स्थिति उतनी खराब नहीं जितनी बताई जा रही है | अरूप रायचौधरी / July 26, 2020 | | | | |
बीएस बातचीत
आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज का कहना है कि सरकार चालू वर्ष की दूसरी छमाही में ऐसे बॉन्ड की पहली किस्त जारी करेगी, जिसे वैश्विक बॉन्ड सूचकांक में सूचीबद्ध कराया जाएगा। बजाज ने कहा कि बैंकों में पूंजी डालने और शहरी क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी योजना पर भी सरकार विचार कर रही है। अरूप रायचौधरी ने बजाज से अर्थव्यवस्था की चुनौतियों पर बात की। प्रस्तुत है, प्रमुख अंश...
मांग नरम है और कोविड की चपेट में आने से ग्रमीण अर्थव्यवस्था भी सुस्त पड़ रही है, जबकि आपने अगले साल अर्थव्यवस्था में तेज सुधार की बात कही है, इसका आधार क्या है?
इसमें कोई संदेह नहीं कि मौजूदा साल मुश्किलों भरा है। लेकिन मीडिया में कई ऐसी चीजें आ रही हैं, जो तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। मैंने कुछ समय पहले राजस्व के आंकड़ों पर विचार किया था। कुछ क्षेत्रों की चाल सुस्त हो सकती है, वहीं कुछ क्षेत्रों में सुधार भी दिख रहा है। राजस्व के आंकड़े पिछले वर्ष के मुकाबले कमजोर हैं, मगर ये गंभीर स्थिति की ओर इशारा नहीं कर रहे हैं। वाहनों की बिक्री बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो रबी फसल अच्छी रही थी और खरीफ भी अच्छी रहने की संभावना है।
वित्त मंत्री और मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कुछ और उपायों के संकेत दिए हैं। राजकोषीय दखल और मांग बढ़ाने के संबंध में सरकार की क्या योजना है?
बुनियादी ढांचे पर सरकार का पहले से जोर है। जरूरत पडऩे पर सरकार इस क्षेत्र के लिए और रकम का प्रावधान कर सकती है। हम राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के साथ पीएम किसान सहित सभी दूसरी योजनाओं पर जोर दे रहे हैं। मनरेगा के लिए सरकार ने रकम का आवंटन बढ़ाया है और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये भी ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरतमंदों को वित्तीय मदद दी जा रही है। इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मुफ्त राशन भी दिया जा रहा है।
क्या शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए सरकार कोई योजना बना रही है?
ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तर्ज पर ही शहरी क्षेत्रों के लिए भी कुछ सोचा जा रहा है। हालांकि इस पर फिलहाल कुछ कहना जल्दबाजी होगी। इस दिशा में काम चल रहा है और संबंधित मंत्रालय इसमें लगे हुए हैं।
क्या सरकार महामारी से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान का आकलन करने की स्थिति में है? पूरे वर्ष और अप्रैल-जून तिमाही को लेकर क्या अनुमान हैं?
सरकार ने स्वयं भी अनुमान तैयार किया है और सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा जताए गए अनुमान भी हमारे पास हैं। रेटिंग एजेंसियों सहित सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अर्थव्यवस्था में 3.1 प्रतिशत से लेकर 5.5 प्रतिशत तक गिरावट आने का अंदेशा जताया है। अब कुछ लोगों का यह भी कहना है कि गिरावट कहीं अधिक हो सकती है। यह बात भी बता दूं कि वे अपने अनुमानों में बदलाव भी कर रहे हैं। लिहाजा, आंकड़े देने के बजाय हम इस पहलू पर गौर कर रहे हैं कि अर्थव्यवस्था को किस तरह सही दिशा में आगे बढ़ाया जाए। महामारी और नहीं फैली और टीका जल्द आ गया तो देश में आर्थिक गतिविधियां और तेज हो सकती हैं।
आरबीआई ने कहा कि हालात बदतर हुए तो बैंकों का एनपीए 14.7 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। एकबारगी पुनर्गठन पर बात कहां तक पहुंची है? क्या फिर सार्वजनिक बैंकों को पूंजी देने की जरूरत है?
ऋण पुनर्गठन के संबंध में मोटे तौर पर आरबीआई को निर्णय लेना है। मुझे लगता है कि केंद्रीय बैंक इस संबंध में कुछ सोच रहा है। अगस्त के अंत तक आरबीआई इस दिशा में कोई कदम उठा सकता है। जहां तक सार्वजनिक बैंकों को पूंजी देने की बात है तो आरबीआई ने इस मसले पर हमारे साथ चर्चा की है। वित्त सेवा सचिव इस पर विचार कर रहे हैं, आगे इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा।
कर संग्रह लगातार कमजोर बना हुआ है। दूसरी छमाही में घाटे की भरपाई कैसे होगी?
मैं फिर इस बात को दोहराऊंगा कि फिलहाल हम इसके बारे में विचार नहीं कर रहे हैं। हम पहले ही एक निश्चित राशि तक अपनी उधारी बढ़ा चुके हैं। हमने बहुपक्षीय एजेंसियों के कुछ नीतिगत ऋणों का भी इस्तेमाल किया है, लेकिन यह राशि छोटी है। इनसे भी कुछ मदद मिलेगी। वहीं एनएसएसएफ है। यह भी घाटे की वित्त व्यवस्था में योगदान देता है। हमारी स्थिति पर नजर है और हम इस बारे में उचित समय पर फैसला लेंगे। इस समय मेरे लिए यह कहना सही नहीं होगा कि अक्टूबर, दिसंबर और जनवरी में क्या होने जा रहा है।
हम वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों पर सूचीबद्ध होने की योजनाओं में किस पड़ाव पर हैं?
पूर्णतया खुले रास्ते के तहत 5, 10 और 30 साल की प्रतिभूतियां चिह्नित की गई हैं। ऐसी कुल पांच प्रतिभूतियां चिह्नित की गई हैं, जो मौजूदा सरकारी प्रतिभूतियों का करीब 10 फीसदी हैं। इनमें आगे बढ़ोतरी होगी और इनका सरकारी प्रतिभूतियों की कारोबारी मात्रा में 60 फीसदी योगदान होगा। इन बॉन्डों का पहला निर्गम कब जारी किया जाए, इसे लेकर आरबीआई के साथ चर्चा की जा रही है। हम पहला निर्गम जल्द आने की उम्मीद कर रहे हैं। यह पहली छमाही में आ सकता है।
किन क्षेत्रों में उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन बढ़ाए जा रहे हैं?
इस समय ऐसे दो क्षेत्र हैं। पहला, मोबाइल और संबंधित उत्पाद। दूसरा, दवा और संबंधित उत्पाद। पांच से छह मंत्रालय और विभाग कुछ अन्य क्षेत्रों की पहचान कर रहे हैं।
भारत का व्यापार 18 साल बाद सरप्लस रहा है, लेकिन विशेषज्ञ इसे लेकर उत्साहित नहीं हैं क्योंकि तेजी से घटता आयात अर्थव्यवस्था में घटती मांग का संकेत दे रहा है। इसपर मंत्रालय कितना चिंतित है?
यह सामान्य समय नहीं है। अगर कोविड से पहले ऐसा होता तो यह बड़ी खबर होती। इसकी यह वजह हो सकती है कि आयात में अधिक गिरावट आई हो, लेकिन निर्यात में उतनी अधिक गिरावट न आई हो। ऐसा केवल मांग में कमी की वजह से नहीं बल्कि आपूर्ति शृंखला में अवरोध की वजह से भी हुआ है। इसलिए मेरा मानना है कि आपूर्ति शृंखला दुरुस्त होने पर बेहतर तस्वीर दिखाई देगी। आपको यह भी देखना होगा कि मूल्य के लिहाज से तेल और सोने का आयात भी घटा है।
सरकार कोविड के असर और आत्मनिर्भर भारत योजना को लेकर पिछले कुछ सप्ताह से उद्योग के अगुआ लोगों से बात कर रही है। उद्योग के सुझावों के आधार पर सरकार कौनसे लघु अवधि के कदम उठाने की योजना बना रही है?
उद्योग इस चर्चा को अपने नजरिये से देखता है। वहीं सरकार को सभी नजरियों से देखना होता है, इसलिए विचारों में किसी तरह का मतभेद लाजिमी है। लेकिन मैं आपको स्पष्ट बताना चाहता हूं कि मैंने उन 80 फीसदी बैठकों में हिस्सा लिया है, जो वित्त मंत्री ने उनके साथ की हैं। ऐसा नहीं है कि उन्होंने अब तक की घोषणाओं का स्वागत नहीं किया है। लेकन उनकी कुछ और मांगें भी हैं। इनमें से कुछ मांगों के बारे में विचार किया जा रहा है।
राज्य और जिले खुद के फैसले ले रहे हैं। ऐसे में सरकार देश में पूरी तरह अनलॉक कैसे सुनिश्चित करेगी? क्या अनलॉक की प्रक्रिया को एकसमान बनाने के लिए कोई रणनीति है?
गृह मंत्रालय और सवास्थ्य मंत्रालय अनलॉक की पूरी प्रक्रिया को संभाल रहे हैं। वित्त मंत्रालय का ध्यान अर्थव्यवस्था पर है।
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