शेयर बाजार मार्च में लुढ़कने के बाद दमदार वापसी कर चुका है मगर विशुद्ध इक्विटी फंडों में निवेश करने वाले लोग बहुत उत्साहित नजर नहीं आ रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के जून के आंकड़ों के अनुसार इक्विटी योजनाओं में निवेश पिछले चार वर्षों के न्यूनतम स्तर (249 करोड़ रुपये) पर ही रह गया है। सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) की हालत भी बिगड़ गई और इसके जरिये निवेश कम होकर मात्र 196 करोड़ रुपये रह गया। इक्विटी योजनाओं के कमजोर प्रदर्शन के कई कारण हैं। इस समय कई लोग नौकरी गंवा चुके हैं या वेतन में कटौती का सामना कर रहे हैं। यइ इक्विटी योजनाओं में निवेश कम होने की सबसे अहम वजह है। इस वजह से ऐसे लोगों ने निवेश कम कर दिया है या इसे पूरी तरह रोक दिया है। म्युचुअल फंड उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि कुछ निवेशकों ने तो हाल में कमजोर प्रतिफल के मद्देजनर म्युचुअल फंड योजनाओं से किनारा कर लिया है और सीधे बाजार में रकम लगा रहे हैं। हालांकि इन तमाम बातों के बीच फंड प्रबंधक कम से कम अब तक तो परेशान नहीं दिख रहे हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ऐसेट मैंनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी शंकरन नरेन कहते हैं, 'हमें लगता है कि यह रुझान धीरे-धीरे पलटेगा। इक्विटी परिसंपत्तियों में कमी मामूली है और इसकी सबसे बड़ी वजह कोविड-19 को ही माना जा रहा है।' फंड प्रबंधकों का भरोसा कायम रहने की एक अच्छी वजह भी है। वित्तीय संकट और लीमन ब्रदर्स संकट के बाद जिस तरह चीजें बिगड़ गई थीं, हालत उससे कहीं बेहतर है। बिड़ला सन लाइफ के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी ए बालसुब्रमण्यन के अनुसार इक्विटी म्युचुअल फंडों से मोटे तौर पर धनाढ्य निवेशकों और संस्थागत निवेशकों ने थोड़ी रकम निकाली है और इसकी वजह पिछले कुछ महीनों में बाजार में आई तेजी है। बालसुब्रमण्यन के अनुसार इससे इन निवेशकों को मुनाफे के साथ बाहर निकलने का अवसर हाथ लगा है। 23 मार्च के निचले स्तर से निफ्टी 41.1 प्रतिशत तक उछल गया है। इसी तरह, निफ्टी मिड-कैप में 36.8 प्रतिशत और स्मॉल-कैप में 42 प्रतिशत तक तेजी आई है। तेजी के बावजूद निवेशक आर्थिक अनिश्चितता के मद्देनजर शेयर बाजार में अपने निवेश को लेकर चिंतित हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत तक कमी आने की आशंका है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर भी 4.5 प्रतिशत तक कम होने की बात कही जा रही है। एक अन्य फंड प्रबंधक ने कहा, 'सभी बातें यही बता रही हैं कि बाजार में तेजी बेशक है मगर इसकी वजह बाजार की यह धारणा है कि आय में अब सुधार होने लगेगा।' निवेश से जुड़े पहलुओं के जानकारों के अनुसार लोगों ने वित्तीय तंगी में निवेश भले रोक दिया हो, लेकिन उन्हें इस समय केवल ठहरना चाहिए न कि योजना से बाहर निकलना चाहिए। कोटक म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह कहते हैं, 'कोविड-19 का टीका आने तक वायरस बरकरार रहेगा और हम यह मानकर नहीं बैठ सकते कि सब कुछ खुद ही सामान्य हो जाएगा। निवेशकों को वित्तीय योजना पर चलते रहना चाहिए। नियमित एवं सटीक परिसंपत्ति आवंटन अनिश्चितता से निपटने का सबसे कारगर उपाय है।' शाह बाजार में सीधे निवेश करने वाले लोगों को चवन्नी शेयरों से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं। नरेन कहते हैं, 'प्रतिकूल हालात में निवेशक अक्सर दीर्घ अवधि के अपने निवेश लक्ष्य से भटक जाते हैं। जिन लोगों को वेतन में कटौती का सामना करना पड़ रहा है, वे एसआईपी रकम घटा सकते हैं या कुछ समय तक के लिए निवेश रोक सकते हैं। निवेश अस्थायी रूप से रोकने का विकल्प लगभग सभी म्युचुअल फंड कंपनियां देती हैं।' बालसुब्रमण्यन नरेन से सहमत हैं। वह कहते हैं, 'अगर लॉकडाउन में किसी को रकम की जरूरत होती है तो वे अस्थायी रूप से एसआईपी निवेश रोक सकते हैं और हालात सुधरने पर दोबारा इसे शुरू कर सकते हैं।' विशेषज्ञों के अनुसार लोग दीर्घ अवधि के लक्ष्य पूरा करने के लिए एसआईपी शुरू करते हैं, इसलिए उन्हें निवेश जारी रखना चाहिए। जिन निवेशकों ने एसआईपी रोक दिए हैं या इनमें कमी की है उन्हें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि हालात सुधरने के बाद इन्हें दोबारा शुरू करना होगा और वित्तीय स्थित मजबूत होने पर पिछली भरपाई करने के लिए रकम बढ़ानी होगी। ऐसे समय में स्पष्ट नीति होनी आवश्यक है। बालसुब्रमण्यन कहते हैं, 'हालांकि अभी हालात सामान्य होने में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन मल्टी-कैप और मिड-कैप में डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंडों पर ध्यान देने की दरकार है और शेयर की तरफ थोड़ा अधिक झुकाव रखते हुए परिसंपत्ति आवंटन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।' नरेन कहते हैं, 'शेयरों में निवेश के मामले में परिसंपत्ति आवंटन नियमों का पालन करना बुद्धिमानी है। एक दूसरे विकल्प के रूप में ऐसेट अलोकेशन फंडों में निवेश पर विचार किया जा सकता है। लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले निवेशक अपेक्षाकृत ऐसी योजनाओं पर विचार कर सकते हैं, जो फिलहाल सस्ती हैं, लेकिन भविष्य में अधिक प्रतिफल दे सकती हैं।' नरेन डेट म्युचुअल फंडों में निवेश को खासी अहमियत देते हैं। वह कहते हैं, 'अगर कोई निवेशक डेट योजनाओं में निवेश नहीं करता है तो एक स्थिर परिसंपत्ति श्रेणी के लाभ से स्वयं को वंचित रख रहा है।' शाह निवेशकों को सोने में अधिक, इक्विटी और डेट में सूचकांकों में इनके भारांश के अनुरूप (न्यूट्रल वेट) और रियल एस्टेट में कम निवेश की सलाह देते हैं।
