटी (बिल्ट-ऑपरेट-ट्रांसफर) मॉडल पर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए बहुप्रतीक्षित नए नियमों में निजी क्षेत्र को शामिल करने के लिए उन्हें कुछ प्रोत्साहन दिए गए हैं, ताकि इन परियोजनाओं में उनकी भागीदारी हासिल की जा सके। कुछ चुनौतियों के कारण कई वर्षों से निजी क्षेत्र इससे लगभग गायब है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने नए नियमों में उन चुनौतियों का समाधान कर दिया है। दो अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि अनुमानित ट्रैफिक के अभाव में ठेकेदारों को कुछ मौद्रिक छूट दी जा सकती है।
ट्रैफिक अनुमान का निर्धारण सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) करेगा। एनएचएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यदि ट्रैफिक अनुमान से कम रह जाता है तो रियायतग्राहियों को उचित क्षतिपूर्ति दी जाएगी।'
ट्रैफिक का अनुमान एक निश्चित समयावधि के लिए होगी जो पांच वर्ष से शुरू होकर 10 वर्ष, 15 वर्ष और इससे अधिक हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि अधिकारी किसी खास राजमार्ग के लिए पांच साल के लिए 20,000 यात्री कार इकाई (पीसीयू) का अनुमान लगाता है और पांच वर्ष की अवधि के उपरांत उस सड़क खंड पर वास्तविक ट्रैफिक अनुमान का 80 फीसदी है तो, राजमार्ग डेवलपर को बाकी 20 फीसदी ट्रैफिक की क्षतिपूर्ति की जाएगी। उक्त अधिकारी ने कहा, 'क्षतिपूर्ति टोल अवधि में विस्तार के रूप में होगी और ठेके की अवधि भी बढ़ाई जा सकती है।'
नए दिशानिर्देशों को नीति आयोग, सड़क मंत्रालय और एनएचएआई के बीच कई दौर की चर्चाओं के बाद अंतिम रूप दिया गया है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'नए नियमों को शीघ्र ही सार्वजनिक किया जाएगा और हमें उम्मीद है कि नए नियम इस क्षेत्र में बड़ी निजी भागीदारी को लाने में सफल होंगे।' अंतिम दिशानिर्देशों में सामंजस्यपूर्ण निकासी के नियम को शामिल किया जाएगा, जिसका सुझाव मसौदा नियमों में दिया गया था। इसी वर्ष एनएचएआई ने नया बीओटी दिशानिर्देश या मॉडल कंसेशन एग्रीमेंट (एमसीए) उतारा था जो मुख्?य तौर पर सड़क निर्माण के इस प्रारूप की ओर निजी कंपनियों की रुचि वापस लाने पर केंद्रित था।
नए नियम बीओटी में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए लाए जा रहे हैं क्योंकि मंजूरी, ठेका संबंधी मुद्दों जैसी विभिन्न बाधाओं के कारण बड़ी कंपनियों ने इन ठेकों से किनारा करना शुरू कर दिया है। मोटे तौर पर राजमार्ग डेवलपरों ने इस क्षेत्र को निवेश पर देरी से रिटर्न (आरओआई), कठोर रियायतग्राही समझौतों और सरकार के साथ कानूनी विवादों के कारण छोड़ा है।
सामंजस्यपूर्ण तरीके से समझौते से बाहर जाने के नियम को प्रस्तावित एमसीए में जोड़ा गया था ताकि अटकी परियोजनाओं को राहत मुहैया कराया जा सके।
एमसीए के मुताबिक, एनएचएआई और रियायतग्राही इस बात पर सहमत होंगे कि किसी वित्तीय नुकसान की स्थिति में ऋणदाता या बैंक पेशकशों को आमंत्रित कर सकता है, उसका सौदा कर सकता है और उसे खरीद सकता है। इस कार्य को निजी सौदेबाजी या सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से किया जा सकता है या परियोजना राजमार्ग के अधिग्रहण और हस्तातंरण के लिए निविदा का सहारा लिया जा सकता है।
मसौदा में कहा गया है कि समझौते के मुताबिक नामित कंपनी के पक्ष में रियायत के हस्तांतरण में प्राधिकरण को यदि किसी तरह की आपत्ति है तो वह ऋणदाता के प्रतिनिधि की सुनवाई करने के बाद निविदा के प्रतिनिधियों की ओर से प्रस्ताव की निर्धारित तिथि से 15 दिनों के भीतर एक तर्कसंगत आदेश देगा। यदि एनएचएआई की ओर से काई आपत्ति नहीं जताई जाती है तो उसे स्वीकृत माना जाएगा।
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