टाटा की कंपनी को 220 करोड़ रुपये की कर छूट | श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली July 24, 2020 | | | | |
आयकर अपीली न्यायाधिकरण ने शुक्रवार को टाटा ट्रस्ट्स की एक कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया जिसमें आकलन वर्ष 2011-12 और 2012-13 के बीच अमेरिका स्थित दो विश्वविद्यालयों को दिए गए दान पर 220 करोड़ रुपये से अधिक की कर छूट की अनुमति प्रदान की गई है। इस फैसले से आयकर विभाग का झटका लगा है। यह घटनाक्रम आयकर विभाग द्वारा टाटा एजुकेशन ऐंड डेवलपमेंट ट्रस्ट (टीईडीटी) से की गई 100 करोड़ रुपये की कर मांग के बाद सामने आया है जिसका समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में बड़ा हिस्सा है।
यह मामला वर्ष 2008-09 और 2015-16 के दौरान विदेशी विश्वविद्यालयों -कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को दिए गए ट्रस्ट के 10 करोड़ डॉलर से अधिक संचयी दान के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा स्वीकृत छूट से संबंधित है। इसमें टाटा हॉल नामक भवन का निर्माण भी शामिल था। यह विवाद वर्ष 2018 में लोकसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) द्वारा इस मामले में जांच की मांग के बाद शुरू हुआ था क्योंकि इसका मानना था कि प्रत्यक्ष कर निकाय द्वारा दी गई यह छूट आयकर अधिनियम का उल्लंघन है। इस मामले को निपटाते हुए आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) ने शुक्रवार को कहा कि अपील के अन्य सभी आधार प्रतिपादित, अव्यवहारिक और निरुद्देश्य होंगे। हमने इस मसले का फैसला कर आकलन करने वाले के पक्ष में किया है और इस तरह अपील के इस आधार को मंजूरी दी है। इसलिए हम कर आकलन करने वाले की याचिका बरकरार रखते हैं और छूट के दावे के नामंजूरी के परिणाम को खत्म करते हैं।
वर्ष 2008 में स्थापित किए गए टीईडीटी ने आयकर विभाग से आकलन वर्ष 2011-12 और 2012-13 में विदेशी दान पर छूट का दावा किया था। कर अधिकारियों ने छूट से इनकार कर दिया था क्योंकि ट्रस्ट ने इन आकलन वर्षों के दौरान शून्य आय दिखाई थी, लेकिन इन विश्वविद्यालयों को प्रेक्षित की गई राशि का दावा किया था।
कर अधिकारियों ने पाया था कि ट्रस्ट द्वारा व्यय की गई राशि को ट्रस्ट की आय के मान्य आवेदन के रूप में नहीं माना जा सकता है और इसलिए वह आयकर के धर्मार्थ ट्रस्ट के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आती है।
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